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समस्तीपुर, हिन्दुस्तान की आवाज , राजकुमर राइ

सेन्ट्रल डेस्क  :  गांव में एक कहावत सुनने को मिलता  है कि लोकतंत्र में 50 घोड़ों से 51 गधों की मूल्य अधिक होती है लेकिन यह कहावत कर्नाटक में उल्टा सिद्ध हो गया ।कर्नाटक में राज्यपाल ने जिस तरह श्री येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई  और बहुमत साबित करने के लिए उन्हें १५ दिनों का समय दिया,यह एक अभिनय या नाटक के सिवा और कुछ भी नहीं कहा जा सकता।जाहिर है कि उन्हें बहुमत नहीं है।फिर भी यह सब हो रहा है।
दूसरी ओर कांग्रेस व जेडीएस के गठबंधन की संभावित सरकार को रोका जाना भले ही परम्परागत हो पर ऐसा नाटक लोकतंत्र के लिए  जोखिम भरा है। सत्ता की दावेदारी  कर रही कांग्रेस ने भी   धरना  सत्याग्रह के जरिए भाजपा  के नाटक का जवाब नाटक से दिया है।
उधर न्यायालय ने भी अपनी गरिमा व परम्पराओं को लांघ कर रात्रि में सुनवाई का नाटक ही किया है।यदि न्यायालय को रात्रि में सुनवाई करनी ही थी तो येदियुरप्पा के शपथ पर रोक  लगाई जानी चाहिए थी।
अब लोगों की नजर इस बात पर टिकी है कि न्यायालय मुख्यमंत्री येदुरप्पा को खारिज करती है या फिर राज्यपाल के आदेश को ही कुछ संशोधनों के साथ लागू करती है।
उधर येदियुरप्पा ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बहुमत साबित कर अगले ५वर्षों तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का दावा किया है। येदियुरप्पा के हाव भाव को देखने से ऐसा लगता है कि यह भी एक नाटक है।
सवाल है अब संभावनाएं क्या है?
संभावनाएं यह बनती हैं कि न्यायालय ,बेंच में अपील करने की छूट के साथ राज्यपाल के निर्णय को खारिज करेगी या फिर राज्यपाल के निर्णय पर मुहर लगा देगी।तब सब लोग यही कहेंगे कि यह सब नाटक ही तो था।
तीसरी संभावना बनती है कि विधान  सभा में संख्या बल की कमी दिखलाकर संख्या बल के समक्ष  येदियुरप्पा सर झुकाएंगे और त्याग पत्र दे देंगे।इस तरह एक नाटक का पटाक्षेप होगा और सरकार बनाने का दूसरा नाटक शुरू होगा। अंत में एक और नाटक खेले जाने की आशंका है वह है विधायकों को अपने पक्ष में करने हेतु पद व पैसे का लोभ देने का एक और नाटक जिसकी संभावना कम दिखती है क्योंकि कांग्रेस गठबंधन के विधायकों पर कड़ी नजर रख रही है।कुल मिलाकर लगता नहीं है कि अमित शाह का कोई जादू चल पायेगा ।
पर  यदि येदियुरप्पा की सरकार नहीं बनी तो अंतिम अस्त्र  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का  चलेगा और उनकी सरकार येदियुरप्पा के हटते ही राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करेगी।अंततः कर्नाटक में  राष्ट्रपति शासन सुनिश्चित है।

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