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अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर ने कृतज्ञतास्वरूप सत्कार का उत्तर देते हुए कहा कि वर्ष 2008 में कथित ‘हिन्दू आतंकवाद’ का हव्वा निर्माण कर अनेक निर्दोष हिन्दुआें को कारागृह में रखा गया । इस प्रकार कथित हिन्दू आतंकवाद के नाम पर बंदी बनाए गए युवक निर्दोष होंगे, तो हम उन्हें अवश्य ही छुडाएंगे; परंतु यदि वे अपराधी हैं, तब भी उनके हिन्दुत्व और उद्देश्य के विषय में शंका ना होने के कारण हम उनकी निःशुल्क कानूनी सहायता करेंगे, यह हिन्दू विधिज्ञ परिषद की भूमिका है । परिषद के अधिवक्ताआें में से किसी की भी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा नहीं है । अनेक अधिवक्ता, जो नेता और कथित हिन्दुत्वनिष्ठ कहलानेवाले संगठनों के दमनचक्र की बलि चढे हैं, वे केवल धर्मसेवा के रूप में हिन्दुत्वनिष्ठ युवकों के समर्थन में खडे हैं और आगे भी खडे रहेंगे । जिस प्रकार कथित ‘हिन्दू आतंकवाद’ की सच्चाई उजागर की गई, उसी प्रकार भ्रष्टाचारी, हिन्दुआें पर अन्याय और अत्याचार करनेवालों की सच्चाई जब तक उजागर नहीं की जाती, तब तक तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने तक परिषद के अधिवक्ता लडते ही रहेंगे ।

इस समय भारताचार्य सु.ग. शेवडे ने कहा, ‘हिन्दू बंधू हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर का आदर्श लें और उनके समान सर्वस्व का त्याग कर हिन्दुत्व का कार्य करें ।’ कार्यक्रम में अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने सत्कार का उत्तर देते हुए कहा कि हिन्दू विधिज्ञ परिषद एक आंदोलन है और हम हिन्दू धर्म, छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज के ऋणी हैं । उनका ऋण चुकाने तक हम धर्म का कार्य अखंड करते रहेंगे ।’


इस समय हिन्दू विधिज्ञ परिषद के सदस्य श्री. विक्रम भावे ने प्रतिकूल परिस्थिति में जब पूरे समाज में कथित हिन्दू आतंकवाद का हव्वा निर्माण हो रहा है, उस समय अधिवक्ता पुनाळेकर द्वारा किए गए कानूनी सहयोग तथा मिले आधार के विषय में अनुभव हुए क्षण व्यक्त किए । कार्यक्रम का शुभारंभ शंखनाद से किया गया । श्री. अरविंद पानसरे ने कार्यक्रम की प्रस्तावना तथा श्री. नित्यानंद भिसे ने आभार व्यक्त किया । गोवंश रक्षा समिति के श्री. दीप्तेश पाटील ने सूत्रसंचालन किया ।

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