भिवंडी। एम हुसेन । भिवंडी निवासी एक जैन परिवार के दो सगे भाइयों में इस प्रकार का प्रेम एवं एक दूसरे से लगाव है कि वह लगभग पूर्व 50 वर्षों से एक थाली में खाना खा रहे हैं। जो अपने आप में एक मिसाल बना हुआ है। भाई ही नहीं इनका पूरा परिवार संयुक्त परिवार के लिए एक मिसाल के तौर पर जाना जाता है।
ज्ञात हो कि पूर्व सन 1962 में राजस्थान के विसलपुर से राजमल जैन व्यापार करने के लिए भिवंडी आए थे और खड्ग रोड पर स्थित लक्ष्मी बिल्डिंग में रहकर ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करने लगे। बाद में राजमल जैन के साथ उनके दो अन्य भाई छगनलाल जैन एवं केशरीमल जैन भी आए। समाजसेवा में अधिक रूचि होने के कारण राजमल जैन समाजसेवा में बढचढकर भाग लेने लगे थे और उनके दोनों छोटे भाई ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय देखने लगे। भैरव ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय धीरे-धीरे आगे बढ़ने के कारण राजमल जैन के दो सबसे छोटे भाई प्रकाशचंद जैन एवं पुष्पतराज जैन भी भिवंडी आ गए थे। प्रकाशचंद जैन एवं पुष्पतराज जैन दोनों भाइयों में इस प्रकार का प्रेम एवं लगाव रहा कि विवाह होने के पहले सन 1969 से एक साथ एक थाली में बैठकर खाना खाते थे और आज लगभग 50 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रकाशचंद जैन (70 ) एवं पुष्पतराज (66) एक थाली में ही खाना खा रहे हैं।
पुष्पतराज जैन ने बताया कि वह पांच भाई हैं, जिसमें तीन भाइयों का स्वर्गवास हो गया है। लेकिन जब पांचो भाई थे और पांचो भाई भिवंडी में रहते थे तो सभी एक साथ बैठकर ही खाना खाते थे। उन्होंने बताया वह दोनों भाई दिन का खाना प्रकाशचंद जैन के घर एवं रात का खाना पुष्पतराज जैन के घर खाते हैं, कहीं किसी काम से बाहर जाने पर आने में देरी होने पर खाने के लिए तब तक इंतजार करते हैं जब तक कि दोनों भाई आ न जाएं। प्रकाशचंद जैन की पत्नी बबीबेन ने बताया कि उपवास आदि रहने पर दूसरे दिन चाहे जितना देर हो जाए लेकिन जब तक दोनों भाई आ नहीं जाते तब तक वह खाना नहीं खाते हैं। पुष्पतराज जैन की पत्नी पवनबेन ने बताया कि इन दोनों भाइयों की तरह इनके तीनों बड़े भाई भी एक साथ बैठकर खाना खाते थे जो लगभग नौ वर्षों तक एक साथ बैठकर खाने खाए हैं।
पुष्पतराज जैन ने बताया कि एक बार उनके घर की टीवी खराब हो गई थी जब इसकी जानकारी उनके बड़े भाई प्रकाशचंद जैन को हुई तो उन्होंने तुरंत नई टीवी मंगवा दिया, लेकिन पुष्पतराज जैन ने कहा कि उन्हें टीवी की जरूरत नहीं है। जिसके कारण वह इसे लगवाएंगे नहीं। उसके कुछ दिन बाद ही प्रकाशचंद जैन का स्कूटर खराब हो गया था और जब इसकी जानकारी छोटे भाई पुष्पतराज जैन को हुई तो उन्होंने इनके लिए नई स्कूटर ला दिया। लेकिन उन्होंने ने भी वही जवाब दिया कि जब तक वह टीवी नहीं लगाएगा तब तक वह स्कूटर नहीं चलाएंगे। जब पुष्पतराज ने टीवी लगवा लिया तो प्रकाशचंद जैन ने स्कूटर चलाना शुरू कर दिया। प्रकाशचंद जैन बताते हैं कि वह पिछले नौ वर्षों से उपवास रहते हैं फिर भी दोपहर के समय साथ में ही बैठकर खाते हैं।
भाइयों के साथ इनके परिवार में भी काफी लगाव एवं एक दूसरे के प्रति काफी आदर भी है। पुष्पतराज जैन ने बताया कि अलग-अलग रहने के बाद भी उनके परिवार का हर सदस्य शाम को घर जाने के पहले आकर उन्हें बताता है कि वह अब घर जा रहा है। उन्होंने बताया कि सन 1970 से बाहर जाने वाले अपने परिवार के सभी लोगों का रात में बैठकर इंतज़ार करते हैं रात में चाहे 11 बजे या 12। मुंबई आदि जाने पर जिसको वापस आने में देरी होने की संभावना रहती है वह पहले ही सूचित कर देता है। उनके परिवार की यह परंपरा शुरू से ही चली आ रही है। आज परिवार में इनकी बहनों को लेकर कुल 167 सदस्य हैं जिनमें वही आपसी प्रेम बना हुआ है जो एक मिसाल है ।
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