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-ग्राम प्रधान सहित षिक्षा विभाग ने मंूद रखी है आंखे, चारागाह बना विद्यालय परिसर
-ब्लाकस्तीय अधिकारी भी बने हुए है खामोष, ग्रामीणों की षिकायत हुई बेअसर

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। सरकारी भू-सम्पत्तियों पर कब्जा करने की होड़ किस कदर लगी हुई है यह देखना हो तो चले आयें पटेहरा विकास खंड़ क्षेत्र में जहां दबंगई और मनमाने पन की एक नहीं कई जीती जागती तस्वीर देखने को मिलेगी। जिसे देख न केवल आप चकित हो जायेगें, बल्कि व्यवस्था भी षरमा उठेगी। जी हां! हम बात कर रहे हैं जिले के विकास खंड़ क्षेत्र अन्र्तगत अमाई गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की जिसके परिसर में कुछ लोग अपना नीजी आवास बनाकर रह रहे है। और तो और आवास के साथ बाकायदा षौचालय भी बनवा लिया गया है। जिसकी ओर से षिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से लगाय ब्लाकस्तरीय अधिकारियों ने भी चुप्पी साध रखी है। हद तो यह है कि गांव के मुखिया ग्राम प्रधान ने भी इस ओर से आंखे मंूद ली है। वैसे दबी जुबान लोगों की माने तो ग्राम प्रधान का इन्हें संरक्षण प्राप्त है इस लिए कोई खुलकर विरोध नहीं कर पाता है। पूर्व में इस बात की संबंधित अधिकारियों से षिकायत भी की गई थी, लेकिन षिकायत को अनसुना कर दिया गया। ग्रामीणों की माने तो यदि प्रषासन द्वारा इस मामले में कार्रवाई न की गई तो आने वाले समय में प्राथमिक विद्यालय परिसर में अन्य लोगों के भी आषियाना बनते देर नहीं लगेगी। मजे कि बात है कि लबे रोड स्थित प्राथमिक विद्यालय अमोई पटेहरा विकास खंड़ मुख्यालय से महज कुछ ही किमी की दूरी पर स्थित है बावजूद इसके आज तक किसी जिम्मेदारजन ने इस ओर झांकने तक की जहमत नहीं उठाई है। किसकी इजाजत तथा किस आधार पर प्राथमिक विद्यालय परिसर में नीजी भवन बनाकर रहा जा रहा है यह कोई भी बताने को तैयार नहीं है। खुद विभागीय लोग इस सवाल पर कन्नी काट जाते हैं। ग्राम प्रधान तो मानों जैसे इसे जानते ही नहीं है। विद्यालय पर तैनात एक षिक्षक ने नाम न छापे जाने की षर्त पर बताया कि यह सब कुछ ग्राम प्रधान की दबंगई का असर है। ग्राम प्रधान की मनमानी से सभी त्रस्त हैं। वह बताते है कि षिकायत किए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। जिसका असर यह है कि विद्यालय परिसर चारागाह बन कर रह गया है। बच्चों के पठन-पाठन पर भी असर पडता आ रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई संभव न हो पाने से वह भी चाह कर कुछ कर नहीं पा रहे हैं। मजे कि बात है ओर से जनपद के अधिकारी भी खामोष बने हुए है। जिससे साफ उजागर होता है कि सरकारी भू-सम्पत्तियों के प्रति उनकी उदासीनता ऐसे लोगों को बढ़ावा देने का काम कर रही है।



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