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संवाददाता, भिवंडी । बच्चों के सर्वागीण विकास में बालवाडी शिक्षिकाओं की अहम भूमिका होती है।उल्लेखनीय है कि जब बच्चे पहली बार घर के आंगन से‌ निकलकर सबसे ज्यादा समय बालवाडी में देते हैं। वहां पर बालवाडी शिक्षिका द्वारा बच्चों में सर्व प्रकार की शिक्षा देने के साथ साथ पालन पोषण भी किया जाता है इसीलिए  बच्चों के पालन पोषण में बालवाडी शिक्षिका की अहम भूमिका होती है। इस प्रकार का वक्तव्य मनपा आयुक्त मनोहर हिरे ने भिवंडी महानगरपालिका व वुमन्स वेल्फेअर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में  बालवाडी शिक्षिका व प्राथमिक शिक्षिका प्रशिक्षण  कार्यक्रम के उदघाटन के समय व्यक्त ‌किया।
      ज्ञात हो कि रईस हाई स्कूल स्थित उर्दू बसेरा हाॅल मेंं बालवाडी शिक्षिका तथा प्राथमिक शिक्षिका का प्रशिक्षण
शिविर का आयोजन किया गया था।
 जिसमें मुख्य रुप से अतिरिक्त आयुक्त अशोककुमार रणखांब, महिला व बाल कल्याण सभापती शबनम  महबूबुर्रहमान अंसारी , वुमन वेल्फेअर फाउंडेशन की अध्यक्ष मीनाक्षी उज्जैनकर, प्रशिक्षण सत्र के मार्गदर्शक व बाल हक्क तज्ञ दीपक नीचेत , महिला व बाल विभाग के उपायुक्त पंढरीनाथ वेखंडे, महिला व बाल विभाग प्रमुख  कल्पना तलपाडे, जनसंपर्क अधिकारी मिलिंद पलसुले आदि उपस्थित थे।
      मनपा आयुक्त ने कहा कि
बच्चों के दिमाग का विकास शून्य से पांच वर्षो के कार्यकाल में होता है। वहीं पर बच्चों में मानसिक रोगों की जानकारी मां के बाद बालवाडी की शिक्षिका को ही होती है तथा बच्चों में संस्कार घर के बाद बालवाडी स्कूल से प्राप्त होता है।
       अतिरिक्त आयुक्त अशोककुमार रणखांब ने कहा की बालवाडी शिक्षिका के संस्कार से भावी पीढ़ी का उदय होता है। ऐसा ही कार्यक्रम आगे भी चलता रहे। उक्त अवसर पर प्रमुख मार्गदर्शक दीपक नीचेत, सबा हजू  ने बच्चों के विविध हक्क व बच्चों के विकास के विभिन्न कायदे तथा बच्चों पर हो रहे लैंगिक अत्याचार कायदे की‌ जानकारी दी । कार्यक्रम का प्रास्ताविक उपायुक्त पंढरीनाथ वेंखडे तथा सूत्रसंचालन महेंद्र बोबडे ने किया । इस कार्यक्रम में महानगर पालिका के बालवाडी शिक्षिका व मदतनीस भारी संख्या में उपस्थित थे।

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  1. भिवंडी देवजी नगर सरकारी स्कूल बालवाड़ी कक्ष में वहा के टीचर्स बछोंको एडमिशन नहीं दे रहे है।
    जब की उसमे सिर्फ १० बच्चे पढ़ते हैं।

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