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भिवंडी। एम हुसेन ।भिवंडी निज़ामपुर शहर महानगरपालिका शिक्षण मंडल द्वारा संचालित स्कूल क्रमांक ६३, ९७ धामनकर नाका स्थित की जर्जर (धोखादायी) इमारत में चलाया जा रहा है। जहां पर हमेशा बच्चो व् कार्यरत शिक्षकों के जानमाल  का खतरा बना रहता है. इन दोनों स्कूलों में भिवंडी पॉवरलूम गरीब मजदूरों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है।  यहां पर भिवंडी महानगरपालिका शिक्षण मण्डल द्वारा पहली से ८ वीं तक की ही शिक्षा की व्यवस्था है. ८ वीं के बाद बच्चो को अन्य किसी दूसरे स्कूल में प्रवेश लेना पड़ता है. जोकि कई किलोमीटर दूर होता है. ऐसे में गरीब पॉवरलूम मजदूरो के बच्चो के पैसे खर्च होते है और समय भी गलता है. जिसके कारण बहुत से बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाते है.  भिवंडी डेवलपमेंट  फ्रंट के संयोजक फ़ाज़िल अंसारी ने स्कूल क्रमांक ६३, ९७ की जर्जर इमारत को गंभीरता से लेते हुए लिखित पत्र द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से  मांग की है, कि  भारत के भविष्य छोटे छोटे बच्चो के जानमाल के खतरे को ध्यान में रखते हुए अविलंब जर्जर इमारत की रिपेरिंग कराई जाए।स्कूल क्रमांक ६३, ९७ की जर्जर इमारत की दूसरी मंजिल पर भिवंडी महानगरपालिका में कार्यरत कर्मचारी रहते है, जिससे पढ़ने वाले बच्चो का ध्यान केंद्रित नहीं रहता है. इसलिए भिवंडी महानगरपालिका में कार्यरत कर्मचारियों को दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाए और दूसरी मंजिल पर ९ वीं और १० वीं की  क्लास शुरू की जाए ताकि गरीबों व मजदूरों के बच्चे आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए रूचि लेसकें। 

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