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-श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करते संत महात्मा व महिलाऐं

कन्नौज,हिन्दुस्तान की आवाज़,मोहित मिश्रा
कन्नौज। नगर के ऐतिहासिक सिद्वपीठ मां फूलमती देवी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन मंगलवार को शंकराचार्य मठ भानुपुरा पीठ के युवाचार्य स्वामी ज्ञानानन्द तीर्थ ने कहा कि विषमता को ह्रदयंगम नहीं करो, कान से सुनो और निकाल दो विषमता ही विष है। समाज में विषमता व्याप्त है। समता और विषमता साथ-साथ रहते हैं।
युवाचार्य ने कहा कि जन कोई सहायता नहीं होता तो ईश्वर आश्रय देता है। अन्तिम समय में भगवान का नाम मदद करता है। पुराण कान के मार्ग से ह्रदय में पहुंचता है। समुद्र मंथन प्रसंग की चर्चा करते हुए युवाचार्य ने कहा कि कछुआ अपनी इन्द्रियों को विपत्ति में समेट लेता है जब अनुकूलता होती है तो फैला देता है कछुआ जहां अण्डे रहते है वहां नहीं रहता है यह संसार परमात्मा का अण्डा बच्चा है। इसलिए समुद्र मंथन में कछुआ आधार बन गया। उन्होने कहा कि माताओं को कभी शंख नहीं बजाना चाहिए माताऐं शंख बजायेगी तो लक्ष्मी रूठ जायेंगी। लक्ष्मी का भाई शंख है शंख ध्वनि सुनने से सबका मंगल होता है। शंख कभी ठोकना नहीं चाहिए। महिलाओं को शीख देते हुए स्वाती जी ने कहा कि पत्नी पति होकर रहे चाहे सम्पत्ति हो या न हो। सम्पत्ति कभी स्थिर नहीं होती है पति पत्नी में समनवय रहेगा तो सम्पत्ति स्वतः आ जायेगी। यज्ञाचार्य पण्डित राधेश्याम मिश्र के संयोजन मंे सतचण्डी महायज्ञ के मण्डप में आहूतियां दी गयी। पूरे दिन भक्तो ने श्रद्वा पूर्वक यज्ञ मण्डप की परिक्रमा की स्वामी श्यामानन्द, स्वामी ब्रहम्मानन्द, स्वामी प्रभु प्रेमानन्द, स्वामी शंकरानन्द सहित बडी संख्या में दण्डी स्वामी मौजूद रहे। शाम सात बजे आयोजित किए गए सुन्दरकाण्ड पाठ से पूरा पाण्डाल भक्तीमय हो गया। आयेाजक शिखर मिश्रा ने बताया कि बुधवार को शाम 7 बजे कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है इससे पूर्व सायं 4 बजे नगर के सभी मंदिरों के पुजारियों का सम्मान किया जायेगा।

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