भारत सरकार कोविड-19 से बचाव, रोकथाम और प्रबंधन के लिए सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के साथ मिलकर सामूहिक प्रयासों के जरिए अनेक कदम उठा रही है। इन कदमों की नियमित रूप से उच्चस्तरीय समीक्षा और निगरानी की जा रही है।
कोविड-19 पर बने मंत्री समूह (जीओएम) की आज यहां निर्माण भवन में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन की अध्यक्षता में बैठक हुई। जीओएम में लॉकडाउन को बढ़ाए जाने के असर और आगे के रोडमैप को तैयार करने पर विस्तार से चर्चा हुई। जीओएम ने कोविड-19 से निपटने में निदान, वैक्सीन, दवाओं, अस्पताल संबंधी उपकरणों और सामान्य स्वास्थ्य की दिशा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी समीक्षा की।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीईए) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय मिलकर निम्नलिखित बिंदुओं पर काम कर रहे हैं :
ऐसी त्वरित और सटीक जांच (डायग्नोस्टिक) विकसित करना, जिससे 30 मिनट के भीतर ही नतीजे हासिल हो सकें,
अपनी 30 प्रयोगशालाओं के माध्यम से परीक्षण क्षमता को बढ़ाना,
ज्यादा से ज्यादा लोगों के परीक्षण के लिए नवीन पूलिंग रणनीतियों का विकास किया जाना,
अहम घटकों का स्वदेशी संकलन किया जाना, जिसके चलते घरेलू स्तर पर सीमित मात्रा में परीक्षण किट का उत्पादन हो पा रहा है, और
वायरल अनुक्रमण में बढ़ोतरी, जिससे महामारी की स्थिति में और संभावित प्रमुख बदलावों की पहचान में सहायता मिल सकती है।
वायरस के प्रसार को निष्क्रिय करने वाली वैक्सीन, प्रमुख एंटीजन्स के एंटीबॉडीज, मोनोक्लोनल और आरएनए आधारित वैक्सीनों के विकास में भी प्रगति दर्ज की गई है। कुछ स्थानों पर कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी भी शुरू कर दी गई है।
सरकार प्रभावी वैक्सीनों के विकास और जल्द से जल्द उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक साझीदारों के साथ मिलकर काम कर रही है। भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के सॉलिडैरिटी परीक्षण में एक भागीदार है, जिसके माध्यम से इन उपचारों की प्रभावशीलता तय की जा रही है। वैज्ञानिक कार्यबल वर्तमान में स्वीकृत दवाओं और कोविड-19 के लिए उनके पुनः उद्देश्य तय किए जाने के बारे में आकलन कर रहे हैं। सीएसआईआर ने उमीफेनोविर, फैविपिरैविर जैसे वायरण रोधी कणों के विविध उपयोग के स्वदेशी संकलन में खासी प्रगति की है। आयुष मंत्रालय के साथ ही पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली से जुड़े फाइटोफार्मास्युटिकल्स और लीड के लिए भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
डीएसटी के अंतर्गत आने वाले श्री चित्रा तिरुमलाई चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एससीटीआईएमएसटी) के स्वदेशी डिजाइनों के द्वारा व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, ऑक्सीजन कन्सेंट्रेटर्स, वेंटिलेटर्स, सीएसआईआर इंजीनियरिंग लैब्स जैसे सहयोगी उपकरणों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। आरटी-पीसीआर किट्स का स्वदेशी विनिर्माण शुरू कर दिया गया है और मई 2020 से प्रति महीने इसकी 10 लाख किट्स का उत्पादन शुरू हो जाएगा। मई 2020 से प्रति महीने 10 लाख किट की क्षमता के साथ रैपिट एंडीबॉडी डिटेक्शन किट्स का विनिर्माण भी शुरू हो जाएगा। 5 लाख रैपिड एंटीबॉडी किट्स सभी राज्यों और जिलों में वितरित कर दी गई हैं, जो क्षेत्रों में सामने आने वाले मामलों की संख्या के आधार पर किया गया है। वर्तमान में प्रति महीने 6,000 वेंटिलेटर के विनिर्माण की क्षमता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा युद्ध स्तर पर निदान, उपचार और वैक्सीन के क्षेत्रों में जरूरी उपायों की निगरानी का कार्य किया जा रहा है।
इसके साथ ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना के मामलों के आकलन के आधार पर विभिन्न कोविड इकाइयों के बुनियादी ढांचे के बेहतर नियोजन के उद्देश्य से अनुमान के साधनों को राज्यों/जिला प्रशासकों के साथ साझा करना शुरू कर दिया है।
केन्द्र और राज्य स्तर पर कुल मिलाकर 1,919 समर्पित कोविड-19 अस्पतालों की पहचान कर ली गई है, जिनमें शामिल हैं :
672 समर्पित कोविड अस्पताल (डीसीएच) (1,07,830 आइसोलेशन बिस्तर और 14,742 आईसीयू बिस्तर),
1,247 समर्पित कोविड स्वास्थ्य केन्द्र (डीसीएचसी) (कुल 65,916 आइसोलेशन बिस्तर और 7,064 आईसीयू बिस्तर)
इस प्रकार कुल 1,919 इकाइयों में 1,73,746 आइसोलेशन बिस्तर और कुल 21,806 आईसीयू बिस्तर उपलब्ध हैं।
लॉकडाउन से पहले भारत में 3 दिन में मामले दोगुने हो रहे थे। पिछले सात दिन में 6.2 दिन में मामले दोगुने हो रहे हैं। 19 राज्य/संघ शासित क्षेत्रों (केरल, उत्तराखंड, हरियाणा, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, पुडुचेरी, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू और कस्मीर, पंजाब, असम त्रिपुरा) में वर्तमान में मामले दोगुने होने की दर ज्यादा दिख रही है, जो राष्ट्रीय औसत की तुलना में बेहतर है। इससे प्रदर्शित होता है कि इन स्थानों पर मामले बढ़ने की गति काफी हद तक कम हो गई है।
1 अप्रैल, 2020 के बाद से औसत वृद्धि दर 1.2 है, जबकि इससे पहले के दो सप्ताह (15 मार्च से 31 मार्च तक) में यह 2.1 थी। इससे वृद्धि दर में 40 प्रतिशत (2.1-1.2)/2.1 की गिरावट जाहिर होती है।
कल से अब तक 1,007 नए मामले सामने आ चुके हैं और 23 नए लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इस प्रकार देश में कोविड-19 के पुष्ट मामलों की कुल संख्या 13,387 हो गई है। उपचार के बाद 1,749 लोगों को डिस्चार्ज कर दिया गया है।
कोविड-19 पर बने मंत्री समूह (जीओएम) की आज यहां निर्माण भवन में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन की अध्यक्षता में बैठक हुई। जीओएम में लॉकडाउन को बढ़ाए जाने के असर और आगे के रोडमैप को तैयार करने पर विस्तार से चर्चा हुई। जीओएम ने कोविड-19 से निपटने में निदान, वैक्सीन, दवाओं, अस्पताल संबंधी उपकरणों और सामान्य स्वास्थ्य की दिशा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी समीक्षा की।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीईए) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय मिलकर निम्नलिखित बिंदुओं पर काम कर रहे हैं :
ऐसी त्वरित और सटीक जांच (डायग्नोस्टिक) विकसित करना, जिससे 30 मिनट के भीतर ही नतीजे हासिल हो सकें,
अपनी 30 प्रयोगशालाओं के माध्यम से परीक्षण क्षमता को बढ़ाना,
ज्यादा से ज्यादा लोगों के परीक्षण के लिए नवीन पूलिंग रणनीतियों का विकास किया जाना,
अहम घटकों का स्वदेशी संकलन किया जाना, जिसके चलते घरेलू स्तर पर सीमित मात्रा में परीक्षण किट का उत्पादन हो पा रहा है, और
वायरल अनुक्रमण में बढ़ोतरी, जिससे महामारी की स्थिति में और संभावित प्रमुख बदलावों की पहचान में सहायता मिल सकती है।
वायरस के प्रसार को निष्क्रिय करने वाली वैक्सीन, प्रमुख एंटीजन्स के एंटीबॉडीज, मोनोक्लोनल और आरएनए आधारित वैक्सीनों के विकास में भी प्रगति दर्ज की गई है। कुछ स्थानों पर कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी भी शुरू कर दी गई है।
सरकार प्रभावी वैक्सीनों के विकास और जल्द से जल्द उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक साझीदारों के साथ मिलकर काम कर रही है। भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के सॉलिडैरिटी परीक्षण में एक भागीदार है, जिसके माध्यम से इन उपचारों की प्रभावशीलता तय की जा रही है। वैज्ञानिक कार्यबल वर्तमान में स्वीकृत दवाओं और कोविड-19 के लिए उनके पुनः उद्देश्य तय किए जाने के बारे में आकलन कर रहे हैं। सीएसआईआर ने उमीफेनोविर, फैविपिरैविर जैसे वायरण रोधी कणों के विविध उपयोग के स्वदेशी संकलन में खासी प्रगति की है। आयुष मंत्रालय के साथ ही पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली से जुड़े फाइटोफार्मास्युटिकल्स और लीड के लिए भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
डीएसटी के अंतर्गत आने वाले श्री चित्रा तिरुमलाई चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एससीटीआईएमएसटी) के स्वदेशी डिजाइनों के द्वारा व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, ऑक्सीजन कन्सेंट्रेटर्स, वेंटिलेटर्स, सीएसआईआर इंजीनियरिंग लैब्स जैसे सहयोगी उपकरणों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। आरटी-पीसीआर किट्स का स्वदेशी विनिर्माण शुरू कर दिया गया है और मई 2020 से प्रति महीने इसकी 10 लाख किट्स का उत्पादन शुरू हो जाएगा। मई 2020 से प्रति महीने 10 लाख किट की क्षमता के साथ रैपिट एंडीबॉडी डिटेक्शन किट्स का विनिर्माण भी शुरू हो जाएगा। 5 लाख रैपिड एंटीबॉडी किट्स सभी राज्यों और जिलों में वितरित कर दी गई हैं, जो क्षेत्रों में सामने आने वाले मामलों की संख्या के आधार पर किया गया है। वर्तमान में प्रति महीने 6,000 वेंटिलेटर के विनिर्माण की क्षमता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा युद्ध स्तर पर निदान, उपचार और वैक्सीन के क्षेत्रों में जरूरी उपायों की निगरानी का कार्य किया जा रहा है।
इसके साथ ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना के मामलों के आकलन के आधार पर विभिन्न कोविड इकाइयों के बुनियादी ढांचे के बेहतर नियोजन के उद्देश्य से अनुमान के साधनों को राज्यों/जिला प्रशासकों के साथ साझा करना शुरू कर दिया है।
केन्द्र और राज्य स्तर पर कुल मिलाकर 1,919 समर्पित कोविड-19 अस्पतालों की पहचान कर ली गई है, जिनमें शामिल हैं :
672 समर्पित कोविड अस्पताल (डीसीएच) (1,07,830 आइसोलेशन बिस्तर और 14,742 आईसीयू बिस्तर),
1,247 समर्पित कोविड स्वास्थ्य केन्द्र (डीसीएचसी) (कुल 65,916 आइसोलेशन बिस्तर और 7,064 आईसीयू बिस्तर)
इस प्रकार कुल 1,919 इकाइयों में 1,73,746 आइसोलेशन बिस्तर और कुल 21,806 आईसीयू बिस्तर उपलब्ध हैं।
लॉकडाउन से पहले भारत में 3 दिन में मामले दोगुने हो रहे थे। पिछले सात दिन में 6.2 दिन में मामले दोगुने हो रहे हैं। 19 राज्य/संघ शासित क्षेत्रों (केरल, उत्तराखंड, हरियाणा, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, पुडुचेरी, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू और कस्मीर, पंजाब, असम त्रिपुरा) में वर्तमान में मामले दोगुने होने की दर ज्यादा दिख रही है, जो राष्ट्रीय औसत की तुलना में बेहतर है। इससे प्रदर्शित होता है कि इन स्थानों पर मामले बढ़ने की गति काफी हद तक कम हो गई है।
1 अप्रैल, 2020 के बाद से औसत वृद्धि दर 1.2 है, जबकि इससे पहले के दो सप्ताह (15 मार्च से 31 मार्च तक) में यह 2.1 थी। इससे वृद्धि दर में 40 प्रतिशत (2.1-1.2)/2.1 की गिरावट जाहिर होती है।
कल से अब तक 1,007 नए मामले सामने आ चुके हैं और 23 नए लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इस प्रकार देश में कोविड-19 के पुष्ट मामलों की कुल संख्या 13,387 हो गई है। उपचार के बाद 1,749 लोगों को डिस्चार्ज कर दिया गया है।
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