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मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। विंध्याचल राष्ट्रीय संत मोरारी बापू नवरात्र के चैथे दिन राम कथा मानव श्रीदेवी तत्व विवेचनी बिंदुवार दस महाविद्या नव दुर्गा के महत्त्व के आंतरिक भाव को समझाते हुए गुरु तत्व के मार्मिक शब्दों की व्याख्या करते हुए रामकथा का रसास्वादन कर श्रोता भाव विभोर हो गए परम पूज्य संत मोरारी बापू आसन ग्रहण करने के पूर्व एक बार यहां की सभी दैविक चेतना को प्रणाम करते हुए कहा कि मूल विचार को केंद्र में रखते हुए एक प्रश्न जो तीनो देवी यहां विराजमान है मां काली मां अष्टभुजा और मां विंध्यवासिनी इन तीनों में कौन सी मां सत्य है कौन सी मां करुणा है और कौन सी माफ प्रेम है यहां पर बिंद सत्य है जो अचर है विंध्य पर्वत गुरु के चरणों में झुका है इसलिए झुकने वाला सत्य है और जो व्यक्ति उठने लगता है और जो कामयाबी हासिल करने लगता है उसके अंदर गुरुर आने लगता है जो सब कुछ पाकर ऊंचाई की श्रेष्ठता पर जाकर भी गुरु के चरणों में नतमस्तक होता रहे वह सत्य है जो गर्व करता है वह गिरता है विंध्य पर्वत भी इन्हीं में से एक है यह भी धीरे-धीरे ऊपर उठता गया और एक समय ऐसा आया कि संसार में सूर्य की रोशनी न पड़ने से चारों तरफ अंधेरा और हाहाकार मचने लगा बापू ने कहा कि विंध्य पर्वत के गुरु अगस्त मुनि ने विंध्य पर्वत के पास आए तो विंध्य पर्वत ने झुककर मुनि को प्रणाम किया फिर मुनि ने कहा मैं किसी कार्य व स कहीं जा रहा हूं जब तक मैं ना आऊं तब तक ऐसे ही झुके रहना तब से स विंध्य पर्वत गुरु की साधना में लीन हो जाता है उसे किसी गुरु की आवश्यकता नहीं होती विंध्य पर्वत ही गुरु के सम्मान में झुका और सत्य हुआ स मेरे पास ऐसे कई लोग आए जो सत्ता से पहले झुक कर आशीर्वाद प्राप्त किए सत्ता पाने के बाद वह गुरु के पास दिखते भी नहीं इसलिए हमें गुरु का आदर और सम्मान करने से हमारा मार्ग प्रशस्त होता हैस यदि किसी के अंतह करण भक्ति की प्रवृत्ति आ जाती है तो उसके अंदर से हिंसा खत्म हो जाती हैस बापू ने अमृत कथा आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज इंसान चारभुजा का पूजा करने के लिए लालायित रहता है लेकिन घर में दो भुजा धारी अपनी पत्नी माता बहू बेटी और बहन से प्रेम करने से चूक जाता है जो हमारे सुख-दुख में हमेशा साथ देती हैस बापू ने कहा की बलि प्रथा बंद हो मां की शक्ति हर कण-कण में व्याप्त है बापू ने स्वच्छता अभियान के लिए कहां की स्वच्छता अभियान को हमारे ऋषि-मुनियों ने प्राचीन काल से ही स्वच्छता करते आ रहे हैं अब तो हमें सिर्फ उससे जुड़ने की आवश्कता है हमारे अंदर से बुराई निकाल दें तो सफाई हो जाएगी मुरारी बापू ने महात्मा गांधी जी के विचारों में कहां की खादी वस्त्र नहीं बल्कि एक विचार है हमें खादी वस्त्र ही धारण करना चाहिए बापू ने कहा कि गुरु व है जो शिष्य को सत्य की ओर ले जाए समुरारी बापू रविवार को 20 हजार से अधिक भक्तों को अपने अमृतवाणी दे रहे थे।
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