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मुंबई । हिन्दुस्तान की आवाज । मोहम्मद मुकीम शेख 

उन्होंने सबसे पहले ज्ञान और संगीत की स्रोत कही जाने वाली माँ सरस्वती की अराधना अपने खुद की आवाज में चमत्कार पैदा करने के लिये किया।जैसा की वो हमेशा से करते हैं।इसके उपरांत  

जग में सुन्दर हैं दो नाम,चाहे कृष्ण कहो या राम ।इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले।मैली चादर ओढ़ के,जो भजे हरि को सदा,जैसे सूरज की गर्मी से,ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन।अच्युतम केशवम,इतनी शक्ति हमें देना दाता,नाम हरि का जप ले बंदे।मेरे तन में राम मेरे मन में राम।सीता राम कहिये,पायो जी मैने राम रतन धन पायो।श्याम तेरी बंशी को बजने से काम। 

 अनूप जलोटा ने एक से बढकर एक भजन एक के बाद एक बिना किसी बिलम्ब के अपनी आवाज मिश्री जैसी मिठास में प्रस्तुत कर,आपको भुला ना पायेगें।इस आयोजन को आने वाले कई वर्षों तक मुंबई के सैकडों हजारों और लाखों उत्तर भारतीय लोगों के लिए यादगार बना दिया।

बान्द्रा पूर्व टीचर्स कालोनी के उत्तर भारतीय भवन के बाबू सत्यनारायण सिंह सभागृह के विशाल मंच पर अपने कई वाद्ययंत्रों के कुशल कलाकारों के साथ अनूप जलोटा अपने भक्तिगीतों से स्वर्ग में विराजमान आर एन सिंह की आत्मा को शान्ति देने का काम कर रहे थे।जब उन्होंने बिजली सी फुर्ती से अपनी उंगलियों को हार्मोनियम की पट्टियों पर दौड़ाते हुए,मेरा जीवन तेरे हवाले प्रभू इसे पग पग तू ही सम्हाले।इसको अपनी आवाज में गाया तो ऐसा लगा की वो स्व आर एन सिंह के मुख की बात अपने गीतों के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रहे हैं।ठीक उसी मंच के सामने स्व आर एन सिंह की एक बड़ी सी फोटो पर लोग गुलाब की पंखुडियां अर्पित कर दोनों हाथ जोड़कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे।

इस कड़ी में महाराष्ट्र के राज्यपाल उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कई पूर्व और वर्तमान सांसद विधायक और पूर्व विधायक पूर्व मंत्री नगर सेवक पूर्व नगर सेवक सभी दलों के नेता और कार्यकर्ताओं के अलावा मुंबई के तमाम सामजिक और शैक्षणिक संस्थाओं के गणमान्य लोग और पत्रकारिता जगत के लोगों ने उनकी तस्वीर पर गुलाब की पंखुडियां अर्पित किया।कई लोगों ने उनके सामजिक और राजनीतिक कार्यों का सविस्तार पूर्वक उल्लेख किया।इस श्रद्धांजलि सभा में उत्तर भारतीय संघ के पदाधिकारियों ने भी बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

 स्व आर एन सिंह 1 जनवरी 1948 को उत्तर प्रदेश गोरखपुर के भरौली गांव में पिता स्व सत्यनारायण सिंह और माता स्व पाना देवी की कोख से जन्मे और 25 वर्ष की उम्र 1972 में इस मयानगरी में अपनी रोजी रोटी की तलाश में आ गये। 

वहीं लौट आवो चले थे जहाँ से,

नये दुख मिलेगें भला अब कहाँ से।

कुछ इसी तर्ज पर कुदरत ने उन्हें उनके पैतृक गांव भरौली में वापस बुला लिया।और 2जनवरी 2022 को परमपिता परमेश्वर ने उनको अपनी सेवा में लगा लिया।यदि हम उनके जन्मदिन और पुण्यतिथि से सन निकाल दें तो उनकी उम्र केवल1ही दिन की होगी।वो 1जनवरी को इस नश्वर संसार में आकर 2 जनवरी को स्वर्ग सिधार गये।उन्होंने अपने केवल 1 दिन की जिन्दगी में धन कम और अधिक मात्रा में जन कमाया।इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमको उनकी श्रद्धांजलि सभा में दिखाई दिया।  

अंत में उनके सुपुत्र और उत्तर भारतीय संघ के नये युवा अध्यक्ष संतोष आर एन सिंह ने सभी के प्रति कृतज्ञता और दिल से आभार व्यक्त किया।

फोटो कपिलदेव खरवार

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