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 भिवंडी ।एम हुसेन। भिवंडी शहर की सीमा से सटकर बहने वाली कामवारी नदी मानव जैसे नदी नही रह गई है। केमिकल कंपनियों के कारण हुए जलप्रदूषण एवं नदी के किनारे होने वाले   अतिक्रमण के कारण कामवारी नदी गंदा नाला के रूप जैसी  हो गई है। कामवारी नदी को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए मैग्सेसे पुरूस्कार विजेता जलपुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह मृतप्राय हो चुकी कामवारी नदी को पुनर्जीवित करने हेतु  स्थानीय प्रशासन एवं समाज को उसकी तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मां के बीमार होने पर उनका उपचार बच्चों द्वारा किया जाना चाहए जिसके लिए शहर सहित ग्रामीण भाग के नागरिकों को विद्यार्थियों को शामिल करना चाहिए ।कामवारी नदी बचाओ अभियान के लिए आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुुए जलपुरुष डॉ.राजेंद्र सिंह ने कहा कि कामवारी नदी की सफाई एवं उसकी सुरक्षा के लिए सरकार को स्वतंत्र प्राधिकारण की स्थापना करनी चाहिए।
    बतादें कि भिवंडी मनपा एवं श्री हालारी विशा ओसवाल महाविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ठाणे जिला की नदियों की सफाई प्रकल्प एवं जल व्यवस्थापन अंतर्गत कामवारी नदी बचाओ अभियान के लिए महाविद्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया थ। जिसमें मैग्सेसे पुरूस्कार विजेता जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह,मनपा आयुक्त मनोहर हिरे,यशदा संस्था के संचालक डॉ. सुमंत पांडेय, कार्यक्रम की संयोजिका महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. स्नेहल दोंदे सहित जहां भारी संख्या में लोग उपस्थित थे वहीं इस कार्यक्रम में जिलाधिकारी के शामिल न हो पाने के कारण राजस्व विभाग का कोई भी अधिकारी अथवा उनका कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था। कार्यशाला में राजस्व विभाग के किसी भी अधिकारी के न शामिल होने के कारण आयोजकों ने नाराजगी व्यक्त की है । कार्यशाला में कामवारी नदी के संबंध में तस्वीर दिखाकर नदी के स्वरूप को दिखाया गया  जिसके बाद कामवारी नदी को पुनर्जीवित करने की योजना की समीक्षा करने का निर्णय लिया गया ।
   कार्यशाला के बाद जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह सहित उसमें शामिल लोगो ने कामवारी नदी जाकर उसका प्रत्यक्ष सर्वेक्षण किया । कार्यशाला एवं नदी का प्रत्यक्ष सर्वेक्षण करने के बाद जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि मनपा प्रशासन एवं जिला राजस्व विभाग बातें तो अच्छी करता है लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं देता है। उन्होंने कामवारी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पांच कामों को करने का सुझाव दिया जिसके अनुसार कामवारी नदी जहां से बहती है वहां के गांव-गांव एवं शहरों के छात्रों और नागरिकों में चेतना जगाने की आवश्यकता है जिसके लिए जवाबदारी देने की आवश्यकता है।उसमें शिक्षकों को भी शामिल किया जाना चाहिए ,नदी के सफाई करने की जवाबदारी मनपा प्रशासन एवं ग्रामीण प्रशासन को मिलकर करना चाहिए।कामवारी नदी की सफाई एवं उसकी सुरक्षा के लिए सरकार को स्वतंत्र प्राधिकारण की स्थापना करनी चाहिए, वैज्ञानिकों के एक समूह को नदी की बीमारियों का पता लगाने और उनका उपचार करने के लिए काम करना चाहिए। शहर और ग्रामीण के जनप्रतिनिधियों को इसकी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। इसमें उन सभी लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए जो अपने सामाजिक संस्थान में शामिल हैं। इसके साथ ही नदी की सीमाओं को नियमित करके उसके सीमाओं की रक्षा की जानी चाहिए ताकि नदी सदैव सुरक्षित रहे ।



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