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बहराईच, हिन्दुस्तान की आवाज, अनूप मिश्रा 

बहराइच विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के प्रतिनिधियों एवं प्रमुख सचिव (ऊर्जा) श्री आलोक कुमार के बीच आज शक्ति भवन में हुई वार्ता बेनतीजा रही। वार्ता के बाद संघर्ष समिति ने प्रबन्धन को स्पष्ट बता दिया है कि बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं का आन्दोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लेती।
प्रमुख सचिव (ऊर्जा) एवं पावर कारपोरेशन के चेयरमैन श्री आलोक कुमार के बुलावे पर आज शाम शक्ति भवन में संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों एवं प्रबन्धन के बीच विस्तृत वार्ता हुई। वार्ता के दौरान संघर्ष समिति ने कहा कि विद्युत वितरण के निजीकरण एवं फ्रेन्चाईजी का प्रयोग पूरे देश में विफल हो चुका है। उदाहरण देते हुए संघर्ष समिति ने कहा कि उड़ीसा में निजी कम्पनियों की अक्षमता के चलते उनके लाईसेन्स नियामक आयोग रद्द कर चुका है। इसी प्रकार औरंगाबाद, जलगांव, भागलपुर, उज्जैन, ग्वालियर और सागर के अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेन्चाईजी के करार फ्रेन्चाईजी की विफलता के कारण नियामक आयोग रद्द कर चुका है। समिति ने कहा कि आगरा में भी बड़ा घोटाला चल रहा है जिसकी उच्चस्तरीय जांच होना जरूरी है। ऐसे में आगरा फ्रेन्चाईजी का हवाला देकर पांच अन्य शहरों व सात जनपदों का निजीकरण करना और बड़े घोटाले को जन्म देगा।
संघर्ष समिति ने कहा कि प्रदेश की बिजली व्यवस्था में कारगर सुधार हेतु संघर्ष समिति गुजरात माॅडल और पटियाला माॅडल के आधार पर सुधार के प्रस्ताव काफी पहले दे चुकी है। उप्र सरकार को सात जनपदों व पांच शहरों के निजीकरण के फैसले को वापस लेना चाहिए और कर्मचारियों व अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर गुजरात व पटियाला माॅडल के आधार पर कार्य योजना तैयार करनी चाहिए तभी वास्तविक सुधार हो सकेगा। संघर्ष समिति ने कहा कि गुजरात व पटियाला दोनों ही स्थानों पर लाइन हानियां 12 प्रतिशत से कम हैं और दोनों ही स्थानों पर सरकारी क्षेत्र की कम्पनियां काम करती हैं। ऐसे में उप्र में निजी फ्रेन्चाईजी का क्या औचित्य है।
वार्ता में प्रबन्धन की ओर से प्रमुख सचिव (ऊर्जा) के साथ प्रबन्ध निदेशक अपर्णा यू और निदेशक (कार्मिक) एस पी पाण्डेय उपस्थित थे। संघर्ष समिति की ओर से शैलेन्द्र दुबे, राजीव सिंह, गिरीश पाण्डेय, महेन्द्र राय, मो इलियास, करतार प्रसाद, पी एन तिवारी, परशुराम, पी एन राय, आर एस वर्मा मुख्यतया उपस्थित थे।

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