मुलुंड, मुंबई के सुप्रसिद्ध बाल रोग तज्ञ डॉ मिलिंद सेजवल बहु आयामी व्यक्ति हैं।मेडिकल प्रैक्टिस के साथ ही उन्हें मेडिकल किताबें लिखने के साथ साथ गायन,गीत,शायरी लिखने का भी शौक है।उन्हें राजनीति,सामाजिक,शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक कार्यों में रुचि है।
अपने सामाजिक राजनीतिक अनुभवों को एकत्रित कर उन्होंने "कैप्सूल एवं टेबलेट्स" कहानी संग्रह प्रकाशित किया है।जिसमें 2 पार्ट में 21 एवं 12 कहानियों का संग्रह है।
मोटी चमड़ी वाले राजनैतिक नेताओ पर कटाक्ष करते हुये उन्होंने अपने लेख में कहा है कि किस तरह इलेक्शन के समय ये अपने लोगों को टिकट दिलाने के लिये लड़ते हैं और योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी करते है,क्योकि योग्य उम्मीदवार उनकी चमचागिरी नही करते।
ऑटो रिक्शा की हड़ताल से होने वाले नुकसान/फायदे को उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए लिखा है कि इससे लोगो को पैदल चलने की प्रेरणा मिलती है जो स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है,लोगों ने आज कल चलना छोड़ दिया है,चंद कदम चलने की बजाय रिक्शा में बैठकर जल्द पहुँचने की आपाधापी में रहते है।
रिक्शा हड़ताल से गरीब मरीजों को समस्या होती है,क्योकि वे जल्द हॉस्पिटल नहीं पहुँच पाते,चलने की स्थिति में रहते नहीं।
मुलुंड के खट्टे मीठे अनुभवों को साझा करते हुये लेखक कहता है कि मुलुंड खाने पीने के शौकीन लोगों के लिये स्वर्ग है।यहाँ सड़क किनारे ही आपको बढ़िया वडा पाव,आइस भेल,पाव भाजी,आइस क्रीम,डोसा,जूस मिल जायेंगे।साथ ही अच्छे शाकाहारी/मांसाहारी रेस्टोरेंट भी मिल जायेगा।सम्पूर्ण मुलुंड में इस बात का सुख है कि चंद कदमों पर ही आपको मनपसंद व्यंजन मिल जाता है।
बेहराम कॉन्ट्रैक्टर (बिजी बी) डॉ सेजवल के पसंदीदा राइटर रहे हैं।उन्हीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने छोटे छोटे कहानियों के माध्यम से यह संग्रह लिखा है।
उन्होंने जगह जगह लग रहे बैनरो पर आना गुस्सा उतारा है,हाई कोर्ट की सख्ती के बावजूद नेताओं पर असर नहीं पड़ रहा क्योंकि मनपा अधिकारियों पर राजनेताओ का दबाव रहता है और शहर की छवि धूमिल होती है।
उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के प्रति श्रद्धा व्यक्त की है तो प्रणव मुखर्जी जैसे बहुआयामी नेता को सराहा है।
इलेक्शन में चुनाव लड़ रहे बोगस जाती प्रमाणपत्र धारक उमीदवारों पर भी उन्होंने करार प्रहार करते हुये लिखा है कि इससे योग्य उम्मीदवार पिछड़ जाते है।इन पर कठोर कारवाई की बात भी कही है।
वैक्सीनेशन के नाम पर डॉक्टरों द्वारा की जा रही लूट पर भी करारा प्रहार अपने व्यंग लेख में किया है।
द्वितीय सत्र में उन्होंने हेल्थ केयर पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
स्कूल हेल्थ,परंपरा गत औषधि, वैधकीय परंपरा में बोगस झोलाछाप डॉक्टरों पर भी कड़ा प्रहार किया है।
अपने 40 साल की प्रैक्टिस में खट्टे मीठे अनुभवों को भी डॉ शेजवल ने साझा किया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ किये गए कार्यो तथा संस्मरणों को भी अंत मे उन्होंने साझा किया है।
यह पुस्तक अंग्रेजी में छपी है।जल्द ही इसकी हिंदी/मराठी संस्करण उपलब्ध होंगे।
किताबें लिखने की प्रेरणा उन्हें अपने पिताश्री शंकरराव शेजवल से मिली है।
उनके द्वारा लिखी गयी "क्लीनिकल पीडियाट्रिक्स फ़ॉर जनरल प्रैक्टिशनर्स" एवं " क्लीनिकल प्रेसक्राइबर फ़ॉर स्टूडेंट्स एंड जनरल प्रैक्टिसनर्स" बहुत ही लोकप्रिय हैं।
उन्होंने 6 पुस्तकें अंग्रेजी/मराठी में लिखी है।जल्द ही उनके गीत गजलों, शायरी की हिंदी पुस्तकों का प्रकाशन होगा।
उनके सारी पुस्तकें अमेजन (www.amazon.in/dp/9381496) पर उपलब्ध है।
अपने सामाजिक राजनीतिक अनुभवों को एकत्रित कर उन्होंने "कैप्सूल एवं टेबलेट्स" कहानी संग्रह प्रकाशित किया है।जिसमें 2 पार्ट में 21 एवं 12 कहानियों का संग्रह है।
मोटी चमड़ी वाले राजनैतिक नेताओ पर कटाक्ष करते हुये उन्होंने अपने लेख में कहा है कि किस तरह इलेक्शन के समय ये अपने लोगों को टिकट दिलाने के लिये लड़ते हैं और योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी करते है,क्योकि योग्य उम्मीदवार उनकी चमचागिरी नही करते।
ऑटो रिक्शा की हड़ताल से होने वाले नुकसान/फायदे को उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए लिखा है कि इससे लोगो को पैदल चलने की प्रेरणा मिलती है जो स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है,लोगों ने आज कल चलना छोड़ दिया है,चंद कदम चलने की बजाय रिक्शा में बैठकर जल्द पहुँचने की आपाधापी में रहते है।
रिक्शा हड़ताल से गरीब मरीजों को समस्या होती है,क्योकि वे जल्द हॉस्पिटल नहीं पहुँच पाते,चलने की स्थिति में रहते नहीं।
मुलुंड के खट्टे मीठे अनुभवों को साझा करते हुये लेखक कहता है कि मुलुंड खाने पीने के शौकीन लोगों के लिये स्वर्ग है।यहाँ सड़क किनारे ही आपको बढ़िया वडा पाव,आइस भेल,पाव भाजी,आइस क्रीम,डोसा,जूस मिल जायेंगे।साथ ही अच्छे शाकाहारी/मांसाहारी रेस्टोरेंट भी मिल जायेगा।सम्पूर्ण मुलुंड में इस बात का सुख है कि चंद कदमों पर ही आपको मनपसंद व्यंजन मिल जाता है।
बेहराम कॉन्ट्रैक्टर (बिजी बी) डॉ सेजवल के पसंदीदा राइटर रहे हैं।उन्हीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने छोटे छोटे कहानियों के माध्यम से यह संग्रह लिखा है।
उन्होंने जगह जगह लग रहे बैनरो पर आना गुस्सा उतारा है,हाई कोर्ट की सख्ती के बावजूद नेताओं पर असर नहीं पड़ रहा क्योंकि मनपा अधिकारियों पर राजनेताओ का दबाव रहता है और शहर की छवि धूमिल होती है।
उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के प्रति श्रद्धा व्यक्त की है तो प्रणव मुखर्जी जैसे बहुआयामी नेता को सराहा है।
इलेक्शन में चुनाव लड़ रहे बोगस जाती प्रमाणपत्र धारक उमीदवारों पर भी उन्होंने करार प्रहार करते हुये लिखा है कि इससे योग्य उम्मीदवार पिछड़ जाते है।इन पर कठोर कारवाई की बात भी कही है।
वैक्सीनेशन के नाम पर डॉक्टरों द्वारा की जा रही लूट पर भी करारा प्रहार अपने व्यंग लेख में किया है।
द्वितीय सत्र में उन्होंने हेल्थ केयर पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
स्कूल हेल्थ,परंपरा गत औषधि, वैधकीय परंपरा में बोगस झोलाछाप डॉक्टरों पर भी कड़ा प्रहार किया है।
अपने 40 साल की प्रैक्टिस में खट्टे मीठे अनुभवों को भी डॉ शेजवल ने साझा किया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ किये गए कार्यो तथा संस्मरणों को भी अंत मे उन्होंने साझा किया है।
यह पुस्तक अंग्रेजी में छपी है।जल्द ही इसकी हिंदी/मराठी संस्करण उपलब्ध होंगे।
किताबें लिखने की प्रेरणा उन्हें अपने पिताश्री शंकरराव शेजवल से मिली है।
उनके द्वारा लिखी गयी "क्लीनिकल पीडियाट्रिक्स फ़ॉर जनरल प्रैक्टिशनर्स" एवं " क्लीनिकल प्रेसक्राइबर फ़ॉर स्टूडेंट्स एंड जनरल प्रैक्टिसनर्स" बहुत ही लोकप्रिय हैं।
उन्होंने 6 पुस्तकें अंग्रेजी/मराठी में लिखी है।जल्द ही उनके गीत गजलों, शायरी की हिंदी पुस्तकों का प्रकाशन होगा।
उनके सारी पुस्तकें अमेजन (www.amazon.in/dp/9381496) पर उपलब्ध है।
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