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-डीएम को संबोधित ज्ञापन अतरिक्त उप जिलाधिकारी को सौंपा, प्रधान संगठन के प्रतिनिधि मण्डल ने जिलाधिकारी से की वार्ता
-प्रदर्षन करते व डीएम से वार्ता करते ग्राम प्रधान

कन्नौज,हिन्दुस्तान की आवाज़,अनुराग चौहान

कन्नौज।  राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन ने आरोप लगाया है कि प्रभारी मन्त्री द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों और प्रधानमन्त्री ग्रामीण आवास योजना के तहत लाभार्थियों द्वारा निर्मित कराए जा रहे आवासों में ग्राम प्रधानों की भूमिका के सामूहिक जांच के आदेष दे दिए गए हैं।
संगठन का कहना है कि यह निर्वाचित जनप्रतिनिधि प्रधान का अपमान है और इसे संगठन किसी भी कीमत पर बर्दाष्त नही करेगा। जिले की 504 ग्राम पंचायतों के प्रधान एकजुट संगठन के बैनर तले बुधवार को कलेक्टेªट में जुटे और वहीं धरने पर बैठ गए। प्रधानों ने बाद में अपना तीन पृष्ठ लम्बा एक ज्ञापन जो जिलाधिकारी को संबोधित है, अपर उप जिलाधिकारी रामदास को सौंपा और बाद में एक षिष्ट मण्डल ने डीएम रवीन्द्र कुमार से वार्ता भी की।
वार्ता के दौरान यह तथ्य प्रकाष में आया कि दोनो योजनाएं लाभार्थी परक हैं और शासनादेष के मुताबिक किसी लाभार्थी परक योजना से ग्राम प्रधान का कोई सीधा संबध नही है। लाभार्थी असन्तुष्ट होने पर स्वयं जांच की मांग कर सकता है, इसलिए किसी विधायक, सांसद या प्रभारी मन्त्री को सामूहिक जांच का आदेष देने का अधिकार नहीं है। जाहिर है इस तरह की बयानबाजी अथवा आदेष ग्राम प्रधानों को जो स्वयं निर्वाचित जनप्रतिनिधि है, अपमानित करने के उद्देष्य से की जा रही है और इसे संगठन किसी भी कीमत पर बर्दाष्त नही करेगा।
प्रतिनिधि मण्डल ने जिलाधिकारी को उस तथ्य से भी अवगत कराया, जिसके तहत तत्कालीन जिलाधिकारी जगदीष प्रसाद के आवाह्न पर जिले के सभी प्रधानों ने एकजुट होकर जिले को खुले में शौच से मुक्त करने का बीड़ा उठाया था, जिसके फलस्वरुप संयुक्त प्रयासों से यह जिला उत्तर प्रदेष में पांचवें स्थान पर पहुंच सका, किन्तु इस प्रयास के बदले में प्रधानों को उनका अपमान ही मिला।
पूर्व जिलाधिकारी द्वारा कहीं भी प्रधानों को धन निकासी के लिए अधिकृत नही किया गया था। लाभार्थी अथवा निर्माण ऐजेन्सी को चेक द्वारा धन निकासी के लिए अधिकृत किया गया था और प्रधान तथा स्वच्छताग्राही महज सहयोगी की भूमिका में थे, निर्माण एजेन्सी की भूमिका में नहीं। इसलिए अब प्रधान की जांच कराया जाना न तो औचित्यपूर्ण है और न ही इसका कोई कारण है।
प्रतिनिधि मण्डल ने आरोप लगाया कि राज्य वित्त और चैहदवें वित्त के संचालन में पूरे वर्ष में कोई भी प्रषिक्षण षिविर आयोजित नही कराया गया, जबकि शासन द्वारा इन षिविरों के आयोजन के लिए बजट की व्यवस्था भी की गई है। राज्य वित्त और चैहदवें वित्त का लाखों रुपया जिले में पड़ा है किन्तु ग्राम पंचायतों में विकास कार्य नही हो पा रहे।
प्रतिनिधि मण्डल ने एक और सनसनीखेज आरोप लगाया कि दो लाख रुपये तक की लागत के कार्य ग्राम प्रधान, ढाई लाख रुपये तक के कार्यों की प्रषासनिक और तकनीकी स्वीकृति का अधिकार सहायक विकास अधिकारी पंचायत में निहित है, जबकि इसके उपर के कार्यों के लिए जिला स्तर पर एक अधिषाषी अभियन्ता को शासनादेष के मुताबिक नामित किए जाने का प्रावधान है, किन्तु आज तक किसी को इस हेतु नामित नही किया गया है, इसलिए ग्राम पंचायतों में विकास कार्य लटके पड़े हैं। प्रधान संगठन ने निर्माण सामग्री की संषोधित रेट सूची का मुद्दा भी उठाया और कहा कि यह सूची बाजार की मूल सूची से भिन्न होने के कारण निर्माण में बाधा आ रही है, इसे भी तत्काल संषोधित किए जाने की आवष्यकता है।
जिलाधिकारी ने प्रतिनिधि मण्डल की बातों को सुना और शीघ्र ही समस्याओं के निराकरण का आष्वासन दिया। प्रतिनिधि मण्डल ने जिलाधिकारी के बाद सीडीओ अवधेष बहादुर सिंह और पंचायतराज अधिकारी इन्द्रपाल सोनकर से भी मुलाकात कर उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया। अपर उप जिलाधिकारी को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि यदि 15 दिन के अन्दर समस्याओं का समाधान नही हुआ तो ग्राम प्रधान संगठन सामूहिक रुप से कार्य बहिष्कार का निर्णय लेगा।


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