भिवंडी। एम हुसेन ।अकैडमी फार आर्ट्स एंड कल्चर महाराष्ट्र द्वारा प्रसिद्ध कवि अज़ीज़ नबील के उर्दू काव्य संग्रह"आवाज़ के पर खुलते हैं " का विमोचन समारोह का आयोजन रईस हाई स्कूल व ज्युनियर कॉलेज,भिवंडी के उर्दू बसेरा आडिटोरियम में किया गया। समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात शिक्षाविद अली एम.शम्सी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ सईद फारानी (मालेगांव)एवं अब्दुल अज़ीम आज़मी तथा विशेष अतिथि के रूप में मोहम्मद रफी अंसारी एवं मोनिका सिंह (पूना)उपस्थित थीं।अन्य अतिथियों में मोहम्मद शारिक शेख,मोहम्मद अहमद(अल अफ़ज़ा टूर एंड ट्रावेल्स)अकैडमी फार आर्ट्स एंड कल्चर महाराष्ट्र के डायरेक्टर एवं समारोह के आयोजक अब्दुल हसीब जामयी ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया तथा समारोह की आवस्यकता एवं उपयोगिता बताते हुए कहा कि अज़ीज़ नबील ने अपनी शायरी द्वारा भिवंडी को पूरी दुनियां से परिचित कराने में अहम भूमिका अदा किया है। "आवाज़ के पर खुलते हैं"का विमोचन समारोह के अध्यक्ष अली एम. शम्सी,डॉ सईद फारानी तथा अन्य अतिथियों के हाथों सम्पन्न हुआ। रफी अंसारी ने विमोचन की गई पुस्तक के विषय में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अज़ीज़ नबील की ग़जलों में रस है जो गर्म मौसम में भी रासबेरी का मज़ा देती हैं।आप ने अज़ीज़ नबील को खुश फ़िक्र शायर एवं उर्दू अदब का दूत बताया।इस अवसर पर डॉ सईद फारानी और मोनिका सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए अज़ीज़ नबील को पुस्तक के विमोचन पर बधाई दी। साहबे एजाज़ अज़ीज़ नबील नेंअपने मनोगत व्यक्त करते हुए कहा कि आज मेरी जिस तरह से पज़ीराई की गई है इस से मेरा मन गद-गद हो गया है। आप ने अपने चाहने वालों और समारोह के आयोजकों के प्रति आभार प्रकट किया तथा अपनी पुस्तक के विमोचन के लिए आभार व्यक्त किया।अली एम शम्सी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में अज़ीज़ नबील की शायरी की सराहना करते हुए कहा कि इन्हों ने अपनी शायरी में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया है जिसे हर कोई आसानी के साथ समझ सकता है यही इनकी शायरी की विशेषता है।समारोह में अब्दुल अज़ीम आज़मी को साहित्य और क्रीड़ा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए "निशाने इम्तियाज़ शहरे अदब भिवंडी"अवार्ड से सम्मानित किया गया।समारोह का संचालन मक़सूद अंसारी,और आभार प्रदर्शन अब्दुल अज़ीज़ नें किया। सोखन रुबरु (कवि सम्मेलन) में जनाब अज़ीज़ नबील,मोनिका सिंह,ज़ुबैर अली ताबिश,मुश्ताक़ अहमद मुश्ताक़,ज़ाकिर खान ज़ाकिर,खुर्शीद अनवर बेग,अरशद जमाल,बाबर शरीफ,ओबैद हारिस,डॉ गौरी मिश्रा,नायला शऊर,अहसन उस्मानी,काशिफ सैय्यद और शरजील अंसारी ने अपनी रचनायें प्रस्तुत कीं जिसे श्रोताओं ने खूब पसंद किया और भरपूर होसला अफ़ज़ाई की। शेयरी महफ़िल का संचालन इम्तियाज़ खलील ने किया।
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