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भिवंडी। एम हुसेन ।माहे रमजान  एक तरफ जहां इबादत का महीना है वहीं दूसरी तरफ व्यावसायिक उद्देश्य से भी रमजान का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन पावरलूम उद्योग में छाई भयंकर मंदी के साथ ही केंद्र सरकार की लचर व्यापार नीति का स्पष्ट प्रभाव आम लोगों के जीवन पर पड़ रहा है। भिवंडी की बाजारों में महिलाओं की भीड़ जरूर दिखाई दे रही है लेकिन खरीददारी न के बराबर है। बाज़ारों में व्याप्त आर्थिक संकट के प्रभाव के कारण दुकानदारों में काफी निराशा व्याप्त है। अधिकांश दुकानदारों का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि लोगों की जेब में पैसे ही नहीं है जिससे वह अपने जरूरी सामानों की खरीददारी कर सकें। 
     गौरतलब है कि  पावरलूम नगरी  भिवंडी में प्रति वर्ष रमजान मुबारक की शुरुआत से ही शहर के बाज़ारों की रौनक बढ़ जाती थी हर तरफ चहल-पहल रहता था, रमज़ान का पहला दस दिन खत्म होते ही शहर की मुख्य बाज़ार तीनबत्ती, बाज़ार पेठ ,मंडई, खंडूपाड़ा,गैबीनगर,शांतिनगर सहित शहर के अन्य क्षेत्रों में दुकानों पर ईद की खरीदारी को लेकर महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़े,चूड़ियां,मेहंदी और बच्चों के कपड़े की खरीददारी में व्यस्त दिखाई देती थीं। लेकिन इस वर्ष खरीददारी लगभग न के बराबर होने के कारण बाजारों में आर्थिक संकट का प्रभाव साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। विशेष रूप से महिलाओं के कपड़े, पर्स एवं ज्वेलरी सहित अन्य सामान बेचने वाले विक्रेता बाज़ार में व्याप्त मंदी से निराश दिखायी दे रहे हैं।
   तीनबत्ती  के लाला शॉपिंग सेंटर, मिरकॉल माल, रूबी शॉपिंग सेंटर सहित दुकानों, शोरूमों एवं स्टालों पर इफ्तार के बाद महिलाओं का समूह भारी संख्या में आ रहा है लेकिन खरीददारी न होने के कारण दुकानदारों में भारी निराश है। लाला शॉपिंग सेंटर के लकी सिल्क पैलेस के मालिक मो. रमीज़ ने बताया कि उनकी महिलाओं के कपड़ों की दुकान है, जहां हर वर्ष रमजान के अवसर पर अच्छी खासी विक्री होती थी। वहीं इस वर्ष व्यापार की हालत इस कदर खराब है कि पिछले 20 वर्षों के बीच उन्होंने ऐसे बुरे हालात नही देखे हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में भीड़ जरूर है लेकिन ग्राहक कुछ खरीद नही रहे हैं  ऐसा लग रहा है कि ग्राहक के पास पैसे ही नही हैं। लेडीज पर्स, बैग और बुर्का के व्यापारी इमरान अंसारी ने बताया कि रमजान का 15 दिन तेजी से गुजर जाने के बाद भी अब तक के कारोबार में तेजी नहीं आई है। रूबी शॉपिंग सेंटर में कपड़ों के थोक व्यापारी फैय्याज प्रिन्स ने बताया कि अभी तक हमारा व्यवसाय औसत ही रहा है। कादरी क्लाथ के मालिक शकील भाई भी अब तक व्यापार से काफी निराश हैं। इसी प्रकार से ड्राई फ्रूट,आर्टिफिशयल ज्वेलरी सहित अन्य दुकानदारों में भी काफी निराशा व्याप्त है। यहां के दुकानदारों का कहना है कि उनलोगों को रमजान के मुबारक महीने का इंतजार रहता है। क्योंकि रमजान के अवसर इतनी विक्री हो जाती है कि  साल भर का उनका खर्च निकल आता है। लेकिन इस वर्ष आर्थिक संकट के कारण खरीददारी न होने से निराशा ही नजर आ रही है।   

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