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भिवंडी ।एम हुसेन।  भिवंडी तालुका के वैद्यकीय आरोग्य विभाग व अंगणवाडी केंद्र के  कर्मचारियों के दुर्लक्ष  रवैये से  पुर्व दो  महीने में ३९४ कुपोषित बालक  होने का मामला   प्रकाश में आने  की सनसनीखेज  जानकारी  शासन को  प्रस्तुत  अहवाल  उजागर हुआ  ,जबकि  कुपोषित बालक  न हो  इसलिए   शासन योजना के अनुसार प्रति वर्ष   करोड़ों  रुपये की निधि गर्भवती  महिला व बालकों पर खर्च की  जाती  है,  परंतु  यह खर्च व्यर्थ  होने का  मामला प्रकाश में आया है  । आदिवासी पाडा ईटभट्टी तथा  अन्य गांव पाडे में उक्त प्रकार  से  कुपोषित बालक  होने का  अहवाल बालविकास प्रकल्प अधिकारी ने  ठाणे जिला परिषद के  मुख्यकार्यकारी अधिकारी  को  प्रस्तुत  लिखित अहवाल में  दर्शाया है ,जिसकारण   ईटभट्टी पर स्थनांतरित  मजदूर  व कुपोषण  कम करने के लिए उपाययोजना करना  आवश्यक  है। 

भिवंडी तालुका में आठ प्राथमिक आरोग्य केंद्र के अंतर्गत  आने वाले  बालविकास दो प्रकल्प  में ४२८ अंगणवाडी केंद्र कार्यरतहैं। गर्भवती  महिला व छोटे बालकों को  घर पहुंचाकर  पोषण आहार में  खाद्यान्न  आपूर्ति  करना तथा ३  से  ६ वर्ष के बालकों को  ताजा आहार , गर्भवती   महिला को   तथा ७ महिने  से  ६ वयोगट के  बच्चों को  सप्ताह में  चार दिन अंडा व केला  जैसे  खाध्यपदार्थ देना, उनका वजन ऊंचाई  की जांच  आरोग्य विभाग द्वारा लसी करण  अभियान  का आयोजन इस प्रकार का  विविध काम अंगणवाडी सेविका  द्वारा  होना आवश्यक  है  परंतु  यह योग्य रीति से  नहीं किया जा रहा है।  जिसकारण 

 भिवंडी तालुका में कुपोषण के  मरीजों में वृद्धि  हो रही है जिसके अनुसार  ५५ गांव के ४२८ अंगणवाडी केंद्र अंतर्गत ३९४ बालक के  कुपोषित  होने का मामला प्रकाश में आया है।   भिवंडी तालुका में  ठाणे जिला परिषद के  दिवा -अंजूर ,कोन ,खारबाव ,पडघा ,अनगाव ,दाभाड ,वज्रेश्वरी ,चिंबीपाडा  इस प्रकार  ८ प्राथमिक आरोग्य केंद्र अंतर्गत २२७ ईटभट्टी  मजदूरों के  सच्चे हैं  तथा स्थानांतरित  परिवार की  संख्या ६ हजार १८०  बच्चे  , ०  से  ३ वर्ष गट के १ हजार ९७०  बच्चे , एवं ३ से  ६ वर्ष वयोगट के २ हजार २८०  बच्चे  हैं  जिसमें  कुपोषण  से  प्रभावित  ५२  बच्चे  हैं  तथा अतितीव्र कुपोषित ३४२  बच्चे  हैं  यह सभी  बच्चे तालुका के ५५ गांव में मिलने का  अहवाल बालविकास प्रकल्प अधिकारी व भिवंडी पंचायत समिति ने  शासन को प्रस्तुत  अहवाल में  दर्शाया है ।


जिला परिषद के  प्राथमिक आरोग्य केंद्र में  कुपोषित बालकों के उपचार  की सुविधा न होने के कारण  दाभाड स्थित  नानु कुंभार  के  ईट भट्टी के ट्रॅक्टर पर मजदूरी करने पर पत्नी सुरेखा, लडकी  भूमिका व एक वर्ष की तनुजा इन तीनों में से दोनों  लडके  कुपोषित  हैं  जिन्हें  स्वर्गीय इंदिरा गांधी स्मृती उपजिला अस्पताल में  उपचार के लिए भर्ती कराया गया है जहां अब इनकी  प्रकृती स्थिर है।  शासन द्वारा   उक्त  प्रकरण  पर विशेष ध्यान देना चाहिए  इस प्रकार की मांग ग्रामीणों द्वारा की जा रही है।  केवल

भिवंडी तालुका नहीं बल्कि राज्य  कुपोषण निर्मूलन योजना की   निष्क्रियता  का चित्र  प्रकाश में आया है । तथा  तालुका के चावे गांव के अंगणवाडी  में भी सात कुपोषित बालक होने की पुष्टि हुई है, इस दरम्यान ईटभट्टीपर मजदूरी करने वाले बच्चों में  कुपोषण का प्रमाण बड़े पैमाने पर वृद्धि  होने का मामला प्रकाश में आया है ।एक तरफ  सरकार कुपोषित बालकों के लिए  अलग-अलग  योजना  आयोजित  करती है  परंतु सही  अर्थ में  शासन  की कोई भी योजना का लाभ ईट भट्टीपर काम करने वाले मजदूरों तक नहीं पहुंचने का सनसनीखेज  खुलासा   अभिभावकों ने  दी है । कुपोषण निर्मूलन योजना में  मनमाना कार्यभार हो रहा है ।इसी प्रकार  भिवंडी ग्रामीण भागों में  ईट भट्टी व्यवसाय बड़े पैमाने पर ह।उक्त  ईटभट्टीपर भिवंडी के  आदिवासी पाडों  शहापूर , मुरबाड , जव्हार, मोखाडा तालुका के आदिवासी बंधु बड़े पैमाने पर   ईटभट्टी मजदूरी का काम करते हैं। विशेष रूप से दिन व  रात उक्त  मजदूरों से  ईटभट्टी मालिकों  द्वारा  काम कराया जाता है परंतु  उन्हें  दी जाये वाली  मजदूरी  बहुत  कम दी जाती है इसलिए अधिक मेहनत करने के बावजूद  ईटभट्टी मजदूरों  को  आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है  ।जिसकारण  सही ढंग से पेट भी नहीं भरता है और इनके  बच्चों  शिक्षा से भी वंचित रहने का  समय आ गया है ।शासनकी योजना है परंतु प्रभावी ढंग से अंमल नहीं  होता है  जो बडी विडंबना है । मजदूरी करने के बावजूद  सही ढंग से  अन्न  नहीं  मिलने के पश्चात   अनेक ईटभट्टी मजदूर स्वयं भूखे  रहकर अपने  पेट का अन्न अपने  बच्चों को देते हैं  ,कभी कभी इन  बच्चों  को  केवल भात मिलता है  तथा कभी  इन्हें भी भूखे  पेट ही सोना पड़ता है  परिणाम स्वरुप  बच्चों में  कुपोषण का प्रमाण बढ़ा  है ,बालविवाह  यह भी  एक कारण इसके पीछे है  परंतु  इस बाबत  शासन प्रभावी यंत्रणा के अभाव  के कारण   कुपोषण का  प्रमाण आज बढते जा रहा है  ।

           


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