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झारखंड( चतरा) : केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई साक्षरता अभियान को झारखंड के एक छोटे से गांव में पूर्णरूपेण सिद्ध करके दिखा दिया कि हम देश के विकास में सबसे आगे हैं । इस गांव के लोग भले ही जमींदार ना हो लेकिन जितने भी रुपयों की आमदनी होती है उसमें अपने बच्चों को शिक्षित करने का पूर्णरूपेण प्रयास करते हैं । यह कहानी है चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड के अधीन हडिया गांव की।
         यह गांव चारों ओर से घने जंगल के बीच बसा हुआ है, जंगल से घिरे होते हुए भी इस गांव के प्रायः सभी लोग साक्षर हैं। यही कारण है कि पूरा गांव खुशहाल है गांव के बच्चे पढ़ने के लिए निकटवर्ती बड़े शहर हजारीबाग और रांची के अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में जाते हैं।  तकरीबन 400 की आबादी वाले इस गांव की 25% पुरुष और महिलाएं सरकारी और गैर सरकारी नौकरी में लगे हुए हैं । शेष व्यक्ति खेती कार्यक्षेत्र में है। यहां के ग्रामीण बेहद ईमानदार है इस ईमानदारी की वजह से यहां के घरों में ताले नहीं लगते हैं।  गांव के अधिकांश घर मिट्टी के हैं जो काफी स्वच्छ एवं सुंदर हैं।  गांव के लोग सरना एवं ईसाई धर्म के मानने वाले हैं।  ग्रामीणों में अच्छा समन्वय है जिसके कारण अपवाद को छोड़कर आज तक कोई विवाद नहीं हुआ । पूर्णरूपेण शिक्षित इस गांव के लोग भले ही हुए पशु चराने वाले हो लेकिन हुए फर्राटेदार अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय भाषा में बातें करते दिखते हैं । गांव के लोग ईमानदार और निष्ठावान हैं यही इनकी और इनके गांव की पहचान है।
          यूं तो हमारे शास्त्र में भी कहा गया है कि जहां सरस्वती का वास होता है वहां ना ही कभी आपसी कलह होती है और ना ही किसी प्रकार का विवाद । यह बातें इस समय इस गांव में देखने को मिलती है । हमें सबों को इस गांव से सीख लेनी चाहिए और अपने परिवार और गांव को पूर्णरूपेण साक्षर कर देश के विकास में योगदान करना चाहिए।

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