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-पिछले 6 वर्ष में इस वर्ष सबसे कम रिकार्ड की गई बरसात

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। बारिश का आद्रा नक्षत्र समाप्ति की ओर है इसके बाद भी आसमान से बूंद न टपकने से अन्नदाताओं का माथा ठनक रहा है। उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही हैं। धान की पहले रोपाई करने वाले किसानों की पौध तैयार हो गई है लेकिन मौसम के दगा देने से वह धूल उड़े रहे खेतों में हरियाली लाने के प्रयास में पीछे हट रहे है। 41-43 डिग्री सेल्सियस का तापमान व उमस भरी गर्मी से समूचा जन-जीवन बेहाल है। हर कोई अब झमाझम बारिश पर आस टिकाए हुए है। इस संबध में कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि जून माह में यदि बारिश न हुई तो खरीफ फसल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। खासकर धान की रोपाई पिछड़ जाएगी। जुलाई माह का एक सप्ताह बीत गया है। पंद्रह जून से बारिश की दस्तक मानकर किसान खेती-किसानी की तैयारी में लग जाते है। काफी किसान बरसात के पानी से धान की नर्सरी डालने का अभी इंतजार कर रहे है। क्षेत्र में बहुतायत किसान धान की अगेती फसल तैयार करने के लिए नीजी श्रोत से पानी भरकर किसी तरह से धान की नर्सरी तैयार कर ली हैं। पिछले सालों के आच्छादन को देखा जाए तो जुलाई माह में जिले के लालगंज तहसील क्षेत्र में तकरीबन एक हजार हेक्टेअर क्षेत्रफल में धान की रोपाई कर ली जाती है। इस बार बारिश की बूंद न टपकने से धान की नर्सरी तैयार नही हो पाई है। कुछ किसान अपने नीजी श्रोत से धान की नर्सरी तैयार होने के बाद भी रोपाई नहीं कर पा रहा है। दो-चार दिन में बारिश न हुई तो किसानों की पौध भी बेकार हो जाएगी। जिले के प्रगतिशील रामलौटन सिंह, रामनगीना सिंह पटेल, भावंा के दिनेष सिंह पटेल आदि ने बताया है कि मौसम पिछड़ जाने से खेती-किसानी पर असर पड़ने लगा है। जमीन पूरी तरह से सूखी होने के कारण खेतो में धूल उड़ रही है। और कोई साधन नही है की पानी भरके रोपाई कर दी जाय। पानी के अभाव में मक्का सहित सब्जी के अन्य फसलें सूख गई है। किसानों का मानना है कि सप्ताह भर पानी न बरसा तो सुखे जैसे हालात हो जाएंगे। तापमान से राहत अधिकतम 41 - 43 व न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस के तापमान से जन-जीवन बेहाल है। बारिश के मौसम में तापमान में राहत की उम्मीद पाले लोगों का गर्मी ने सुख-चैन छीन लिया है। सुबह से आग उगलती भगवान भाष्कर की तेज किरणों के असर से बचने के लिए बाहर निकलने वाले लोग गमछा, चश्मा के साथ निकल रहे है। दोपहर में सड़कों में सन्नाटा पसरा रहता है। तालाब सूखे होने से पानी के लिए हाहाकार मचा है। पशु-पक्षी सहित जंगली जीव-जन्तु भी मौसम की बेरूखी का शिकार हो रहे है।



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