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भिवंडी,हिन्दुस्तान की आवाज,एम हुसेन

भिवंडी।  पिछले कुछ दशकों से मुस्लिम समाज में विवाह संकट ग्रस्त विषय बन गया है। हालांकि, दूसरे विवाह को सामाजिक विवाह के रूप में एक विचित्र विवाह माना जाता है। अपने पहले पति की मृत्यु होने के बाद अपने बारह वर्षीय बेटे के साथ जीवन व्यतीत करने वाली राना तबस्सुम मुश्ताक अहमद शेख का विवाह गैबीनगर क्षेत्र में रहने वाले अख्तरुल्लाह पुत्र निजामुद्दीन अंसारी के साथ इस्लामी नियम के अनुसार 24 पूर्व 24 मार्च 2017 को सरपरस्ती अबरार अहमद शेख और गवाह शकील अहमद अंसारी और शमीम रजा यासीन मोमिन की उपस्थिति में संपन्न हुई।विवाह के बाद, राना तबस्सुम अपने पति अख्तरुल्लाह पुत्र सादिक अंसारी के साथ उनके पूर्व पत्नी के बच्चों के साथ जीवन व्यतीत करने लगी । कुछ दिन बाद, यह पता चला कि अख्तरुल्लाह अंसारी गुर्दा की बीमारी से पीड़ित हैं , और उन्होंने अपनी सेवा के उद्देश्य से विवाह किया है । इसके बाद ही, पहली पत्नी के बच्चों ने राना को और 12 वर्षीय बेटे मुजम्मिल का हर प्रकार से शोषण करना शुरू कर दिया । निकाह के सात महीने बाद अस्पताल में उपचार के दौरान दूसरे पति अख्तरुल्लाह निजामुद्दीन अंसारी की मृत्यु हो गई.पति के निधन के बाद उनकी पहली पत्नी के बच्चों तथा घर के अन्य लोगों के अत्याचार तथा इद्दत के दौरान महिला मंडल की एक महिला ने धमकी दी और घर से बाहर निकालने का प्रयास किया ।
उक्त अत्याचार से तंग आकर 17 नवंबर 2017 को राना तबस्सुम अख्तरुल्लाह पुत्र निजामुद्दीन अंसारी ने डीसीपी को ज्ञापन देकर शिकायत की है कि मेरे पति की पहली पत्नी जिसका निधन हो गया है । इसके चार बच्चे 'दामाद और बहू के बारे में उनके पति ने उन्हें बताया था.जिन के नाम (1)अजहरुल्हलाह अखतरुल्लाह अंसारी (पुरुष) (2) साईमह अजहरुल्लाह अंसारी (बहू) (3) खुशी जहीर अंसारी (लड़की) (4) जहीर शकील अंसारी (दामाद) (5) ईमानुल्लाह अख्तरुल्लाह अंसारी (पुरुष) (6) जोया (फिरदौस) अख्तरुल्लाह अंसारी (बेटी) है। पति की मृत्यु के बाद, परिवार के सदस्यों ने उन्हें और उनके बेटे का जीना हराम कर दिया । और मूझे व मेरे बेटे को लातघूंसो और कमर के पट्टे से मारते पीटते और जान से मारने की धमकी देते ।भोजन नहीं देते जबरदस्ती घरेलू काम करवाते और हर प्रकार से शोषण करते हम उसे सहन करते।
 क्योंकि मेरे माता-पिता स्वर्गीय हो चुके हैं और कोई करीबी रिश्तेदार नहीं है जो हमारी सहायता करता । तू और तेरा बेटा यहां से निकल जा क्योंकि तेरे पति की मृत्यु हो गई है इस घर से तेरा कोई संबंध नहीं है। यह कह कर, मेरे पति के परिवार वालों ने हमारा शारीरिक मानसिक शोषण करना शुरू कर दिया ताकि यहां से भाग जाएं । धार्मिक नियम के अनुसार चार महीने इद्दत की अवधि है उसे भी शांति से पूरा करने नहीं दे रहे थे।विवाह के समय मेरे चाचा चाची ने एक लाख रुपये नकद और आभूषण तथा 20 हज़ार कपड़ा आदि मुझे दिए थे जो मेरे पति के परिजनों के कब्जे में है । मेरे दूसरे पति अख्तरुल्लाह अंसारी ने मुझे और मेरे बेटे को स्वीकार किया परंतु हमें जीवन व्यतीत करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं किए। जिसके कारण अब हम मां बेटे को अब भूखों मरने का समय आगया हैं इसके लिए मेरे पति के परिजनों के सभी सदस्य जवाबदार हैं । राना तबस्सुम ने ज्ञापन में डीसीपी से अनुरोध किया है कि मेरे पति के परिजनों को पुलिस समझाए ताकि वह एक माँ के रूप में मुझे मेरे पति के घर पर रहने दें और अपने भोजन और जीवन की जरूरतों के लिए प्रति माह रकम आवंटित करें।
गौरतलब है कि पूर्व 28 नवंबर 2017 को जब बहुत अत्याचार हो गया और वह हमें हर हाल में घर से बाहर निकालने का षड्यंत्र रचकर औ महिला मंडल की एक महिला वैशाली मिस्त्री के माध्यम से मुझे भयभीत करने लगे तो मैंने अपने चाचा चाची को फोन पर सारा विवरण दिया। जब यह लोग मुझसे मिलने आए, तो परिवार ने सोशल वर्कर की महिला के माध्यम से पुलिस स्टेशन में हमारे विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई कि चाचा चाची इन्हें मारने के लिए गुंडे लेकर आए हैं । पुलिस ने हमारी चाची को जबरन घर से ला कर शांति नगर पुलिस स्टेशन में बिठाए रखा और चाचा जो शहर से बाहर काम के लिए गए थे उन्हें फोन करके परेशान किया कि यदि आप नहीं आए तो ऐसी धारा लगाएंगे ​​कि तुम्हारी जमानत भी नहीं होपाएगी। इस दौरान, जब चाचा चाची ने पुलिस से कहा कि उनके दूसरे पति के बच्चों के बच्चों ने रसोई बंद कर दिया और पीने के पानी को बंद कर दिया और उसे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं । अगर उनकी जिंदगी खतरे में है और हम इसे देखते हैं, तो हमारे विरुद्ध मुकदमा दायर क्यों किया गया, जबकि हमारा कोई दोष नहीं है, और विरोधियों के विरुद्ध हमारी फरियाद क्यों नहीं दर्ज की जा रही है । इस बात पर, शांति नगर के एपीआई रोहन गोंजरे ने महिला पुलिस को भेजकर मुझे यह कह कर बुलाया कि तुम्हारी शिकायत दर्ज कराई जाएगी और तुम्हें वापस तुम्हारे पति के घर छोड देंगे । जब मैं उनके साथ पुलिस स्टेशन आई तो मेरी शिकायत ली गई थी और पुलिस ने वैशाली मिस्त्री के माध्यम से पति के परिवार को बताया कि तुम लोग घर को ताला मारकर घर छोड़कर चले जाओ नहीं तो यह घर वापस पहुंच जाएगी । और जब मैंने पुलिस से कहा कि मुझे मेरे पति के घर छोड़ो जहाँ से मुझे लेकर आए हो तो पुलिस ने कहा कि यह हमारा काम नहीं है और मुझे उस दिन रात में लगभग चार बजे उलहास नगर नारी निकेतन में लाकर छोड़ दिया गया जहां मुझे अपने रिश्तेदारों से स्वतंत्र रूप से मिलने भी नहीं दिया जा रहा है तथा मेरी शिकायत पर न ही कोई कार्रवाई की जा रही है। मेरे पति के घर में इद्दत का समय पूरा करने के लिए मुझे समय नहीं दिया जा रहा है इस प्रकार से अत्याचार शांतिनगर पुलिस केवल इसलिए कर रही है कि उसने महिला सामाजिक कार्यकर्ता के माध्यम से आर्थिक व्यवहार कर लिया है और हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। दूसरी ओर राना तबस्सुम के परिजनों द्वारा ठाणे पुलिस आयुक्त, एंटी करप्शन ब्यूरो सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को शांतिनगर पुलिस स्टेशन के एपी आई रोहन गोनजरे के विरुद्ध उक्त मामले में एक तरफा कार्रवाई और राना तबस्सुम के दूसरे पति के परिवार की सहायता करने और हमारी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं करने के संदर्भ में शिकायत की है और तत्काल प्रभाव से इनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए अनुरोध किया है।
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