भिवंडी।एम हुसेन ।कश्री राजस्थान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में भिवंडी के भगवान महावीर रोड स्थित महावीर भवन के गुरु श्रेष्ठ पुष्कर देवेंद्र दरबार के प्रांगण में राष्ट्रसंत,उपप्रवर्तक, पूज्य गुरुदेव श्री नरेश मुनि म.सा. ने धर्म परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि आप न बीते की सोचें और न ही भविष्य की सोंचे, केवल वर्तमान के साक्षी बनें, वर्तमान के अनुपश्यी बनें। वर्तमान में जो जैसी स्थिति है,उसका सामना करें, जो कल देगा वह कल की व्यवस्था भी करेगा, हमने हमारी व्यवस्था जो कल के लिए संजोकर रखी है,उनका क्या होगा ? जब ऊपर वाले के बहीखाते में हमारा कल का दिन लिखा हुआ ही नहीं है तो कल के लिए बनाई गई व्यवस्थायें भी उपयोगी नहीं बन पाएगी।
दक्षिण सम्राट ने आगे कहा कि मेरे जिगर में एक बात बहुत विश्वास से जमीं है कि बच्चा जन्म बाद में लेता है लेकिन मां का आंचल दूध से पहले ही भर जाता है। जब हमारे जन्म के साथ ही जिंदगी की व्यवस्थाएं शुरू हो जाती हैं तब व्यक्ति जिंदगी की व्यवस्थाओं को लेकर चिंतित क्यों हो ? अगर कोई मुझसे पूछे कि जिंदगी में मन की शांति पाने का बीजमंत्र क्या है ? तो मैं कहूंगा कि मन में रहने वाली संतुष्टि से ही शांति का जन्म होता है, शांति और संतुष्टि सदा निश्चिंतता से आती है।
जहां सरलता वहां धर्म
इस अवसर पर महासती डॉ. मेधाश्री म.सा. ने कहा कि जहां सरलता होगी वहां पर धर्म होगा, क्योंकि धर्म है आर्ट फूल,कर्म है वंडर फूल। संसार के उलटे रूल जिनवाणी है पावर फूल और जीवन बनाओ सक्सेज फूल। हमें अपने जीवन सार्थक करना है सक्सेज फूल बनाना है तो धर्म की शरण लेनी होगी। ' धर्मो रक्षति रक्षितः' अर्थात आप धर्म की सुरक्षा करते हैं तो धर्म भी आपकी अवश्यमेव सुरक्षा करेगा।
मुनि श्री शालीभद्रजी म.सा. ने भजन के माध्यम से सभा को भाव विभोर करते हुए भक्तिमय माहौल बना दिया। सर्व प्रथम साध्वी समृद्धि श्रीजी म.सा. ने भजन प्रस्तुत किया। गुरुवर्या डॉ. श्री दर्शनप्रभाजी म.सा.ने धर्म जागृति की प्रेरणा देते हुए सामूहिक रूप से अट्ठाई करने वालों की अनुमोदना की। सभा का संचालन संघ मंत्री राजेश मेहता ने किया। उक्त जानकारी देते हुए लक्ष्मीलाल दोषी ने बताया कि गुरूवार आठ अगस्त को श्रमण संघीय दिव्तीय पट्ट्धर आचार्य सम्राट पूज्य श्री आनंदऋषिजी म.सा. की जन्मजयंती गुणानुवाद के रूप में मनाई जाएगी।
दक्षिण सम्राट ने आगे कहा कि मेरे जिगर में एक बात बहुत विश्वास से जमीं है कि बच्चा जन्म बाद में लेता है लेकिन मां का आंचल दूध से पहले ही भर जाता है। जब हमारे जन्म के साथ ही जिंदगी की व्यवस्थाएं शुरू हो जाती हैं तब व्यक्ति जिंदगी की व्यवस्थाओं को लेकर चिंतित क्यों हो ? अगर कोई मुझसे पूछे कि जिंदगी में मन की शांति पाने का बीजमंत्र क्या है ? तो मैं कहूंगा कि मन में रहने वाली संतुष्टि से ही शांति का जन्म होता है, शांति और संतुष्टि सदा निश्चिंतता से आती है।
जहां सरलता वहां धर्म
इस अवसर पर महासती डॉ. मेधाश्री म.सा. ने कहा कि जहां सरलता होगी वहां पर धर्म होगा, क्योंकि धर्म है आर्ट फूल,कर्म है वंडर फूल। संसार के उलटे रूल जिनवाणी है पावर फूल और जीवन बनाओ सक्सेज फूल। हमें अपने जीवन सार्थक करना है सक्सेज फूल बनाना है तो धर्म की शरण लेनी होगी। ' धर्मो रक्षति रक्षितः' अर्थात आप धर्म की सुरक्षा करते हैं तो धर्म भी आपकी अवश्यमेव सुरक्षा करेगा।
मुनि श्री शालीभद्रजी म.सा. ने भजन के माध्यम से सभा को भाव विभोर करते हुए भक्तिमय माहौल बना दिया। सर्व प्रथम साध्वी समृद्धि श्रीजी म.सा. ने भजन प्रस्तुत किया। गुरुवर्या डॉ. श्री दर्शनप्रभाजी म.सा.ने धर्म जागृति की प्रेरणा देते हुए सामूहिक रूप से अट्ठाई करने वालों की अनुमोदना की। सभा का संचालन संघ मंत्री राजेश मेहता ने किया। उक्त जानकारी देते हुए लक्ष्मीलाल दोषी ने बताया कि गुरूवार आठ अगस्त को श्रमण संघीय दिव्तीय पट्ट्धर आचार्य सम्राट पूज्य श्री आनंदऋषिजी म.सा. की जन्मजयंती गुणानुवाद के रूप में मनाई जाएगी।
Post a Comment
Blogger Facebook