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2016-17 के खरीफ में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 366.64 लाखकिसानों ने बीमा कराया।


2.53 करोड़ स्‍वायल नमूना संग्रहण के लक्ष्य के सापेक्ष 27.12.2016 तक 2.33करोड़ संग्रहित किये जा चुके हैं

अब तक 7,131.21 करोड़ रूपये के 35,04,371.13 टन कृषि उत्‍पाद का कारोबारe-NAM पर हुआ


2015-16 के दौरान वार्षिक दुग्ध उत्पादन में 6.3% की वृद्धि दर्ज



केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री,  राधा मोहन सिंह ने आज नई दिल्लीमें उनके मंत्रालय द्वारा पिछले 30 महीनों में उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों औरकामयाबी की जानकारी देने के लिए संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस अवसर पर  राधा मोहन सिंह ने "30 महीने, नए कदम-प्रगतिशील कदम" नामक शीर्षक के साथ एक किताब जारी की।



केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पिछले 30 महीनों में उठाए गएमहत्वपूर्ण कदम निम्नलिखित हैं :-



1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:

इस योजना के तहत खरीफ 2015-16 में 309 लाख (294 लाख ऋणी व 15 लाखगैर ऋणी) किसानों ने बीमा कराया जबकि 2016-17 के खरीफ में प्रधानमंत्रीफसल बीमा योजना के तहत 366.64 लाख (264.04 लाख ऋणी व 102.60 लाखगैर ऋणी) किसानों ने बीमा कराया।

2. स्वायल हैल्थ कार्ड:

इस योजना के तहत मार्च 2017 तक 2.53 करोड़ स्‍वायल नमूना संग्रहण केलक्ष्य के सापेक्ष 27.12.2016 तक 2.33 करोड़ संग्रहित किये जा चुके हैं, जिनसे12.82 करोड़ कार्ड बनाए जा रहे हैं। अभी तक 4.25 करोड़ कार्ड वितरित किए जाचुके हैं। साथ ही 2014-16 के दौरान 460 प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा चुकीहै जबकि 2014 से पहले केवल 15 स्‍वीकृत की गई थी। 460 प्रयोगशालाओं केअतिरिक्‍त 4000 मिनी लैब भी राज्‍यों को स्‍वीकृत की गई हैं।

3. परंपरागत कृषि विकास योजना:

इस योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 2014 से तीन वर्षों केलिए 597 करोड़ रु आवंटित किए गये जिनसे 10,000 क्लस्टर बनाए जाने थे।दिसम्‍बर, 2016 तक 9186 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं।

4. राष्ट्रीय कृषि बाजार:



इस योजना के तहत 10 राज्यों की 250 मंडियो को सितंबर 2016 तक ई नामपोर्टल से जोड़ दिया गया है व 399 मंडियों के प्रस्तावों को स्वीकृति दी जा चुकीहै। जिसके लिए 93 करोड़ रूपये निर्गत किये जा चुके हैं। 27.12.2016 तक7,131.21 करोड़ रूपये के 35,04,371.13 टन कृषि उत्‍पाद का कारोबार e-NAMपर हो चुका है। 27.12.2016 तक 9,49,112 किसानों, 59,472 व्‍यापारियों और31,317 कमीशन एजेंटों को e-NAM प्‍लेटफार्म पर पंजीकृत किया जा चुका है।



5. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना:





इस योजना के तहत सूक्ष्‍म सिंचाई योजना के तहत 2013-14 में 4.3 लाखहैक्टेयर सूक्ष्म सिंचाई के अधीन लाया गया जबकि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाईयोजना के तहत 2014-16 में 12.74 लाख हैक्टेयर सूक्ष्म सिंचाई के अधीन लायागया है जो की 200 प्रतिशत की वृद्धि हैं। पीएमकेएसवाई स्‍कीम को कमान क्षेत्रविकास सहित दिसम्‍बर 2019 तक चरणबद्ध तरीके से 76.03 लाख हैक्‍टेयर कीक्षमता के साथ 99 वृहत और मध्‍यम सिंचाई परियोजना को पूर्ण करने केउद्देश्‍य से मिशन मोड में कार्यान्‍वित किया जा रहा है जो रु. 77,595 करोड़ कीलागत से पूरा होगा। वर्ष 2016-17 के लिए रु.12,517 करोड़ के माध्‍यम से 23 योजनाएं पूरी की जाएंगी।



6. मधुमक्खी विकास:



मधुमक्खी विकास के तहत 2012-14 में 1,48,450 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआजबकि 2014-16 में 2,63,930 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ जो कि 78 प्रतिशतकी वृद्धि है। नेशनल बी बोर्ड (एन बी बी) को मधुमक्खीपालन विकास के लिएपिछले तीन वर्षों (2011-12 to 2013-14) में कुल रुपये 5.94 करोड़ की वित्तीयसहायता के एवज में पिछले दो वर्षों (2014-15 व् 2015-16) में कुल रुपये 7.15 करोड़ की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गयी। मधुमक्खीपालन विकास केलिए वर्ष 2016-17 में एन बी बी को रुपये 12.00 करोड़ की वित्तीय सहायतामंजूर की गयी।



7. एफपीओ:



एफपीओ के तहत 2011-14 के दौरान (3 वर्षों में) 223 एफपीओ का पंजीकरणहुआ जबकि 2014-16 के दौरान (2 वर्षों में) 568 एफपीओ का पंजीकरण हुआ जोकि 155 प्रतिशत की वृद्धि है।



8. ज्वाइंट लाएबिलिटी ग्रुप को वित्तीय सहायता:

2007 से 2014 तक (7 वर्षों में) 6.7 लाख ज्वाइंट लाएबिलिटी समूहों की तुलना में2014 से 2016 (2 ½ वर्षों में) 18.21 लाख समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान कीगयी। 2007 से 2014 तक (7 वर्षों में) रु. 6630 करोड़ की संचित उपलब्धियों कीतुलना में 2014 से सितम्‍बर 2016 (2 ½ वर्षों) तक रु. 18,006 करोड़ की राशि कीवित्तीय सहायता संयुक्त देय समूहों को प्रदान की गयी।

9. बागवानी:

पिछले दशक में बागवानी के तहत क्षेत्र प्रति वर्ष लगभग 2.7 प्रतिशत बढ़ा है औरवार्षिक उत्‍पादन 5.5 प्रतिशत बढ़ा है। लगातार दो वर्ष 2014-15 व 2015-16 मेंसूखा पड़ने के बावजूद, बागवानी के उत्पादन में वृद्धि हुई है।

10. नारियल विकास:



इस वित्तीय वर्ष 2016-17 की शुरुआत से ही भारत नारियल तेल का निर्यातमलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका को करने लगा है, जबकि हम पिछले वर्ष तकइन्हीं देशों से नारियल तेल का आयात कर रहे थे। दुनिया में भारत नारियलउत्पादन में पहले स्थान पर आ गया है। नारियल क्षेत्र, उत्पादन और उत्पादकतामें क्रमश: 1.97 करोड़ हेक्टेयर, 20,439 बिलियन नट और 10,345 नट प्रतिहेक्टेयर है। साथ ही नारियल विकास बोर्ड (सीडीबी) के पुनर्रोपण और क्षेत्र कीकार्यकलापो में 2011-14 की तुलना में वर्ष 2014-16 के दौरान 33% की वृद्धि हुईहैं।

11. राज्य आपदा अनुक्रिया कोष (SDRF):



राज्‍यों को 2010-15 के दौरान राज्य आपदा अनुक्रिया कोष (SDRF) में रु. 33581 करोड़ निर्गत किये गये जबकि 2015-20 के दौरान रू. 61219 करोड़आवंटित किए गये हैं।



12 राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया कोष (NDRF):

राज्यों ने 2010-14 के दौरान राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया कोष (NDRF) से रु. 92044 करोड़ मांगे जिसके सापेक्ष रु. 12516 करोड़ निर्गत किए गये। जबकिराज्यों ने 2014-16 के दौरान रु 94787 करोड़ मांगे जिसके सापेक्ष रु. 24556करोड़ निर्गत किए गये।

13. नीम कोटेड यूरिया:

मोदी सरकार ने एक वर्ष में पूरे देश में अब नीम कोटेड यूरिया 100 % उपलब्‍धकराना शुरू कर दिया है। इससे यूरिया का अवैध रूप से रसायन उद्योग मेंदुरूपयोग समाप्‍त हो गया है। अब किसानों को यूरिया पर्याप्‍त मात्रा में मिलरहा है। नीम लेपित यूरिया के उपयोग से उत्‍पादन लागत में 10-15 % की भीकमी हो रही है। इसके उपयोग से उत्‍पादकता भी बढ़ेगी।

14. कृषि वानिकी:



हर खेत के “मेढ़ पर पेड़”, परती भूमि पर पेड़ तथा inter cropping में भी पेड़लगाने के उद्देश्य से पहली बार कृषि वानिकी उप-मिशन क्रियान्वित किया गयाहै। इस योजना के अन्तर्गत “मेड़ पर पेड़” अभियान को गति मिलेगी। इसकेअलावा खेत में फसलों / फसल तंत्र के साथ पट्टी एवं अंतरायिक रूप में पेड़ लगाएजाने का प्रावधान हैं। खेती योग्य बंजर भूमि में भी पेड़ लगाए जा सकते हैं।स्‍कीम का कार्यान्‍वयन उन्‍हीं राज्‍यों में किया जायेगा जिसमें इमारती लकड़ी केपरिवहन हेतु उदारीकृत परिवहन विनियमन हो और अन्‍य राज्‍यों में तभी लागूकी जायेगी जब उनके द्वारा छूट अधिसूचित की जाती है। अभी तक 8 राज्‍यों मेंइस योजना का क्रियान्‍वयन प्रारम्‍भ हो चुका है।



15. चमन परियोजना: बागवानी आकलन और प्रबंधन जियोइन्फारमैटिक्सके प्रयोग पर समन्वित कार्यक्रम (चमन):

इस कार्यक्रम का उद्देश्य "रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी" और "नमूना सर्वेक्षणपद्धति ” का उपयोग कर बागवानी फसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन के आकलनके लिए कार्यप्रणाली को विकसित और मज़बूत करना है। सितंबर, 2014 केदौरान शुरू; 3 साल में पूरा किया जाना है।



16. किसानों के लिए मोबाइल एप की शुरुआत:



किसानों की सुविधा के लिए मोबाइल एप: किसान सुविधा, पूसा कृषि, एग्रीमार्केट, फसल बीमा और फसल कटाई प्रयोग शुरु की गई हैजो www.mkisan.gov.in के अलावा गूगल प्‍ले स्‍टोर से डाउनलोड किए जासकते हैं।



17. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) / दलहन उत्पादन के लिएउठाए गए कदम:

Ø वर्ष 2013-14 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत केवल तीन फसलें- चावल, गेंहू, दलहन शामिल थीI मोदी सरकार द्वारा इस मिशन के अंतर्गतसात फसलें- चावल, गेंहू, दलहन, जूट, गन्ना, कपास व मोटे अनाज शामिलकिये जा चुके हैं।



Ø वर्ष 2013-14 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन में 16 राज्यों के 482जिलें शामिल थे जो अब 8 उतर पूर्वी राज्यों, 3 पहाड़ी राज्य (जम्‍मु एवं कश्‍मीर,हिमाचल प्रदेश व उत्‍तराखण्‍ड) तथा गोवा एवं केरल को शामिल करते हुए वर्ष2016-17 में दलहन के तहत देश 29 राज्यों के सभी 638 जिले सम्मिलित है।





Ø राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के लिए वर्ष 2016-17 के कुल आवंटन रू.1,700करोड़ में से दलहनों के लिए रू. 1,100 करोड़ (केंद्रांश) आवंटित किए गए जो कुलआवंटन का 60% से अधिक है।



Ø नई किस्मों के बीजो के प्रसार के लिए 7.85 लाख दलहन मिनिकिट राज्यसरकारों के माध्यम से किसानो को वर्ष 2016-17 में मुफ्त वितरण किया जारहा है।



Ø भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं राज्य कृषि विश्वविधालयों के माध्यमसे दालों के लिए 534 कृषि विज्ञान केन्द्रो के द्वारा 31000 हेक्टर मे नई तकनीकोके प्रदर्शन 2016-17 मे किए जा रहे हैं, जिसके लिए 25.29 करोड़ रुपए काआवंटन किया गया ।



Ø नए किस्मों के बीजो की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आईसीएआरसंस्थान, राज्य कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रो पर बीज हब कासृजन किया जा रहा है। इसके लिए वर्ष 2016-17 से 2017-18 के दौरान रू.225.31 करोड़ के साथ 150 बीज केन्द्रो की स्थापना का अनुमोदन कर दिया गयाहै जिसमे रू. 131.74 करोड़ 2016-17 के लिए प्रस्तावित है। इससे कुल 1.50 लाखकिवटल उन्नत बीजो की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।



Ø फलस्‍वरूप, वर्ष 2016-17 के लिए दालों का उत्पादन लक्ष्य 20.75 मिलियनमैट्रिक टन है। वर्ष 2016-17 में खरीफ दालों के 7.25 मिलियन टन के उत्‍पादनके लक्ष्‍य के सापेक्ष लगभग 8.70 मिलियन टन (प्रथम अग्रिम अनुमानों केअनुसार) होने की आशा है।













18. ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’:



देश में पहली बार राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम के तहतदेशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक नई पहल ‘राष्ट्रीय गोकुलमिशन’ की 500 करोड़ रूपये के आवंटन के साथ शुरुआत की गई। इस मिशन केतहत 14 गोकुल ग्रामों की स्थापना की जा रही है तथा सांड़ों के उन्नयन हेतु 35 पशु प्रक्षेत्र को अधिक धन देकर आधुनिक बनाया गया है। इसके साथ 3,629साड़ों को आनुवांशिक उन्‍नयन हेतु आवंटित कर दिया गया है। देसी नस्लों केविकास के लिए 2007-08 से 2013-14 तक केवल रु. 45 करोड़ इस कार्य के लिएखर्च किए गए थे, जबकि वर्तमान सरकार द्वारा दिसंबर 2015 तक केवल डेढ़वर्षों में 27 राज्यों से आए 35 प्रस्तावों के लिए रु. 582.09 करोड़ स्वीकृत किए जाचुके हैं। यह धन पिछले दो वर्षों के दौरान 13 गुणा बढ़ा दिया गया है। दो नएराष्ट्रीय कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर (एक उत्तर भारत-मध्य प्रदेश औऱ एक दक्षिणभारत- आंध्र प्रदेश में) भी स्थापित किए जा रहे हैं जिसके लिए रु 50 करोड़आवंटित किए गए हैं।



19. दूध उत्पादन में वर्ष 2012-14 की अपेक्षा वर्ष 2014-16 में वृद्धि दर 11.7 प्रतिशत रही। 2015-16 में दुग्‍ध उत्‍पादन में 6.3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्जहुई है।

20. डेयरी के लिए अलग से चार नई परियोजनाएं प्रारम्‍भ:



(ए) पशुधन संजीवनी-नकुल स्‍वास्‍थ्‍य पत्र:



यह एक पशु स्वास्थ्य कार्यक्रम होगा जिसके तहत पशु स्वास्थ्य पत्र (नकुलस्वास्थ्य पत्र) साथ ही साथ पशु यूआईडी द्वारा पशुओ की पहचान और एकराष्ट्रीय डाटा बेस मे पशुओं की पहचान को शामिल करना इस योजना के हिस्साहोंगें।



Ø इस योजना के तहत 8.5 करोड़ दुधारु पशुओं का पहचान की जाएगी औरउनका डाटा इनाफ (INAPH) डाटा बेस मे अपलोड कर दिया जाएगा।



Ø यह पशु रोगो की राकथाम मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही साथदुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों के व्यापार मे भी व्रद्धि होगी।



(बी) उन्नत प्रजनन तकनीक:



Ø अस्सीस्टेड प्रजनन प्रौद्योगिकी के द्वारा मादा बोवाइन की संख्या में वृद्धिकरना योजना का उद्देश्य है।



Ø यह लिंग सोरटेड बोवाइन वीर्य के उयोग से देश मे किया जाएगा। यहतकनीक अभी केवल उन्नत डेयरी देशो मे ही उपयोग मे लायी जाती है। इससेकेवल मादा बछड़ियों का ही उत्पादन होगा।



Ø इस के अंतर्गत 50 भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकी के केंद्र/ इन विट्रो निषेचन(आईवीएफ़) केंद्र भी खोले जाएंगे। जिससे दुग्ध उत्पादन मे तेजी से व्रद्धि की जासके।



(सी) राष्ट्रीय बोवाइन जेनॉमिक केंद्र-देशी नस्लों के लिए:



Ø विकसित डेयरी देशों मे जेनॉमिक तकनीक का प्रयोग दुग्ध उत्पादन एवंउत्पादकता मे वृद्धि के लिए किया जाता है।

Ø देश मे देशी नस्लों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए देश राष्ट्रीयजीनोमिक केंद्र की स्थापना की जाएगी।

Ø जेनॉमिक तकनीक के द्वारा कुछ ही वर्षो मे देशी नसलों को viable बनायाजा सकता है।

Ø जेनॉमिक केंद्र रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों पहचान मेमहत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।



(डी) ई पशुधन हाट पोर्टल:



Ø वर्तमान में देश मे उच्च गुणवत्ता-रोग मुक्त वाले जर्मप्लाज्म जैसे वीर्य; भ्रूण; बछड़े, बछड़ी और वयस्क पशुओ का कोई भी प्रामाणिक बाजार नहीं है।अच्छी नस्ल के पशुओं की खरीद के लिए किसानो को बिचौलियों पर निर्भर होनापड़ता है।



Ø पशुओं की नस्ल वार सूचना भी किसानो को उपलब्ध नहीं होती। जो की देशीनस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।



Ø देश मे पहली बार राष्ट्रीय बोवाइन उत्पादकता मिशन के अंतर्गत ई पशुधन हाट पोर्टल स्थापित किया गया है। यह पोर्टल देशी नस्लों के लिए प्रजनकों औरकिसानों को जोड़ने मे एक महतवापूर्ण भूमिका निभाएगा।



Ø इस पोर्टल के द्वारा किसानो को देशी नस्लों की नस्ल वार सूचना प्राप्तहोगी। इससे किसान एवं प्रजनक देशी नस्ल की गाय एवं भैंसो को खरीद एवं बेचसकेंगे। देश मे उपलब्ध जर्मप्लाज्म की सारी सूचना पोर्टल पर अपलोड कर दीगयी है। जिससे किसान इसका तुरंत लाभ उठा सके। इस तरह का पोर्टलविकसित डेयरी देशों मे भी उपलब्ध नहीं है।



Ø इस पोर्टल के द्वारा देशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन को एक नई दिशामिलेगी। क्योकि वर्तमान मे किसाननो के पास कोई नस्ल वार सूचना उपलब्धनहीं है।



Ø पोर्टल के माध्यम से जानवरों की खरीद और बिक्री में बिचौलियों की कोईभागीदारी नहीं होगी। जर्मप्लाज्म के सभी रूपों में बिक्री और खरीद के लिए इसतरह का पोर्टल विकसित डेयरी देशों में भी उपलब्ध नहीं है।



21. मछली उत्पादन में वर्ष 2012-14 के दौरान 186.12 लाख टन काउत्पादन हुआ जबकि 2014-16 के दौरान 209.59 लाख टन का उत्पादन हुआ जोकि 12.61 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष 2015-16 में मछली उत्‍पादन में वार्षिक वृद्धिदर 6.21 प्रतिशत रही।

22. अंडा उत्पादन में 2014-15 के दौरान 78484 मिलियन अंडों का उत्पादनहुआ व 2015-16 में 82930 मिलियन अंडों का उत्पादन हुआ जो कि 5.66 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष (2012-14) की अपेक्षा वर्ष (2014-16) में वृद्धि दर 10.99 प्रतिशत रही। अंडा उत्‍पादन की वार्षिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत है। प्रति व्‍यक्‍तिउपलब्‍धता प्रतिवर्ष 66 अंडे तक पहुंच गई है।

23. पशु चिकत्‍सा शिक्षा:

मौजूदा स्नातक पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम और मानकों को वैश्विक स्तर परस्वीकृत मानकों अनुरूप के बनाने के लिए, पशु चिकित्सा न्यूनतम मानक विनियम, 2008 (Minimum Standards for Veterinary Education Regulations, 2008 ) में व्यापक संशोधन। साथ ही पशु चिकित्सा शिक्षाप्रशिक्षित पशु चिकित्सों की कमी को पूरा करने के लिए विभिन्न पशु चिकित्सा्कॉलेजों की संख्या् 36 से 46 की गई है तथा कॉलेजों में भर्ती होने वालेविदयार्थियों की संख्या को 60 से बढ़ाकर 100 तक किया गया था। 17 पशुचिकित्सा कॉलेजों में सीटों की कुल संख्या को 914 से बढ़ाकर 1,334 किया गयाहै। पशु चिकित्सा स्नात्तकोत्तर छात्रों में डेढ़ गुना की वृद्धि हासिल की गयी। पशुचिकित्सा विद्यालय में भी डेढ़ गुना सीटें बढ़ायी गयीं।

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