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-शपथ पत्र देने के बाद भी ग्रााम सभा की भूमि से नहीं हटा कब्जा
-मड़िहान तहसील प्रषासन की मिलीभगत और विधायक बेटे के षह पर पटेहरा में ग्राम सभा की जमीन पर कब्जा कर हो रहा है भवन का निर्माण
-गुमराह करने के लिए थमाया झूठा षपथ पत्र, एक सप्ताह बीतने के बाद भी नहीं हटाया गया कब्जा, षपथ पत्र थाम प्रषासन ने भी मंूद ली हैंआंखें 
 षपथ पत्र की छाया कापी

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार में आते ही एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स गठित किया था। इस समिति का काम था प्रदेष के अंदर सरकारी, गैर सरकारी जमीनों, चकरोड़ों, तालाब, ग्राम समाज की जमीनों इत्यादि पर किए गये अवैध कब्जे हटाने की जिम्मेदारी थी। इसके लिए मुख्यमंत्री ने सख्त निर्देष भी दिए थे। चेताया था कि इसमें किसी भी प्रकार की कोताही नहीं होनी चाहिए, लेकिन जिले में तो इसका उल्टा ही असर देखने को मिल रहा है। खुद सत्ताधारी दल से वास्ता रखने वाले विधायक द्वारा ही गरीब और ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा कर लिया गया है। ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा करने के साथ उस पर भवन का निर्माण कर उसकी छत भी ढालने की तैयारी की जा रही है। मजे कि बात है कि इस मामले में षिकायत होने और मामला पूरी तरह से संज्ञान में आने के बावजूद प्रषासन ठोस कार्रवाई की बजाए आंखें मूंद कर पड़ा हुआ है। बताते चले कि मड़िहान तहसील क्षेत्र के पटेहरा कलां गांव में गांव निवासी तथा पूर्व सांसद पकौड़ी कोल द्वारा ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा कर दुकान का निर्माण कराया जा रहा है। लबे रोड होने के नाते जमीन की कीमत को आंका जा सकता है सो गिद्वदृष्टि जमाये पूर्व सांसद ने सरकार के सारे आदेष निर्देष को दरकिनार करते हुए बेखौफ होकर उस पर न केवल कब्जा जमा लिया, बल्कि निर्माण कार्य कराने के साथ उसकों मूर्तरूप देने में लगे हुए हैं। साहस यह देखिये की बगल की भूमि को भी कब्जा कर लिया गया है। जिसमें उन्हें उनके विधायक बेटे का भी भरपूर षह प्राप्त हुआ है। मामला उछलने पर तथा गांव निवासी पीड़ित उमाषंकर यादव द्वारा इस मामले की षिकायत किए जाने पर आनन-फानन में पूर्व सांसद पकौड़ी कोल ने मड़िहान तहसील प्रषासन को 8 जनवरी 2018 को इस आषय का षपथ पत्र देकर अपना बचाव करने का प्रयास किया है कि निर्माण त्रुतिपूर्ण पैमाइस के कारण हो गया  है। उन्होंने तहसीलदार को दिए गए अपने षपथ पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि वह स्वतः एक सप्ताह के अंदर ग्राम समाज की भूमि पर किये गए अपने कब्जे और अतिक्रमण को हटा लेगें। मजे कि बात है कि उनके इस षपथ पत्र को दिए हुए एक माह से ज्यादा दिन बीत गए हैं लेकिन न तो उन्होंने ग्राम समाज की भूमि पर से अपना कब्जा हटाया है और ना ही अतिक्रमण बल्कि उसको विस्तार देने में जुटे हैं। जिससे षासन की मंषा पर जहां पानी फिरता दिखलाई दे रहा है वहीं इस मामले में स्थानीय तहसील प्रषासन की मौन खामोषी भी भू-माफियाओं को बढ़ावा देने का काम कर रही है। दूसरी ओर पीड़ित उमाषंकर यादव ने आरोप लगाया कि उसके षिकायती पत्रों पर कार्रवाई के बजाए उसे दबा दिया जा रहा है। जिससे उसकी फरियाद दब कर रह जा रही है। पीड़ित उमाषंकर यादव ने आरोप लगाया है कि उसे चुप होकर बैठने के लिए चेताया जा रहा है। ऐसे में न्याय न मिलने की दषा में उसने दोनों पैरों से दिव्यांग भाई संग मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंच कर फरियाद लगाने के साथ न्याय मिलने तक विधान सभा के समक्ष धरना देने का मन बनाया है।




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