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-अंधाधंुध खनन के चलते अपनी प्राकृतिक सुंदरता एवं औषधियों के लिए विख्यात पहाड़ियां खंडहर में हो रही हैं तब्दील             

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। सूबे मंे सरकार बदलने के बाद भी जिले में अवैध खनन का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। अवैध खननकार्य में जुटे खनन माफिया जिले के मड़िहान, अहरौरा, हलिया के साथ ही साथ पहाड़ी ब्लाक के कई इलाकों में बेरोकटोक खनन करने में दिन-रात एक किए हुए हैं। मजे कि बात है कि मामले की जानकारी होने के बावजूद विभागीय अधिकारी कारवाई करने की बजाय चुप्पी साधे हुए हैं जिसका असर यह है कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता, छटा एंव औषधियों के लिए विख्यात मीरजापुर जिले की पहाड़ियां दिनोंदिन तेजी के साथ खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं। बता दे कि उत्तर प्रदेश में सरकार किसी भी पार्टी की हो खनन माफियाओं का दबदबा सभी सरकारों में कायम रहता है। सत्ता बदलते ही वह सत्तसीन दलों के गले का हार बन जाते हैं। यही वजह है कि पिछले 20 वर्षों से खनन माफिया ने अवैध खनन के खेल में काफी सक्रिय होने के साथ-साथ अपना मजबूत नेटर्वक भी खड़ा कर लिया है। जिससे जिले की पहचान और प्राकृतिक सुंदरता पर ग्रहण लगता दिखलाई देने लगा है। जनपद के मड़िहान, अहरौरा, हलिया व पहाड़ी ब्लाक की हरी-भरी पहाड़ियों को दिनदहाड़े ब्लास्टिंग कर धड़ल्ले से खनन कराया जा रहा है। जहां से प्रतिदिन कई ट्रक गिट्टी व पटिया पहाड़ों से निकालकर बिना परमिट के सप्लाई कर दिया जा रह है। हलिया के भैंसोड़ बलाय पहाड़, सोनगढ़ा, बंजारी, सुखडा, अहूगीकलां, मड़िहान के देवरी, आदि स्थानों पर खनन माफियाओं द्वारा अपने लोगों के माध्यम से अवैध खनन कराया जा रहा है। जहां पहाड़ों को तोड़ कर उन्हें खोखला तो किया ही जा रहा है कीमती लकड़ियों को भी नष्ट कराने का कार्य हो रहा है। जिस पर अंकुश लगाने वाला कोई अधिकारी तो फिलहाल नहीं ही दिखलाई दे रहा है। कभी-कभी हो हल्ल मचने और दबाव पड़ने पर अधिकारी खानापूर्ति करते हुए छापेमारी कर दो चार ट्रक या ट्रैक्टर को पकड़कर सीज कर देने के साथ कोरम पूरा कर शांत हो जाते हैं। ऐसे में खनन माफियाओं का हौसला बढ़ता ही जा रहा है। जिसका असर यह है कि मौका मिलते ही फिर से खनन शुरू करा देते हैं। क्षेत्रीय ग्रामीणों की माने तो संबंधित अधिकारियों से लेकर इलाकाई पुलिस की सांठगांठ होने से इनके खिलाफ षिकायत का भी कोई असर नहीं  होता, उल्टे खनन माफिया ग्रामीणों और षिकायतकर्ताओं को ही धमकाना षुरू कर देते हैं जिससे इनके खिलाफ कोई मुंह नहीं खोलना चाहता है। सूत्रों की माने तो दिन के उजाले में खनन तो कराया ही जा रहा है रात के अंधेरे में भी धड़ल्ले के साथ खनन कराया जा रहा है। बताते चले कि खनिज नियमावली में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि जिन स्थानों पर खनन का कार्य पूरा हो चुका है उनको मिट्टी व अन्य पत्थरों से भरा जाएगा, लेकिन यहां किसी भी खननकर्ता को इसकी फिक्र नहीं है। खननस्थल के गड्ढों में बरसात के समय में पानी भर जाने से बराबर जनधन की हानी का भय बना रहता है। बावजूद इसकी ओर न तो खननकर्ता ध्यान देने की जहमत उठाना चाहता है और ना ही जिले के अधिकारी। ऐसे में अक्सर खननस्थल के गड्ढे में डूबने से बच्चों और पशुओं के मौत की प्रबल संभावना बनी रहती है।



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