बाजार कई गुना बढ़ने के लिए तैयार, नाइट फ्रैंक रिपोर्ट
भारत में उद्देश्यनिर्मित छात्रावास (पीबीएसए) की मौजूदा मांग 80 लाख बिस्तरों की जगह से भी ज्यादा की है। नाइट फ्रैंक की ग्लोबल स्टूडेंट प्रॉपर्टी 2019 रिपोर्ट के अनुसार, यह वह आंकड़ा है, जिसके साल 2025 तक 13 मिलियन तक पहुंचने के लिए करीब आठ फीसदी सालाना की दर से बढ़ने की उम्मीद है। साल 2018 के दौरान भारतीय पीबीएसए बाजार में करीब 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ। हालांकि, नाइट फ्रैंक का अनुमान है कि देश में पीबीएसए के लिए मौजूदा संभावित मांग करीब 50 बिलियन डॉलर की है।
वतन से बाहर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या अभी लगभग 2,55,000 है।
• मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण के अनुसार, 2017 में भारत में विश्वविद्यालयों की संख्या 864 दर्ज की गई थी।
• भारत के पास दुनिया में सबसे युवा आबादी है। एक अरब, 30 करोड़ की घनी आबादी का 18 प्रतिशत हिस्सा 15 से 24 साल के बीच का है।
• 2020 तक, 18 से 23 वर्ष के आयु-वर्ग में 30 प्रतिशत को भारत सरकार उच्च शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में दाखिले की मंशा रखती है। इससे देश की छात्र-आबादी चार करोड़ तक बढ़ जाएगी। यह संख्या अमेरिका में पढ़ाई कर रहे छात्रों की लगभग दोगुनी है।
• देश भर में पीबीएसए बिस्तर की जगहों की मौजूदा मांग कुल 80 लाख से अधिक होने का अनुमान है। यह आंकड़ा 2025 तक करीब आठ फीसदी सालाना की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
• मौजूदा मांगों की सिर्फ 20 फीसदी विश्वविद्यालय संचालित व्यवस्थाओं से पूरी होती है। भारत में छात्रावास का बाजार काफी हद तक निजी मालिकों द्वारा संचालित है, जो कॉलेज परिसर के बाहर छोटे-छोटे छात्रावास चलाते हैं।
• नाइट फ्रैंक का अनुमान है कि विश्वविद्यालयों के समीप की छूटी हुई जमीनों पर अभी 60 लाख पीबीएसए बेड स्पेस प्रदान करने का सामर्थ्य है, वहीं 20 लाख पीबीएसए बेड स्पेस उन जगहों पर दी जा सकती हैं, जो पहले इस्तेमाल में आती रही हैं।
प्रमुख भारतीय स्थल हैं।
1. भारत में बेंगलुरु के पास विश्वविद्यालय कॉलेजों की संख्या सबसे अधिक है। पेशेवर पाठ्यक्रमों में छात्रों की आबादी 6,60,000 आंकी जा रही है, जिसमें से 3,06,377 को आवास की जरूरत है और सिर्फ 10 प्रतिशत को ही कॉलेज परिसर में पीबीएसए का प्रावधान मिल पाता है।
2. पुणे भारत में नौवां सबसे बड़ा शहर है और यह सूचना-प्रौद्योगिकी एवं विनर्माण केंद्र तथा स्टार्ट-अप कंपनियों के मजबूत आधार के तौर पर उभर रहा है। 264,350 की कुल छात्र आबादी में से 191,937 को आवास की आवश्यकता है, 11 प्रतिशत को ही ऑन कैंपस पीबीएसए का लाभ मिल पाता है।
3. हैदराबाद में भी छात्रों की संख्या ठीकठाक है। हालांकि, 29,300 छात्रों की आवास चाहिए, जिसमें सिर्फ दो प्रतिशत को ही कैंपस में ठिकाना मिलता है।
4. जयपुर और नागपुर भी छात्रों के ठिकाने के तौर पर उभरे हैं। ये क्रमशः 15 प्रतिशत व 13 प्रतिशत ऑन-कैंपस व्यवस्था कर पाते हैं।
5. नोएडा और ग्रेटर नोएडा आधुनिक औद्योगिक शहरों के तौर पर उभरे हैं, ये दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़े भी हैं। दिल्ली की आईटी सेवाओं के लिए नोएडा एक आउटसोर्सिंग केंद्र है। यहां कई सारी प्राइवेट इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और आर्ट्स यूनिवर्सिटी हैं और मौजूदा आवास व्यवस्थाएं भारत की बेहतरीन छात्रावास व्यवस्थाओं में से हैं।
नाइट फ्रैंक के ग्लोबल हेड ऑफ स्टूडेंट प्रोपर्टी जेम्स पुलैन का कहना है कि ‘उद्देश्यनिर्मित छात्रावास (पीबीएसए) एक वैश्विक परिसंपत्ति-वर्ग में शामिल हो चुका है, जो इस महादेश में पढ़ने के लिए यहां-वहां आते-जाते छात्रों की जनसंख्या से मजबूत होता है तथा यह उच्च शिक्षा के महत्व के बारे में दुनिया भर में बढ़ी मान्यताओं से भी रेखांकित होता है। कम आपूर्ति की यह कहानी एकदम पारदर्शी है। दुनिया भर में विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र रहने के लिए संघर्ष करते हैं, क्योंकि वैश्विक आवास संकट है। ऐसे में, पीबीएसए संस्थानों के लिए एक अवसर की नुमाइंदगी करता है कि वे किसी परिसंपत्ति में निवेश करें, जो आर्थिक मंदी के बाद से हर साल किराये में बढ़ोतरी दर्शाती हैं।’
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा, ‘भारतीय छात्रों की आबादी लगातार बढ़ रही है। उच्च शिक्षा के लिए ज्यादा दाखिले को बढ़ावा देने की सरकारी कोशिशों से यह बढ़ोतरी और बड़ी हो जाती है। यही बात है, जो छात्रावास के बाजार को फलने-फूलने का रास्ता बनाती है। आसार काफी अच्छे मालूम पड़ते हैं। ऐसे में, इस वैकल्पिक परिसंपत्ति वर्ग में घरेलू व अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए निवेश के अवसर दिखाई देते हैं।’
रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य तक पहुंचने मं दो बड़े कारक योगदान दे रहे हैं। अव्वल तो पिछले दशक से भारत की जीडीपी विकास-दर औसतन सालाना सात प्रतिशत से ऊपर रही है और यह दुनिया में छठी सबसे ऊंची विकास-दर है। इस तेज विकास ने मध्य वर्ग को फलने-फूलने में ईंधन की तरह काम किया, जिसका हर साल दो करोड़, पचास लाख की दर से बढ़ने का अनुमान है। इसके बाद, नतीजतन डिग्री स्तर की योग्यता रखने वाले उच्च शिक्षित कामगारों के लिए कारोबारों की मांग बढ़ रही है। भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र के विकास को रेखांकित करने वाला दूसरा कारक देश की जनसांख्यिकी से जुड़ा है। दरअसल, दुनिया में भारत के पास सबसे युवा आबादी है। 1.3 बिलियन की मजबूत आबादी में 15-24 वर्ष की आयु-वर्ग के 18 प्रतिशत लोग हैं।
नाइट फ्रैंक इंडिया के नेशनल डायरेक्टर ऑफ एडवाइजरी सर्विसेस सौरभ मेहरोत्रा ने कहा, ‘अभी छात्रों के लिए आवास की ज्यादातर मांगें असंगठित क्षेत्र द्वारा पूरी होती हैं, इनमें निजी छात्रावास और किराये के घर शामिल हैं। ये जगहें अक्सर छात्रों की उम्मीदों के अनुरूप नहीं होतीं। मांग-आपूर्ति के बीच की खाई और इस क्षेत्र से जुड़ी संभावनाओं ने निवेशकों की रुचि बढ़ाई है कि वे अच्छी जगहों पर गुणवत्तापूर्ण और उद्देश्य निर्मित आवासों के निर्माण और संचालन पर जोर दें। नाइट फ्रैंक का अनुमान है कि विश्वविद्यालयों के समीप की छूटी हुई जमीनों पर अभी 6मिलियन पीबीएसए बेड स्पेस प्रदान करने का सामर्थ्य है, वहीं 2मिलियन पीबीएसए बेड स्पेस उन जगहों पर दी जा सकती हैं, जहां पहले से कॉलेज परिसर में छात्रावास हैं और उनकी मरम्मती व सही इस्तेमाल से भरपायी संभव हैं।’
शमा ईरानी
भारत में उद्देश्यनिर्मित छात्रावास (पीबीएसए) की मौजूदा मांग 80 लाख बिस्तरों की जगह से भी ज्यादा की है। नाइट फ्रैंक की ग्लोबल स्टूडेंट प्रॉपर्टी 2019 रिपोर्ट के अनुसार, यह वह आंकड़ा है, जिसके साल 2025 तक 13 मिलियन तक पहुंचने के लिए करीब आठ फीसदी सालाना की दर से बढ़ने की उम्मीद है। साल 2018 के दौरान भारतीय पीबीएसए बाजार में करीब 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ। हालांकि, नाइट फ्रैंक का अनुमान है कि देश में पीबीएसए के लिए मौजूदा संभावित मांग करीब 50 बिलियन डॉलर की है।
वतन से बाहर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या अभी लगभग 2,55,000 है।
• मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण के अनुसार, 2017 में भारत में विश्वविद्यालयों की संख्या 864 दर्ज की गई थी।
• भारत के पास दुनिया में सबसे युवा आबादी है। एक अरब, 30 करोड़ की घनी आबादी का 18 प्रतिशत हिस्सा 15 से 24 साल के बीच का है।
• 2020 तक, 18 से 23 वर्ष के आयु-वर्ग में 30 प्रतिशत को भारत सरकार उच्च शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में दाखिले की मंशा रखती है। इससे देश की छात्र-आबादी चार करोड़ तक बढ़ जाएगी। यह संख्या अमेरिका में पढ़ाई कर रहे छात्रों की लगभग दोगुनी है।
• देश भर में पीबीएसए बिस्तर की जगहों की मौजूदा मांग कुल 80 लाख से अधिक होने का अनुमान है। यह आंकड़ा 2025 तक करीब आठ फीसदी सालाना की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
• मौजूदा मांगों की सिर्फ 20 फीसदी विश्वविद्यालय संचालित व्यवस्थाओं से पूरी होती है। भारत में छात्रावास का बाजार काफी हद तक निजी मालिकों द्वारा संचालित है, जो कॉलेज परिसर के बाहर छोटे-छोटे छात्रावास चलाते हैं।
• नाइट फ्रैंक का अनुमान है कि विश्वविद्यालयों के समीप की छूटी हुई जमीनों पर अभी 60 लाख पीबीएसए बेड स्पेस प्रदान करने का सामर्थ्य है, वहीं 20 लाख पीबीएसए बेड स्पेस उन जगहों पर दी जा सकती हैं, जो पहले इस्तेमाल में आती रही हैं।
प्रमुख भारतीय स्थल हैं।
1. भारत में बेंगलुरु के पास विश्वविद्यालय कॉलेजों की संख्या सबसे अधिक है। पेशेवर पाठ्यक्रमों में छात्रों की आबादी 6,60,000 आंकी जा रही है, जिसमें से 3,06,377 को आवास की जरूरत है और सिर्फ 10 प्रतिशत को ही कॉलेज परिसर में पीबीएसए का प्रावधान मिल पाता है।
2. पुणे भारत में नौवां सबसे बड़ा शहर है और यह सूचना-प्रौद्योगिकी एवं विनर्माण केंद्र तथा स्टार्ट-अप कंपनियों के मजबूत आधार के तौर पर उभर रहा है। 264,350 की कुल छात्र आबादी में से 191,937 को आवास की आवश्यकता है, 11 प्रतिशत को ही ऑन कैंपस पीबीएसए का लाभ मिल पाता है।
3. हैदराबाद में भी छात्रों की संख्या ठीकठाक है। हालांकि, 29,300 छात्रों की आवास चाहिए, जिसमें सिर्फ दो प्रतिशत को ही कैंपस में ठिकाना मिलता है।
4. जयपुर और नागपुर भी छात्रों के ठिकाने के तौर पर उभरे हैं। ये क्रमशः 15 प्रतिशत व 13 प्रतिशत ऑन-कैंपस व्यवस्था कर पाते हैं।
5. नोएडा और ग्रेटर नोएडा आधुनिक औद्योगिक शहरों के तौर पर उभरे हैं, ये दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़े भी हैं। दिल्ली की आईटी सेवाओं के लिए नोएडा एक आउटसोर्सिंग केंद्र है। यहां कई सारी प्राइवेट इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और आर्ट्स यूनिवर्सिटी हैं और मौजूदा आवास व्यवस्थाएं भारत की बेहतरीन छात्रावास व्यवस्थाओं में से हैं।
नाइट फ्रैंक के ग्लोबल हेड ऑफ स्टूडेंट प्रोपर्टी जेम्स पुलैन का कहना है कि ‘उद्देश्यनिर्मित छात्रावास (पीबीएसए) एक वैश्विक परिसंपत्ति-वर्ग में शामिल हो चुका है, जो इस महादेश में पढ़ने के लिए यहां-वहां आते-जाते छात्रों की जनसंख्या से मजबूत होता है तथा यह उच्च शिक्षा के महत्व के बारे में दुनिया भर में बढ़ी मान्यताओं से भी रेखांकित होता है। कम आपूर्ति की यह कहानी एकदम पारदर्शी है। दुनिया भर में विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र रहने के लिए संघर्ष करते हैं, क्योंकि वैश्विक आवास संकट है। ऐसे में, पीबीएसए संस्थानों के लिए एक अवसर की नुमाइंदगी करता है कि वे किसी परिसंपत्ति में निवेश करें, जो आर्थिक मंदी के बाद से हर साल किराये में बढ़ोतरी दर्शाती हैं।’
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा, ‘भारतीय छात्रों की आबादी लगातार बढ़ रही है। उच्च शिक्षा के लिए ज्यादा दाखिले को बढ़ावा देने की सरकारी कोशिशों से यह बढ़ोतरी और बड़ी हो जाती है। यही बात है, जो छात्रावास के बाजार को फलने-फूलने का रास्ता बनाती है। आसार काफी अच्छे मालूम पड़ते हैं। ऐसे में, इस वैकल्पिक परिसंपत्ति वर्ग में घरेलू व अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए निवेश के अवसर दिखाई देते हैं।’
रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य तक पहुंचने मं दो बड़े कारक योगदान दे रहे हैं। अव्वल तो पिछले दशक से भारत की जीडीपी विकास-दर औसतन सालाना सात प्रतिशत से ऊपर रही है और यह दुनिया में छठी सबसे ऊंची विकास-दर है। इस तेज विकास ने मध्य वर्ग को फलने-फूलने में ईंधन की तरह काम किया, जिसका हर साल दो करोड़, पचास लाख की दर से बढ़ने का अनुमान है। इसके बाद, नतीजतन डिग्री स्तर की योग्यता रखने वाले उच्च शिक्षित कामगारों के लिए कारोबारों की मांग बढ़ रही है। भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र के विकास को रेखांकित करने वाला दूसरा कारक देश की जनसांख्यिकी से जुड़ा है। दरअसल, दुनिया में भारत के पास सबसे युवा आबादी है। 1.3 बिलियन की मजबूत आबादी में 15-24 वर्ष की आयु-वर्ग के 18 प्रतिशत लोग हैं।
नाइट फ्रैंक इंडिया के नेशनल डायरेक्टर ऑफ एडवाइजरी सर्विसेस सौरभ मेहरोत्रा ने कहा, ‘अभी छात्रों के लिए आवास की ज्यादातर मांगें असंगठित क्षेत्र द्वारा पूरी होती हैं, इनमें निजी छात्रावास और किराये के घर शामिल हैं। ये जगहें अक्सर छात्रों की उम्मीदों के अनुरूप नहीं होतीं। मांग-आपूर्ति के बीच की खाई और इस क्षेत्र से जुड़ी संभावनाओं ने निवेशकों की रुचि बढ़ाई है कि वे अच्छी जगहों पर गुणवत्तापूर्ण और उद्देश्य निर्मित आवासों के निर्माण और संचालन पर जोर दें। नाइट फ्रैंक का अनुमान है कि विश्वविद्यालयों के समीप की छूटी हुई जमीनों पर अभी 6मिलियन पीबीएसए बेड स्पेस प्रदान करने का सामर्थ्य है, वहीं 2मिलियन पीबीएसए बेड स्पेस उन जगहों पर दी जा सकती हैं, जहां पहले से कॉलेज परिसर में छात्रावास हैं और उनकी मरम्मती व सही इस्तेमाल से भरपायी संभव हैं।’
शमा ईरानी
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