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भिवंडी,हिन्दुस्तान की आवाज,एम हुसेन

भिवंडी।  भिवंडी स्थित  आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सत्संग में  स्वामी श्री आत्मानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि मानव योनि, भोग योनि और कर्म योनि दोनों है। मंत्र जाप से जीव को मुक्ति मिल सकती है ।माया से मनुष्य को स्वयं पार पाना कठिन होता है ।भागवत कथा के श्रवण से सभी जीवो को  मुक्ति मिल सकती है। इसीलिए सत्संग से विवेक की प्राप्ति होती है। जिससे मानव अपने जीवन को संवार और सुधार सकता है।
         भिवंडी शहर स्थित मंगलमूर्ति मैरिज गार्डन, सोना देवी कांप्लेक्स, दांडेकर कंपनी ,कल्याण रोड पर श्रीमद् भागवत सत्संग कथा का आयोजन 25 मार्च से 3 अप्रैल तक प्रतिदिन सायंकाल  7 बजे से रात्रि 10 बजे तक किया गया है। विगत 18 वर्षों से भिवंडी में भागवत कथा हो रही है। जिसमें भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है। कथा स्थल पर उपस्थित भक्त श्रोताओं को कथा सुनाते हुए श्री परम पूज्य परमहंस संत शिरोमणि श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी आत्मानंद सरस्वती जी महाराज( काशी) ने बताया कि सच्चाई ईमानदारी से रहना होगा। धोखा बेईमानी करने से जीवन बर्बाद होगा। परिवार रिश्तेदार सब माया के ठग हैं ।जीव को अपने पराए में फंसाकर जीव को माया में बांध रखा है। माया से पार पाना कठिन है। केवल भागवत कथा व सत्संग से ही जीव को मुक्ति मिल सकती है । घमंड की लड़ाई परिवार में नहीं होनी चाहिए ।प्रत्येक मनुष्य को बुद्धिमानी व विनम्रता से काम लेना चाहिए ।मंत्र जाप से जीवन में मुक्ति मिल सकती है। हरि कीर्तन की ज्योति जलाए रखने में ही भलाई है। राक्षसी प्रवृत्ति से इसी हरि कीर्तन से मुक्ति मिल सकती है, क्योंकि आत्मा अविनाशी है यह नष्ट होती है और न मरती है। मन में ईश्वर की अपार भक्ति और धारणा प्राप्त करने से सत्संग मिलता है। स्वामी जी ने हिरणाकश्यप और भक्त प्रहलाद की कथा का विस्तार से उदाहरण देकर भक्तों को समझाया कि किस प्रकार  से भगवान अनेक रूपों में प्रकट होकर के भक्तों की सहायता  करते हैं। स्वामी जी ने कहा कि गुरु की महिमा और उनके दिए हुए ज्ञान के भरोसे से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। संसार के ऊपर विजय पाना असली विजय नहीं है, क्रोध ,मोह, माया पर ही विजय पान असली विजय है। गुरु नाम परमात्मा का होता है। सद्गुरु दुनिया में परमात्मा के रूप में मानव कल्याण के लिए आते हैं। गुरुवार को हो रही कथा में स्वामी जी ने साईं बाबा को मानवता की सुगंध फैलाने वाला महान व अद्भुत संत बताया। स्वामी जी ने कहा कि अहंकारी राजा बलि से भगवान ने तीन कदम भूमि दान में मांगकर तीनो लोक नापने की कोशिश की इसलिए मनुष्य को कभी अहंकारी नहीं होना चाहिए। अपना सब कुछ परमात्मा को अर्पण कर दो। तन, मन, धन में मन सब का नायक है ।अभिमान पूर्ण दिया गया दान मंनुष्य को दरिद्र बना देता है। दान देने से कल्याण होता है। दान-धर्म सत्कर्म में कभी मनुष्य को बाधा नहीं डालनी चाहिए। राजा बलि के दान में ही मां गंगा का अवतरण हुआ था। कथा को सुनने के लिए दूर-दूर से स्त्री पुरुष बच्चों सहित  परिवार के साथ कथा स्थल पर पधार कर बड़े ही शांति पूर्वक ध्यान लगाकर कथा का रसपान करते देखे गए । कथा के मुख्य आयोजकों में आत्मप्रकाश जनकल्याण सत्संग समिति भिवंडी के अध्यक्ष संजय पाटिल, बाबाजी गुप्ता, ओमप्रकाश चौबे ,नंदलाल केसरवानी, डॉ जयराम गुप्ता, श्री कृष्ण चंद्र जायसवाल, दीपक पाटिल, माणिकचंद तिवारी, राम प्रकाश चौधरी ,बनारसी लाल केसरवानी व नरसी भाई पटेल आदि स्वयंसेवकों ने मिलकर कथा  आयोजन को सफल बनाने में अपनी मुख्य  भूमिका निभा रहे हैं।

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