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मुंबई | बार-बार पटरी से उतरती हुई ट्रेनों को देखते हुवे देख सरकार अब लापरवाह अफसरों को पटरी से उतारेगी. सरकार ने इस बावत अफसरों को धमकाया भी. लगातार दो रेल हादसों के बाद मीडिया से मुंह छुपाते घूम रहे रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने अपना गुस्सा रेलवे के आला अफसरों पर निकाला. रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए देश भर के सभी 16 रेलवे जोन के महा प्रबंधकों के साथ साथ रेलवे बोर्ड के साथ मीटिंग भी लिया गया |
रेलवे अफसरों को रेलमंत्री ने कहा कि वो अपने आरामदायक दफ्तरों से बाहर निकलकर अगले सात दिनों तक रेलवे सेफ्टी से जुड़े तमाम पहलुओं की जांच-परख करें. इसी के साथ बैठक में ये भी तय किया गया कि अगले 10 दिनों तक देश भर में रात में चल रही सभी मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में एक सीनियर अफसर फुटप्लेट पर रहकर सेफ्टी की निगरानी का जिम्मा उठाएगा. रेल मंत्रालय ने रेलवे के सेफ्टी से जुड़े स्टॉफ को क्रेश कोर्स कराने का फैसला भी किया है. बैठक के दौरान रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने जाने-माने वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व चेयरमैन अनिल काकोडकर से रेलवे की सेफ्टी मुद्दों पर फोन पर बातचीत भी की और इसी के साथ प्रभु ने रेल के दूसरे जानकारों मसलन राइट्स चेयरमैन और आरवीएनएल के चेयरमैन से भी पटरी से उतरती ट्रेन के बारे में सलाह भी लिया |
रेलमंत्री ने विनोद राय की अध्यक्षता में सेफ्टी के मसले पर एक टॉस्क फोर्स बनाने का फैसला किया. ये टॉस्क फोर्स रेलवे के पूरे सेफ्टी तंत्र का अध्ययन करके इसकी खामियां दूर करने के बारे में अपनी रिपोर्ट देगी. रेलमंत्री ने रेलवे की विभिन्न लाइनों का सेफ्टी ऑडिट स्वतंत्र एजेंसियों से कराने के सुझाव पर भी गंभीरता से विचार किया है. इसके अलावा रेलमंत्री ने जापान के इंस्टीट्यूट आरटीआई और दक्षिण कोरिया के इंस्टीट्यूट केआरआरआई से अपनी एक्सपर्ट टीम भारत भेजने का आग्रह किया है. कोरियाई और जापानी एक्सपर्ट से भारतीय रेलवे में रेल हादसों को खत्म करने के बारे में सुझाव देने का आग्रह भी किया गया. इसके अलावा देश भर में सभी कन्वेंशनल कोचेज में कपलर बदलने का काम अगले चार साल में करने का भी फैसला किया गया है.

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