भिवंडी।एम हुसेन। लॉकडाउन के कारण भिवंडी से लगभग 80 प्रतिशत मजदूर अपने मूल गांव जा चुके हैं, मजदूरों को रोकने के लिये किसी प्रकार की कोई उपाय योजना न किये जाने के कारण मजदूरों के जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार पास प्रतिदिन हजारों की संख्या में मजदूर सपरिवार ट्रकों एवं कंटेनर आदि से अपने गांव जा रहे हैं। ट्रक एवं कंटेनर, बोलेरो पिक अप आदि से जाने वाले मजदूरों को यात्रा के दौरान भारी परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है और उनका शोषण भी किया जा रहा है। जगह न मिलने के कारण मजदूर ट्रकों के ऊपर बैठकर खतरनाक यात्रा करने के लिए मजबूर हैं।इसके बावजूद मजदूर किसी भी हालत में अपने गांव जाना चाहते हैं ।
पिछले लगभग 20 दिनों से मजदूर उत्तर प्रदेश,बिहार ,झारखंड ,उड़ीसा,मध्य प्रदेश एवं राजस्थान आदि प्रदेशों में अपने मूल गांव जा रहे हैं । लॉकडाउन के कारण सभी साधन बंद कर दिये गये हैं इसलिए अब मजदूर 4 से 5 हजार रूपये किराया देकर ट्रक एवं कंटेनर आदि में जानवरों की तरह बैठकर जाने के लिये मजबूर हैं।मजदूरों के परीश्रम से जो सेठ बने हैं आज उन मजदूरों की मदद करने के लिये वह भी आगे नहीं आ रहे हैं।यदि पावरलूम मालिक चाहते तो मजदूरों को सकुशल उनके मूल गांव तक भेज सकते थे।लेकिन उन्होंने भी कुछ नहीं किया । दर्जनों कारखानों के मालिकों एवं बड़ी-बड़ी इमारतों में मार्बल एवं स्लाइडिंग आदि का काम करने वाले मजदूरों को उनकी मजदूरी तक नहीं दिया गया है ।मार्बल का काम करने वाले मजदूरों कि उन्हें पिछले तीन-चार महीने की मजदूरी भी नहीं दी गई है। जेब में कुछ न होने के कारण वे लोग अब मजबूर होकर गांव जा रहे हैं । रोजाना 10 हजार से अधिक मजदूर ट्रक एवं कंटेनर आदि में जानवरों की तरह बैठकर गांव जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि गांव जाने की कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण मजदूर ट्रकों के ऊपर बैठकर यात्रा करने के लिये मजबूर हो गये हैं। जिनके पास किराया कम रहता है उन मजदूरों को ट्रकों के ऊपर बैठाया जाता है, या फिर ट्रक के पीछे बोनट पर बैठकर जाना पड़ रहा है। ट्रक चालकों द्वारा ऐसे मजदूरों से भी ढाई से तीन हजार रुपया तक किराया वसूल किया जा रहा है ।मजदूरों को ट्रकों में बैठने के लिये उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट लेना पड़ रहा है, जिसके कारण उनसे 100 रुपया मेडिकल के लिये भी लिया जा रहा है ।
मजदूर सड़क दुर्घटना का भी शिकार हो रहे हैं
ट्रक एवं टेंपो चालक ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर वाहन काफी तेज गति से चला रहे हैं। जिसके कारण सड़क दुर्घटनायें भी घटित हो रही हैं, जिसमें कई मजदूरों की जान भी चली गई है और कई गंभीर रूप से घायल भी हुये हैं।भिवंडी से 20 से 25 मजदूरों को लेकर जा रहा एक टेंपो मुंबई-नासिक महामार्ग स्थित कसारा के पास एक कार से टकरा गया था। नासिक की ओर से तेजगति से आ रही कार ने उसे इस जोरदार टक्कर मार दिया था जिसमें टेंपो पलट गया ।जिसके कारण भिवंडी के रहने वाले टेंपो चालक मो. जावेद खान की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इस दुर्घटना में टेंपो चालक की पत्नी अमरीन खान (25),फ़हरुद्दीन खान (10),अनस खान (6),अब्दुल रहमान (50),चंद्रबाबू (20) एवं नौशार मोहम्मद (20) सहित 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये हैं ।कसारा पुलिस द्वारा सभी घायलों को खर्डी एवं शाहपुर में उपचार के लिये भर्ती कराया गया है। बताया जाता है कि टेंपो पहले से ही खराब था,जिसके कारण कसारा से पहले ही खराब हो गया था,इससे पहले मध्य प्रदेश के सागर में हुई सड़क दुर्घटना में तीन मजदूरों की मौत हो गई थी और 14 लोग घायल हो गये थे।
गौरतलब है कि ट्रकों आदि से जाने वाले मजदूरों को सनाजसेवियों द्वारा खाने का पैकेट,पानी एवं नाश्ता आदि दिया जा रहा है।भिवंडी बाईपास स्थित राजनोली नाका से लेकर वड़पे नाका एवं पड़घा टोलनाका के आगे तक रात लगभग ढ़ाई बजे तक सैकड़ों लोग मजदूरों को केला,बिस्कुट,नमकीन,फल एवं पानी आदि वितरित करते रहे हैं । मजदूरों के खाने के लिये रोटियां आदि उपलब्ध कराने वाली संस्था एमपीजे द्वारा बनाये गये रोटी बैंक द्वारा रोजाना हजारों मजदूरों की मदद की जा रही है। एमपीजे के अध्यक्ष डॉ. इंतखाब शेख ने बताया कि कार्यकर्ताओं द्वारा भिवंडी नासिक रोड जाने वाले मजदूरों को 15 हजार रोटियों के साथ अचार, सॉस,केला,वेज पुलाव एवं ठंडा पानी उपलब्ध कराया जाता है। मजदूरों के पास खाने के सामान काफी देर तक रहे इसके लिये स्वस्तिक ढाबा के पास 500 ठोकवा बनवाकर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि रात में स्वास्तिक ढाबा के अलावा ग्रीनलैंड होटल के पास भी ठोकवा बनवाकर मजदूरों को दिया जाता है। डॉ. इंतखाब ने शहर के लोगों से जाने वाले मजदूरों की भूख मिटाने के लिये अपने घरों से ज्यादा नहीं पांच से 10 रोटियां ही रोटी बैंक तक पहुंचाने का अनुरोध किया है ।
पिछले लगभग 20 दिनों से मजदूर उत्तर प्रदेश,बिहार ,झारखंड ,उड़ीसा,मध्य प्रदेश एवं राजस्थान आदि प्रदेशों में अपने मूल गांव जा रहे हैं । लॉकडाउन के कारण सभी साधन बंद कर दिये गये हैं इसलिए अब मजदूर 4 से 5 हजार रूपये किराया देकर ट्रक एवं कंटेनर आदि में जानवरों की तरह बैठकर जाने के लिये मजबूर हैं।मजदूरों के परीश्रम से जो सेठ बने हैं आज उन मजदूरों की मदद करने के लिये वह भी आगे नहीं आ रहे हैं।यदि पावरलूम मालिक चाहते तो मजदूरों को सकुशल उनके मूल गांव तक भेज सकते थे।लेकिन उन्होंने भी कुछ नहीं किया । दर्जनों कारखानों के मालिकों एवं बड़ी-बड़ी इमारतों में मार्बल एवं स्लाइडिंग आदि का काम करने वाले मजदूरों को उनकी मजदूरी तक नहीं दिया गया है ।मार्बल का काम करने वाले मजदूरों कि उन्हें पिछले तीन-चार महीने की मजदूरी भी नहीं दी गई है। जेब में कुछ न होने के कारण वे लोग अब मजबूर होकर गांव जा रहे हैं । रोजाना 10 हजार से अधिक मजदूर ट्रक एवं कंटेनर आदि में जानवरों की तरह बैठकर गांव जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि गांव जाने की कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण मजदूर ट्रकों के ऊपर बैठकर यात्रा करने के लिये मजबूर हो गये हैं। जिनके पास किराया कम रहता है उन मजदूरों को ट्रकों के ऊपर बैठाया जाता है, या फिर ट्रक के पीछे बोनट पर बैठकर जाना पड़ रहा है। ट्रक चालकों द्वारा ऐसे मजदूरों से भी ढाई से तीन हजार रुपया तक किराया वसूल किया जा रहा है ।मजदूरों को ट्रकों में बैठने के लिये उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट लेना पड़ रहा है, जिसके कारण उनसे 100 रुपया मेडिकल के लिये भी लिया जा रहा है ।
मजदूर सड़क दुर्घटना का भी शिकार हो रहे हैं
ट्रक एवं टेंपो चालक ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर वाहन काफी तेज गति से चला रहे हैं। जिसके कारण सड़क दुर्घटनायें भी घटित हो रही हैं, जिसमें कई मजदूरों की जान भी चली गई है और कई गंभीर रूप से घायल भी हुये हैं।भिवंडी से 20 से 25 मजदूरों को लेकर जा रहा एक टेंपो मुंबई-नासिक महामार्ग स्थित कसारा के पास एक कार से टकरा गया था। नासिक की ओर से तेजगति से आ रही कार ने उसे इस जोरदार टक्कर मार दिया था जिसमें टेंपो पलट गया ।जिसके कारण भिवंडी के रहने वाले टेंपो चालक मो. जावेद खान की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इस दुर्घटना में टेंपो चालक की पत्नी अमरीन खान (25),फ़हरुद्दीन खान (10),अनस खान (6),अब्दुल रहमान (50),चंद्रबाबू (20) एवं नौशार मोहम्मद (20) सहित 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये हैं ।कसारा पुलिस द्वारा सभी घायलों को खर्डी एवं शाहपुर में उपचार के लिये भर्ती कराया गया है। बताया जाता है कि टेंपो पहले से ही खराब था,जिसके कारण कसारा से पहले ही खराब हो गया था,इससे पहले मध्य प्रदेश के सागर में हुई सड़क दुर्घटना में तीन मजदूरों की मौत हो गई थी और 14 लोग घायल हो गये थे।
गौरतलब है कि ट्रकों आदि से जाने वाले मजदूरों को सनाजसेवियों द्वारा खाने का पैकेट,पानी एवं नाश्ता आदि दिया जा रहा है।भिवंडी बाईपास स्थित राजनोली नाका से लेकर वड़पे नाका एवं पड़घा टोलनाका के आगे तक रात लगभग ढ़ाई बजे तक सैकड़ों लोग मजदूरों को केला,बिस्कुट,नमकीन,फल एवं पानी आदि वितरित करते रहे हैं । मजदूरों के खाने के लिये रोटियां आदि उपलब्ध कराने वाली संस्था एमपीजे द्वारा बनाये गये रोटी बैंक द्वारा रोजाना हजारों मजदूरों की मदद की जा रही है। एमपीजे के अध्यक्ष डॉ. इंतखाब शेख ने बताया कि कार्यकर्ताओं द्वारा भिवंडी नासिक रोड जाने वाले मजदूरों को 15 हजार रोटियों के साथ अचार, सॉस,केला,वेज पुलाव एवं ठंडा पानी उपलब्ध कराया जाता है। मजदूरों के पास खाने के सामान काफी देर तक रहे इसके लिये स्वस्तिक ढाबा के पास 500 ठोकवा बनवाकर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि रात में स्वास्तिक ढाबा के अलावा ग्रीनलैंड होटल के पास भी ठोकवा बनवाकर मजदूरों को दिया जाता है। डॉ. इंतखाब ने शहर के लोगों से जाने वाले मजदूरों की भूख मिटाने के लिये अपने घरों से ज्यादा नहीं पांच से 10 रोटियां ही रोटी बैंक तक पहुंचाने का अनुरोध किया है ।
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