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मुंबई। आज बेस्ट समिति की बैठक में बोनस को लेकर हंगामा हुआ। जिसके चलते सभा को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। अब बेस्ट कर्मचारियों के बोनस का फैसला आज होगा। इस हंगामे के चलते किसी विषय पर चर्चा नहीं हो सकी। महाव्यवस्थापक ने कहा की बीएमसी आयुक्त से बोनस को लेकर अनुरोध करेंगे। बेस्ट समिति की बैठक शुरू होते ही सुहास सावंत ने कर्मचारियों के बोनस की बात उठायी। उन्होंने कहा कि हम चाहते है कि किसी भी हाल में कर्मचारियों को बोनस मिले। सभी सदस्यों ने एकजुट होकर कर्मचारियों को बोनस देने की बात दोहराई। जबकि महाव्यवस्थापक सुरेंद्र बागड़े ने बेस्ट की तिजोरी को खाली बताते हुए हाथ खडे कर दिए। प्रशासन का रुख बोनस न देने की ओर बढ़ता देख सभी सदस्य, बोनस दो, बोनस दो के नारे लगाने लगे।  समिति सदस्य सुनील गणाचार्य ने अधिकारियों को आडे हाथों लेते हुए कहा कि आप लोगों में किसी प्रकार की इच्छा शक्ति बची नहीं दिखती जिसके चलते आप लोग हर बार हाथ खड़े कर देते हो। राज्य सरकार के सभी विभाग चाहे वे घाटे में हों या फायदे में हर कर्मचारी को बोनस मिल रहा है, फिर रात दिन मेहनत करने वालों को हम क्यों नहीं बोनस दे पा रहे हैं।
समिति सदस्य राजेश कुशले ने कहा कि हर कोई जीवन में आगे बढ़ता है, यहां उपस्थित हर किसी ने तरक्की की है, पर बेस्ट में तो मामला दूसरा ही चल रहा है। अगर हम अपने मेहनती कर्मचारियों को बोनस नहीं दिला पाए, तो बेकार है हमारा सदस्य होना, बोनस न मिलने पर मैं इस्तीफा दे दूंगा।सुहास सावंत ने कहा कि अगर हम अपने कर्मचारियों को बोनस नहीं दे सके तो वे बहुत नाराज हो उठेंगे। और त्यौहार के समय पर उन्हें मनाने हर किसी सामने आना होगा। हम बहुत मामूली रकम 5 हजार रुपए मांग रहे हैं, अगर प्रशासन ने बोनस की घोषणा नहीं की तो फिर सोमवार से बसें नहीं चलेंगी।महाव्यवस्थापक सुरेंद्र बागड़े ने कहा प्रशासन भी अपने कर्मचारियों को बोनस देना चाहता है, पर जब हमारे पास पैसे नहीं हैं तो हम कहां से लाएं। हमारे पास पैसे छापने की मशीन तो नहीं है। फिर भी मैं महानगरपालिका आयुक्त अजोय मेहता से बात करके बोनस देने की मांग करूंगा।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष बेस्ट उपक्रम ने अपने कर्मचारियों को साढ़े पांच हजार सानुग्रह अनुदान (बोनस) दिया था। इसके लिए बीएमसी ने बेस्ट को 35 करोड़ रुपए दिए थे। बाद में प्रशासन ने प्रति महीने 500 रुपए के हिसाब से कर्मचारियों के वेतन से काट लिया गया।
बेस्ट उपक्रम में 41 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। 35 हजार कर्मचारी परिवहन विभाग में और 6 हजार कर्मचारी विद्युत विभाग में कार्यरत हैं। ऐसे में अगर बोनस देना कहते हैं तो उन्हें 22 करोड़ रुपए का प्रावधान करना पड़ेगा। 

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