चार महीने में अपहरण की 51 घटनाएं हुई हैं।
संवाददाता, भिवंडी । भिवंडी में दिन प्रतिदिन बढ़ रही अल्पवयीन बच्चों के अपहरण की घटनाओं से अभिभावकों व नागरिकों में भय का वातावरण व्याप्त है।प्राप्त जानकारी के अनुसार जनवरी से लेकर अप्रैल तक केवल चार महीने में भिवंडी पुलिस उपयुक्तालय में अपहरण की 51 घटनाएं घटित हुई हैं, जिसमें सबसे अधिक 29 लड़कियों के गायब होने का मामला प्रकाश में आया है। जबकि उसमें से पुलिस ने 43 घटनाओं का समाधान करने में सफल हुई है। शेष आठ घटनाओं की जांच में पुलिस जुटी हुई है।
मजदूर बहुल क्षेत्र भिवंडी शहर में आए दिन हो रही अल्पवयीन बच्चों के अपहरण की घटनाओं से मजदूर परिवारों में काम पर जाने के बाद उन्हें यह चिंता बनी रहती है उनका अल्पवयीन बच्चा घर पर सुरक्षित है या नहीं? भिवंडी के पावरलूम,साइजिंग, डाईंग एवं मोती कारखानों सहित भारी संख्या में मजदूर यहां के गोदामों में काम करने के लिए जाते हैं। जिसमें पुरुषों के साथ भारी संख्या में महिलाएं भी काम करने के लिए जाती हैं। घर की महिला-पुरुष दोनों के काम करने के लिए बाहर चले जाने के कारण उनके अल्पवयीन बच्चों का अपहरण करके उसका गलत फायदा आसपास के लोग उठाते रहते हैं जो एक गंभीर समस्या बनी हुई है। जनवरी से लेकर अप्रैल तक केवल चार महीने में अपहरण की 51 घटनाएं घटित हुई हैं, जिसमें 29 लड़कियां और 22 लड़के गायब हुए हैं।
उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार अल्पवयीन बच्चों के गायब होने के मामले में पुलिस ने अपहरण की घटनाएं दर्ज की हैं जिसके तहत जनवरी से अप्रैल तक भिवंडी पुलिस उपयुक्तालय के छह पुलिस स्टेशनों में दर्ज अपहरण की 51 घटनाओं में सबसे अधिक 14 घटनाएं भिवंडी शहर पुलिस स्टेशन और सबसे कम दो घटना कोनगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं। शांतिनगर पुलिस स्टेशन में हुई 13 अपहरण की घटनाओं को पुलिस ने हल कर लिया है। भिवंडी शहर पुलिस स्टेशन में 14 घटनाओं में आठ लड़कियों और छह लड़कों के अपहरण की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिसमें पुलिस ने 11 लोगों को तलाश कर लिया है। इसी प्रकार भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन में तीन घटनाओं में दो लड़कियां व एक लड़के के अपहरण का मामला दर्ज किया गया है। जिसमें पुलिस ने दो लोगों को तलाश कर लिया है। निजामपुर पुलिस स्टेशन में 11 घटनाओं में पांच लड़कियां और छह लड़कों के अपहरण का मामला दर्ज किया गया है, जिसमें पुलिस ने 10 बच्चों का पता लगाने में सफल रही है। नारपोली पुलिस पुलिस स्टेशन में आठ घटनाओं में पांच लड़कियों एवं तीन लड़कों के अपहरण का मामला दर्ज किया गया है। जिसमें पुलिस ने छह घटनाओं को हल कर लिया है। शांतिनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज 13 अपहरण की घटनाओं में आठ लड़कियों का और पांच लड़कों का अपहरण हुआ है| जिसमें पुलिस सभी 13 घटनाओं को हल करने में सफल हो गई है, इसी प्रकार कोनगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज दो मामलों में एक लड़की एवं एक लड़के की अपहरण शिकायत दर्ज की गई है। जिसमें पुलिस ने एक घटना हल कर लिया है।
ज्ञात हो कि पिछले कई महीनों से भिवंडी में नाबालिग बच्चों के अपहरण की घटनाएं काफी बढ़ी हैं। जो यहां के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। उसमें कई छोटे-छोटे बच्चों को खाने का लालच देकर तो कई नाबालिग लड़कियों को विवाह का झांसा देकर उनका अपहरण कर लिया जाता है। इस वर्ष पिछले चार महीने में पुलिस जिन आठ बच्चों का पता लगाने में अभी तक सफल नहीं हुई है, उसमें पांच अल्पवयीन लड़कियां हैं। इसी प्रकार वर्ष 2018 में चार महीने में गायब छह अल्पवयीन लड़कियों का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है।
सामाजिक कार्यकर्ता एडो. जयश्री जयवंत का मानना है कि मजदूर बहुल शहर में रहने वाले अधिकतर मजदूर पति-पत्नी परिवार चलाने के लिए दोनों काम करने के लिए चले जाते हैं। जिसके कारण उनके छोटे-छोटे अल्पवयीन बच्चे घर पर ही रहते हैं उनकी देखरेख करने वाला घर पर किसी के न रहने के कारण उनके अपहरण की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। मजदूरों को काम करने के लिए घर से जाने के पहले अपने बच्चों के सुरक्षा की व्यवस्था पहले करनी चाहिए इस कार्य में अभिभावकों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है।
संवाददाता, भिवंडी । भिवंडी में दिन प्रतिदिन बढ़ रही अल्पवयीन बच्चों के अपहरण की घटनाओं से अभिभावकों व नागरिकों में भय का वातावरण व्याप्त है।प्राप्त जानकारी के अनुसार जनवरी से लेकर अप्रैल तक केवल चार महीने में भिवंडी पुलिस उपयुक्तालय में अपहरण की 51 घटनाएं घटित हुई हैं, जिसमें सबसे अधिक 29 लड़कियों के गायब होने का मामला प्रकाश में आया है। जबकि उसमें से पुलिस ने 43 घटनाओं का समाधान करने में सफल हुई है। शेष आठ घटनाओं की जांच में पुलिस जुटी हुई है।
मजदूर बहुल क्षेत्र भिवंडी शहर में आए दिन हो रही अल्पवयीन बच्चों के अपहरण की घटनाओं से मजदूर परिवारों में काम पर जाने के बाद उन्हें यह चिंता बनी रहती है उनका अल्पवयीन बच्चा घर पर सुरक्षित है या नहीं? भिवंडी के पावरलूम,साइजिंग, डाईंग एवं मोती कारखानों सहित भारी संख्या में मजदूर यहां के गोदामों में काम करने के लिए जाते हैं। जिसमें पुरुषों के साथ भारी संख्या में महिलाएं भी काम करने के लिए जाती हैं। घर की महिला-पुरुष दोनों के काम करने के लिए बाहर चले जाने के कारण उनके अल्पवयीन बच्चों का अपहरण करके उसका गलत फायदा आसपास के लोग उठाते रहते हैं जो एक गंभीर समस्या बनी हुई है। जनवरी से लेकर अप्रैल तक केवल चार महीने में अपहरण की 51 घटनाएं घटित हुई हैं, जिसमें 29 लड़कियां और 22 लड़के गायब हुए हैं।
उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार अल्पवयीन बच्चों के गायब होने के मामले में पुलिस ने अपहरण की घटनाएं दर्ज की हैं जिसके तहत जनवरी से अप्रैल तक भिवंडी पुलिस उपयुक्तालय के छह पुलिस स्टेशनों में दर्ज अपहरण की 51 घटनाओं में सबसे अधिक 14 घटनाएं भिवंडी शहर पुलिस स्टेशन और सबसे कम दो घटना कोनगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं। शांतिनगर पुलिस स्टेशन में हुई 13 अपहरण की घटनाओं को पुलिस ने हल कर लिया है। भिवंडी शहर पुलिस स्टेशन में 14 घटनाओं में आठ लड़कियों और छह लड़कों के अपहरण की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिसमें पुलिस ने 11 लोगों को तलाश कर लिया है। इसी प्रकार भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन में तीन घटनाओं में दो लड़कियां व एक लड़के के अपहरण का मामला दर्ज किया गया है। जिसमें पुलिस ने दो लोगों को तलाश कर लिया है। निजामपुर पुलिस स्टेशन में 11 घटनाओं में पांच लड़कियां और छह लड़कों के अपहरण का मामला दर्ज किया गया है, जिसमें पुलिस ने 10 बच्चों का पता लगाने में सफल रही है। नारपोली पुलिस पुलिस स्टेशन में आठ घटनाओं में पांच लड़कियों एवं तीन लड़कों के अपहरण का मामला दर्ज किया गया है। जिसमें पुलिस ने छह घटनाओं को हल कर लिया है। शांतिनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज 13 अपहरण की घटनाओं में आठ लड़कियों का और पांच लड़कों का अपहरण हुआ है| जिसमें पुलिस सभी 13 घटनाओं को हल करने में सफल हो गई है, इसी प्रकार कोनगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज दो मामलों में एक लड़की एवं एक लड़के की अपहरण शिकायत दर्ज की गई है। जिसमें पुलिस ने एक घटना हल कर लिया है।
ज्ञात हो कि पिछले कई महीनों से भिवंडी में नाबालिग बच्चों के अपहरण की घटनाएं काफी बढ़ी हैं। जो यहां के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। उसमें कई छोटे-छोटे बच्चों को खाने का लालच देकर तो कई नाबालिग लड़कियों को विवाह का झांसा देकर उनका अपहरण कर लिया जाता है। इस वर्ष पिछले चार महीने में पुलिस जिन आठ बच्चों का पता लगाने में अभी तक सफल नहीं हुई है, उसमें पांच अल्पवयीन लड़कियां हैं। इसी प्रकार वर्ष 2018 में चार महीने में गायब छह अल्पवयीन लड़कियों का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है।
सामाजिक कार्यकर्ता एडो. जयश्री जयवंत का मानना है कि मजदूर बहुल शहर में रहने वाले अधिकतर मजदूर पति-पत्नी परिवार चलाने के लिए दोनों काम करने के लिए चले जाते हैं। जिसके कारण उनके छोटे-छोटे अल्पवयीन बच्चे घर पर ही रहते हैं उनकी देखरेख करने वाला घर पर किसी के न रहने के कारण उनके अपहरण की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। मजदूरों को काम करने के लिए घर से जाने के पहले अपने बच्चों के सुरक्षा की व्यवस्था पहले करनी चाहिए इस कार्य में अभिभावकों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है।
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