Ads (728x90)

उन्नाव हिन्दुस्तानकीआवज़ रिपोर्ट मोहित मिश्रा

जनपद उन्नाव में किसी समय कल्याणी नदी से हजारों एकड़ भूमि की सिंचाई होती थी आज खुद को एक एक बूंद पानी को तरस रही है । वही यहाँ के किसानों ने नदी में फसल बोकर अपना कब्जा कर लिया है ।
मालूम हो कि एक दशक पहले सूसूमऊ , मुड़हा , कोइलीखेड़ा , काछियनखेड़ा , कोलवा , मंझरिया कला ,मथुरा नगरी, अदिलापुर , रायपुर नेवादा , ग्रामीण फतेहपुर चौरासी , शेरपुर अछिरछा , गौरीमऊ , अख्तियारपुर , शाहपुर खुर्द,बबुरिया, रहली,दलडल्हा,देवरिया,बुलापुर , माढापुर दोस्तपुर शिवली आदि सैकड़ों गाँवों की रवी की फसलों की सिंचाई कल्याणी नदी से होती थी ।
किन्तु मानसूनी बारिस के न होने के कारण आज कल्याणी नदी अपने आप में समाहित हो गयी है । वही यहाँ के किसानों ने भी नदी में अपने अपने खेत बना लिये हैं । करीब एक दशक पहले जहां हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई तो होती ही थी पास  और पड़ोस के गाँव के पशु भी पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते थे ।
वहीँ आज नदी खुद एक एक बूंद पानी को तरस रही है । नदी में शुरू से अंत तक कहीं प्रवाह नाम की चीज नजर नहीं आती है केवल किसानों की फसले ही लहलाती नजर आती है ।कभी अपनें आस पास के गाँवो के किसानों का कल्याण करनें के कारण कल्याणी नदी नाम पड़ा।
अब अपने नाम का अस्तित्व बचानें वाली भागीरथ का इन्तजार कर रही है ।धारा के आस पास के किसानों नें धारा की भूमि को या तो अपनें खेतों की सीमाओं को बढ़ा कर खेत में शामिल कर लिया है या फिर धारा को जोत खोद कर उसी में फसल बो दी है और उसमें अब फसल खड़ी लहलहा रही है ।
इतना ही नहीं शुरू से अन्त तक धारा में खड़ी फसलों पर शासन प्रशासन की नजरें नहीं पड़ रही हैं ।वैसे तो तालाबों पर खुदाई में ग्राम पंचायतों के जरिये सरकारें लाखों करोङों रुपया खर्च किया हैं लेकिन बिलुप्त हो रही इस कल्याणी नदी की धारा की सफाई करानें का किसी स्तर पर कोई प्रयास होता नजर नहीं आ रहा है ।
नदी के समीप रहने वालो का कहना है कि नदी के किनारे पशु चराते समय यदि गलती से भी पशु नदी में खड़ी फसलो में चला जाता है तो जिनकी फसलें है वो मार पीट पर उतारू हो जाते है ।
क्षेत्र के प्रधान अशोक कुमार यादव,कौशल कुमार ,बीरेंद्र कुमार,फूलचंद्र ,सहित अनेक किसानों और समाज सेवी रघुनाथ प्रसाद शास्त्री नें शासन प्रशासन से नदी की धारा में भरी सिल्ट को साफ़ करानें की माँग की है ।

Post a Comment

Blogger