कोरोना संक्रमित भयावह दौर में भारतीय समाज और संस्कृति के वैश्विक संदर्भ पर सोनू भाऊ वसंत कालेज के हिंदी विभाग और आंतरिक गुणवत्ता निर्धारण प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया था । इस वेबीनार में भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों सहित रूस, इजराइल, ब्रिटेन, पोलैंड, मारीशस, श्रीलंका, जर्मनी आदि देशों के विद्वानों ने भाग लिया। इस वेबीनार में देश-विदेश से जुड़े सैकड़ों प्रतिभागियों ने यू -ट्यूब लिंक के माध्यम से सहभागिता की। आयोजन के मुख्य सूत्रधार हिंदी अध्ययन मंडल मुंबई विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार सिंह थे।
वेबीनार के पहले दिन 9 जून को सुबह ठीक 10 बजे उद्घाटन सत्र आरंभ हुआ। महाविद्यालय के प्राचार्य फूलझले ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में भाग लेकर कुलपति प्रोफेसर डॉ रविंद्र कुलकर्णी ने अपना शुभकामना संदेश प्रेषित किया। प्रस्तावित डॉक्टर अनिल कुमार सिंह के द्वारा रखी गई । बीज वक्तव्य देते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के निदेशक डॉ नंद कुमार पांडे ने प्राचीन भारतीय संस्कृत के सकारात्मक पक्षों को अवगत कराते हुए प्राचीन मेघा के अवलोकन पर बल दिया। प्रमुख अतिथि हिंदी मंडल दिशा के संस्थापक मास्को (रूस) के हिंदी विद डॉ रामेश्वर सिंह ने रूस में चल रहे सांस्कृतिक कार्यों से श्रोताओं का परिचय कराया। इस सत्र के अध्यक्ष वक्तव्य में पोलैंड के विद्वान डॉ सुधांशु कुमार शुक्ल ने प्राचीन भारतीय संस्कृति के यूरोपीय परिदृश्य की बात की और ऐसे व्यापक विषय पर बेवीनार आयोजित करने के लिए डॉ अनिल कुमार सिंह की भूर भूर प्रशंसा की। अंत में डॉ उषा मिश्रा ने सभी विद्वानों के प्रति आभार प्रकट किया।
9 जून के प्रथम सत्र में अध्यक्ष डॉ अंतू देव बुद्धु (मारीशस), मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर डॉ विनय कुमार बोधगया, प्रमुख अतिथि प्रोफ़ेसर डॉ राम आल्हाद चौधरी कोलकाता, अतिथि वक्तव्य प्रोफेसर डॉ विजय कुमार "संदेश" झारखंड, प्रोफेसर डॉ भरत सिंह बोधगया, डॉ मनीष कुमार मिश्रा मुंबई , संचालन डॉ मिथिलेश शर्मा मुम्बई, आभार डॉ प्रवीण चंद बिष्ट मुम्बई, इसी प्रकार इस दिन के दूसरे सत्र में अध्यक्ष डॉ विजय भारती पश्चिम बंगाल, मुख्य अतिथि कृष्ण गोपाल सिंह "पत्रकार " ठाणे, प्रमुख अतिथि प्राचार्य बी डी कोकाटे बीड, अतिथि वक्तव्य डॉक्टर दिनेश प्रताप सिंह मुंबई, डॉ ईजी वजीरा गुनसेना श्रीलंका, डॉ श्याम पांडे जापान, संचालन डॉक्टर रेखा शर्मा मुंबई , आभार डॉ विद्या शिंदे रत्नागिरी।
दूसरे दिन 10 जून के तृतीय सत्र में अध्यक्ष डॉक्टर प्रोफ़ेसर उमापति दीक्षित आगरा, मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ सुनीता साखरे मुंबई, प्रमुख अतिथि प्रोफेसर डॉ शीतला प्रसाद दुबे मुंबई , मुख्य अतिथि डॉक्टर सतीश पांडे कल्याण ,अतिथि वक्तव्य डॉ अलका धनपत मारीशस, डॉ प्रदीप सिंह मुंबई , डॉ हुब नाथ पांडे मुंबई ,संचालन प्राध्यापक अनंत द्विवेदी कल्याण, आभार डॉ नारायण तिरुपति। चतुर्थ सत्र में अध्यक्ष डॉ करुणा शंकर उपाध्याय मुंबई, प्रमुख अतिथि डॉ जया वर्मा यू .के, मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ आर जानचंदन केरला, अतिथि वक्तव्य प्रोफेसर राम प्रसाद भट्ट जर्मनी, डॉक्टर राज सिंह इजराइल, डॉक्टर आलोक रंजन पांडे दिल्ली, संचालन डॉक्टर सुनील कुमार "आजाद" मास्को, आभार प्राध्यापक संतोष मोटवानी उल्हास नगर ने किया। वैश्विक वेबीनार का समापन 10 जून को किया गया। समापन सत्र की अध्यक्षता गुजरात के प्राचार्य डॉ अजय भाई पटेल ने की। प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ राजेश खरात, डॉ मधुकर पाडवी, प्रोफेसर विष्णु सरवदे हैदराबाद, उपस्थित रहे। इन सभी विद्वानों ने भी भारतीय संस्कृति के विविध पक्षों पर अपनी बात रखी । डॉक्टर राजेश खरात ने अध्यक्ष हिंदी अध्ययन मंडल के रूप में डॉक्टर अनिल कुमार सिंह के योगदान की सराहना की। मंतव्य प्रस्तुति डॉ अशोक फरडे डीआर मुंबई विद्यापीठ, डॉ बलवंत सिंह ठाणे, एवं डॉ मोनिका शर्मा शामली उत्तर प्रदेश, ने की। इस सत्र के अंत में दो दिवसीय सेमिनार के आयोजन को सफल बनाने हेतु डॉ अनिल कुमार सिंह एवं प्राध्यापक संतोष गायकवाड ने सभी विद्वानों के प्रति आभार प्रकट किया।
वेबीनार के पहले दिन 9 जून को सुबह ठीक 10 बजे उद्घाटन सत्र आरंभ हुआ। महाविद्यालय के प्राचार्य फूलझले ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में भाग लेकर कुलपति प्रोफेसर डॉ रविंद्र कुलकर्णी ने अपना शुभकामना संदेश प्रेषित किया। प्रस्तावित डॉक्टर अनिल कुमार सिंह के द्वारा रखी गई । बीज वक्तव्य देते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के निदेशक डॉ नंद कुमार पांडे ने प्राचीन भारतीय संस्कृत के सकारात्मक पक्षों को अवगत कराते हुए प्राचीन मेघा के अवलोकन पर बल दिया। प्रमुख अतिथि हिंदी मंडल दिशा के संस्थापक मास्को (रूस) के हिंदी विद डॉ रामेश्वर सिंह ने रूस में चल रहे सांस्कृतिक कार्यों से श्रोताओं का परिचय कराया। इस सत्र के अध्यक्ष वक्तव्य में पोलैंड के विद्वान डॉ सुधांशु कुमार शुक्ल ने प्राचीन भारतीय संस्कृति के यूरोपीय परिदृश्य की बात की और ऐसे व्यापक विषय पर बेवीनार आयोजित करने के लिए डॉ अनिल कुमार सिंह की भूर भूर प्रशंसा की। अंत में डॉ उषा मिश्रा ने सभी विद्वानों के प्रति आभार प्रकट किया।
9 जून के प्रथम सत्र में अध्यक्ष डॉ अंतू देव बुद्धु (मारीशस), मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर डॉ विनय कुमार बोधगया, प्रमुख अतिथि प्रोफ़ेसर डॉ राम आल्हाद चौधरी कोलकाता, अतिथि वक्तव्य प्रोफेसर डॉ विजय कुमार "संदेश" झारखंड, प्रोफेसर डॉ भरत सिंह बोधगया, डॉ मनीष कुमार मिश्रा मुंबई , संचालन डॉ मिथिलेश शर्मा मुम्बई, आभार डॉ प्रवीण चंद बिष्ट मुम्बई, इसी प्रकार इस दिन के दूसरे सत्र में अध्यक्ष डॉ विजय भारती पश्चिम बंगाल, मुख्य अतिथि कृष्ण गोपाल सिंह "पत्रकार " ठाणे, प्रमुख अतिथि प्राचार्य बी डी कोकाटे बीड, अतिथि वक्तव्य डॉक्टर दिनेश प्रताप सिंह मुंबई, डॉ ईजी वजीरा गुनसेना श्रीलंका, डॉ श्याम पांडे जापान, संचालन डॉक्टर रेखा शर्मा मुंबई , आभार डॉ विद्या शिंदे रत्नागिरी।
दूसरे दिन 10 जून के तृतीय सत्र में अध्यक्ष डॉक्टर प्रोफ़ेसर उमापति दीक्षित आगरा, मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ सुनीता साखरे मुंबई, प्रमुख अतिथि प्रोफेसर डॉ शीतला प्रसाद दुबे मुंबई , मुख्य अतिथि डॉक्टर सतीश पांडे कल्याण ,अतिथि वक्तव्य डॉ अलका धनपत मारीशस, डॉ प्रदीप सिंह मुंबई , डॉ हुब नाथ पांडे मुंबई ,संचालन प्राध्यापक अनंत द्विवेदी कल्याण, आभार डॉ नारायण तिरुपति। चतुर्थ सत्र में अध्यक्ष डॉ करुणा शंकर उपाध्याय मुंबई, प्रमुख अतिथि डॉ जया वर्मा यू .के, मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ आर जानचंदन केरला, अतिथि वक्तव्य प्रोफेसर राम प्रसाद भट्ट जर्मनी, डॉक्टर राज सिंह इजराइल, डॉक्टर आलोक रंजन पांडे दिल्ली, संचालन डॉक्टर सुनील कुमार "आजाद" मास्को, आभार प्राध्यापक संतोष मोटवानी उल्हास नगर ने किया। वैश्विक वेबीनार का समापन 10 जून को किया गया। समापन सत्र की अध्यक्षता गुजरात के प्राचार्य डॉ अजय भाई पटेल ने की। प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ राजेश खरात, डॉ मधुकर पाडवी, प्रोफेसर विष्णु सरवदे हैदराबाद, उपस्थित रहे। इन सभी विद्वानों ने भी भारतीय संस्कृति के विविध पक्षों पर अपनी बात रखी । डॉक्टर राजेश खरात ने अध्यक्ष हिंदी अध्ययन मंडल के रूप में डॉक्टर अनिल कुमार सिंह के योगदान की सराहना की। मंतव्य प्रस्तुति डॉ अशोक फरडे डीआर मुंबई विद्यापीठ, डॉ बलवंत सिंह ठाणे, एवं डॉ मोनिका शर्मा शामली उत्तर प्रदेश, ने की। इस सत्र के अंत में दो दिवसीय सेमिनार के आयोजन को सफल बनाने हेतु डॉ अनिल कुमार सिंह एवं प्राध्यापक संतोष गायकवाड ने सभी विद्वानों के प्रति आभार प्रकट किया।
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