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मुंबई | हिन्दुस्तान की आवाज | मोहम्मद मुकीम शेख

अपने देश में जब सरकारें नही होती थी।तब राजा महाराजाओं की खुद की अपनी सरकार होती थी।तब एक चलन ऐसा भी था कि जब राजा अथवा कोई बादशाह दरबार में आने वाला होता था तब इसकी सूचना दरबारियों को इन शब्दों में दिया जाता था।

 होशियार राजाधिराज महाराज की सवारी दरबार में आ रही है।इस सूचना से दरबार में बैठे दरबारी और अन्य सामान्य जनता मौन धारण कर लेती थी। 

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इण्डिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृष्ण मिलन शुक्ल ने नरीमन पाइंट के अपने कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं साफ शब्दों में बिना किसी लाग लपेट के जो मुझे कहना है वही कह रहा हूँ।देश की आजादी के 70 सालों तक उत्तर प्रदेश में लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने दलितों का नकली मसीहा बन कर दलितों का ही शोषण किया है।अब उन नेताओं को खबरदार कर देना चाहता हूँ कि आगामी विधान सभा चुनाव की पूर्व तैयारी के लिये दलितों के असली मसीहा रामदास आठावले को लेकर लखनऊ आ रहा हूँ।दलितों के वोट पर राजनित की रोटी पकाने वाले नेताओं को खबरदार करने यूपी में आ गया हूँ।वर्षों से जो लोग दलितों के वोट से संसद में जाते रहे हैं।मैं अब उनको दलित शब्द का सही अर्थ बताऊंगा।कोई भी व्यक्ति केवल जाति के आधर पर ही दलित नही हो जाता है।बल्कि जिसके पास अपनी और अपने परिवार की जीविका चलाने के लिये पर्याप्त जमीन और नौकरी पेशा नही हो वह सब के सब दलित ही हैं।दलित का मूल्यांकन केवल जाति के आधार पर नहीं अपितु आदमी की आर्थिक स्थिति के आधार पर किया जाना चाहिये।इसकी वकालत केन्द्रीय सामाजिक न्याय मंत्री और आरपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास आठावले पिछले कई सालों से दिल्ली की संसद में कर रहे हैं।ब्राह्मण सम्मेलन  के बारे में पुछे जाने पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश अथवा प्रदेश में जब भी कोई चुनाव आता है तब सभी पार्टियां हमारे समाज का वोट लेने के लिए बड़े बड़े सम्मेलन का आयोजन करती हैं।उनको केवल वोट के लिये अपना बनाती हैं।फिर मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं वाली बात हो जाती है।लेकिन हमारे पार्टी के संघर्ष नायक रामदास आठावले ऐसा कभी होने नहीं देगें।मुझे उनपर पूरा विश्वास और भरोसा है।

फोटो कपिलदेव खरवार

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