Ads (728x90)

- राजा को पता नहीं भील बांट आ रहे हैं वन की युक्ति हो रही यहां चरितार्थ

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

जौनपुर। सूबे में भले ही सत्ता परिवर्तन हुआ है  पर अधिकारियों की मानसिकता में परिवर्तन नहीं हुआ है । अधिकारी आज भी मनमाने ढंग से अनैतिक कार्यों को अंजाम देने में लगे हुए हैं जिनके इशारे पर दलालों का चंहुओर बोलबाला देखने सुनने में आ रहा है। इस मामले में जिले का केराकत तहसील अव्वल बना हुआ है। बात करें तहसील की या रजिस्ट्री ऑफिस की तो दोनों ही कार्यालयों में दलालों का बोलबाला है। दलाल और बिचौलियों के इशारे पर हर वह अनैतिक कार्य को बखूबी अंजाम दे दिया जाता है जो कायदे-कानून के लिहाज से उचित नहीं कहा जा सकता है।  लेकिन नहीं यहां सब कुछ पैसे की माया और दलालों- बिचौलियों के जरिए सुगमता पूर्वक संपन्न करा दिया जाता है। बात करें जमीनों में हेराफेरी फर्जी रजिस्ट्री या अन्य काम सब कुछ बड़े ही गोपनीय ढंग से संपन्न करा दिया जाता है। जिसकी लोगों को कानों-कान भनक तक नहीं होने पाती है। यों कहे कि राजा को पता नहीं और भिल वन बांट आये कि युक्ति यहां सटीक बैठती है। गौर करें तो नगर में भूमि विवाद से संबंधित दर्जन भर ऐसे मामले हैं जो दलालों और बिचौलियों द्वारा पैदा किए गए हैं। जिसका दर्द आज भी कई जनों को झेलना पड़ रहा है। मजे की बात है कि ऐसे मामलों में शिकायत के बाद भी प्रशासन द्वारा निस्तारण की धीमी प्रक्रिया के चलते मामले लंबे अरसे से लंबित पड़े हुए हैं। वहीं  भूमि के खरीद फरोक्त में जुटे दलाल और बिचौलिए दिनोंदिन ऐसे मामलों को अंजाम देते जा रहे हैं जिन पर शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई संभव नहीं हो पा रहा है। थाने से लेकर तहसील, रजिस्ट्री ऑफिस तक इनका बोलबाला देखने सुनने में आ रहा है। केराकत तहसील तथा रजिस्ट्री ऑफिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर नगर के कुछ प्रबुद्ध जनों ने मुख्यमंत्री सहित शासन में बैठे अधिकारियों से इस बात की शिकायत करने के साथ पिछले कुछ वर्षों से लेकर अब तक हुए रजिस्ट्री बैनामा इत्यादि सहित कई राजस्व मामलों की जांच कराने की मांग की है ताकि फर्जीवाड़े का खुलासा हो सके। बताते चलें कि केराकत नगर सहित नगर से लगे इलाकों में भूमि विवाद के कई मामले लंबित है जो इन्हीं दलालों और बिचौलियों की उपज हैं। इन दिनों अकेले केराकत नगर में ही कुछ सुसंगठित लोगों का एक गिरोह ऐसे कामों को अंजाम देने में जुटा हुआ है जो राजस्व कर्मियों, उप निबंधक कार्यालय केराकत तथा इलाकाई पुलिस से साठगांठ कर ऐसे मामलों को अंजाम देता आ रहा है। जिससे ना केवल विवादों को बल मिला है बल्कि पीड़ित पक्ष कचहरी के साथ न्यायालयों का चक्कर काटने को विवश है। मजे की बात है कि न्यायालय में विचाराधीन मामलों में भी दलालों और बिचौलियों के माध्यम से सारे कायदे कानून तथा न्यायालय व्यवस्था को धता बताते हुए अपने कार्यों को इन लोगों द्वारा बखूबी अंजाम दे दिया जा रहा है। जिसमें पुलिस की भी भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। केराकत तहसील के कुछ राजस्व कर्मियों की भी इस मामले में भूमिका संदिग्ध है जो नगर के कुछ भूमाफियाओं, दलालों के इशारे पर नाचने को विवश हैं।


Post a Comment

Blogger