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दाऊदी बोहरा वीमंस एसोसिएशन फॉर रिलीजियस फ्रीडम (डीबीडब्ल्यूआरएफ) की राजकोट, मुंबई, इंदौर और अहमदाबाद स्थित शाखाओं में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (एफजीएम) को लेकर जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए मुहिम शुरू की गई। दाऊदी बोहरा वीमंस एसोसिएशन फॉर रिलीजियस फ्रीडम (डीबीडब्ल्यूआरएफ) एक ऐसा ट्रस्ट है, जो दाऊदी बोहरा समुदाय की महिलाओं की आवाज का प्रतिनिधित्व करने हेतु गठित किया गया है। वर्तमान में इसके सक्रिय समर्थकों के रूप में ट्रस्ट के 65,000 से अधिक सदस्य हैं।

यह जागरूकता अभियान (एक देशव्यापी उपक्रम) महिला खतना (एफसी, जिसे खफ्ज़ भी कहा जाता है) और एफजीएम के बीच फर्क को लेकर विचार-विमर्श तथा संवाद को प्रोत्साहन देने की दिशा में कार्य करेगा। खफ्ज़ दाऊदी बोहरा समुदाय की एक निरापद सांस्कृतिक एवं धार्मिक प्रथा है। अभियान के दौरान इंटरनेशनल डे ऑफ ज़ीरो टॉलरेंस फॉर फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन भी मनाया गया। यह संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रायोजित दिवस है जो पूरे विश्व में एफजीएम को लेकर जागरूकता फैलाने के इरादे से मनाया जाता है।

चार शहरों में चलाए गए अभियान को लेकर अपनी राय जाहिर करते हुए डीबीडब्ल्यूआरएफ की सचिव समीना कांचवाला ने कहा- “दाऊदी बोहरा समुदाय स्पष्ट रूप से यह कहता है कि वह एफजीएम और इसके तरफदारों के पूरी तरह से खिलाफ है और हर उस प्रथा की सख्त मजम्मत करता है जो महिलाओं का शोषण अथवा उन्हें गुलाम बनाने का लक्ष्य लेकर दुनिया में कहीं भी चलाई जा रही हो। इंटरनेशनल डे ऑफ ज़ीरो टॉलरेंस फॉर फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन के अवसर पर हम देश के अलग-अलग इलाकों में जमा हुए। ऐसा न सिर्फ एफजीएम के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से किया गया बल्कि यह स्थापित करने के लिए भी लोग एकजुट हुए कि दाऊदी बोहरा समुदाय की एक हानिरहित सांस्कृतिक एवं धार्मिक प्रथा ‘खफ्ज़’ एफजीएम से बिलकुल अलहदा चीज है। अतीत में दाऊदी बोहरा महिलाएं विभिन्न समूहों द्वारा चलाए गए गलत सूचना-अभियानों का बार-बार शिकार होती रही हैं और इसके चलते उनका एक स्टीरियोटाइप बनने लगा, जिसका परिणाम यह हुआ कि समुदाय की महिलाओं के प्रति जनाक्रोश उभरने लगा था। हम तथ्यों के आधार पर संवाद, विचार-विमर्श तथा अभियान चलाने के हामी हैं। हमारी हमेशा से यही गुजारिश रही है कि हमारी सांस्कृतिक एवं धार्मिक प्रथाओं को उसी सम्मान की दृष्टि से देखा जाए, जैसा कि हम सभी संस्कृतियों और धर्मों के प्रति प्रदर्शित करते हैं।”
- शमा ईरानी

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