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सुप्रसिद्ध जनकवि एवं बी आर बी काँलेज समस्तीपुर के संस्थापक प्रधानाचार्य ढाँ० सुरेंद्र प्रसाद की 84 वीं जयंती आज बी आर बी काँलेज सभागार में धूमधाम से मनाया गया।कार्यक्रम की शुरूआत में डाँ० सुरेन्द्र प्रसाद की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया।
     मौके पर " जनकवि सुरेंद्र प्रसाद: व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषयक संगोष्ठी का आयोजन आइसा एवं जसम द्वारा किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता जसम के राज्य उपाध्यक्ष सह एल एन एम यू दरभंगा के कुलानुशासक डाँ० सुरेन्द्र प्रसाद सुमन ने किया।बतौर मुख्य वक्ता जानेमाने गीतकार नंद किशोर नंदन, महिला काँलेज के रिटायर्ड प्रिंसिपल डाँ० शंकर यादव, प्रो० जब्बार अली, प्रलेश के शाहजफर ईमाम, प्रो० दीपक मेहता, प्रो० राजेंद्र भगत, डाँ० रामदेव महतो, कर्मचारी संध के रामभरोश शर्मा, गोपगुट के हरिकांत झा, श्रीमति तारा देवी( डाँ० सुरेंद्र की पत्नी) बी आर बी छात्रसंध के अध्यक्ष सह आइसा नेता मनीष कुमार, महासचिव अविनाश कुमार, आइसा जिला सचिव चंदन कुमार बंटी, अमरजीत कुमार, जितेन्द्र सहनी, रंगत कुमार, प्रिती कुमारी, आइसा प्रभारी सह इनौस जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, जयप्रकाश भगत, भाकपा माले नेता फूलबाबू सिंह समेत अन्य वक्ताओं ने भी डाँ० प्रसाद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।
   वक्ताओं ने कहा कि आज जब राजनीति से विकास एवं जनसमस्या का स्थान धर्म ले लिया है।शिक्षा और रोजगार के बदले छात्रों को तलवार थमाया जा रहा है।खाने, पीने, पढने, बोलने, लिखने की आजादी पर हमले किये जा रहे हैं।ऐसे में डाँ० सुरेन्द्र की धर्मनिरपेक्ष विचार और रचना आद आती है।आज राजनीति में दिखावा, धनोपार्जन, शक्ति संचय, जातिवाद, अपराध, भ्रष्टाचार हावी है।ऐसे में डाँ० सुरेन्द्र का सादा जीवन व उच्च विचार के सिद्धांत से सीख लेते हुए हमें शिक्षाजगत से लेकर राजनीति में व्यापक सुधार के लिए कदम उठाना होगा।गीतकार नंदन ने कहा की डाँ० सुरेन्द्र की रचना बताता है कि जबतक धर्म, कर्मकांड  जैसे आडंबर को तिलांजलि नहीं देंगे तबतक नये भारत का निर्माण नहीं होगा।उन्होंने कहा कि जो दिखता नहीं वो हमारी सहायता कैसे करेगा।परिश्रम, पुरुषार्थ, धर्मनिरपेक्ष विचार आदि से ही विकसित भारत बनेगा और इसमें डाँ० सुरेंद्र की रचना हमेशा क्रांतिकारियों के लिए पथ प्रदर्शक बना रहेगा।

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