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नई दिल्ली। चोर दरवाजे से देश के जानेमाने संस्थानों का निजीकरण कर शिक्षा को काॅरपोरेट के हाथों सौंपने की साजिश रच रही है केन्द्र सरकार।
अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संगठन  एआईफुक्टो महासचिव प्रो0 अरुण कुमार ने उक्त बातें कही। उन्होने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से केन्द्रीय मानव संसाधन विभाग के दबाव में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा हाल ही में 62 संस्थानों को स्वायत्तता देने की कटु आलोचना करते हुए कहा है कि यह फैसला देश के साथ एक बड़ा धोखा है। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को स्वायत्तता देना न केवल संवैधानिक एवं वित्तीय जिम्मेदारी से पीछे हटना है बल्कि चोर दरवाजे से देश के जानेमाने संस्थानों का निजीकरण कर काॅरपोरेट के हाथों सौंपने का जनविरोधी फैसला है। स्वायत्तता के नाम पर उन संस्थानों को बाजार के हवाले करना आम जनाकांक्षाओं को कुचलने और शिक्षा को मॅहगा बनाकर आम आदमी की पहुँच से बाहर करने का खुला ऐलान है। डब्ल्यू टीओ और वर्ल्ड बैंक के ईशारे पर नीति आयोग और हेफा (HEFA) के रास्ते सार्वजनिक शिक्षा को सदा के लिए खत्म करने की यह एक बहुत बड़ी  सुनियोजित सरकारी साजिश है।
एआईफुक्टो के महासचिव प्रो0 कुमार ने कहा है कि देश के लाखों शिक्षकों और शिक्षा जगत से जुड़े कर्मियों ने इसे चुनौती के रूप मे लिया है और आगामी 03 अप्रिल को एआईफुक्टो के आह्वान पर लाखों शिक्षक दिल्ली की सड़कों पर प्रतिरोध मार्च करेंगे और संसद के समक्ष प्रदर्शन करेंगे। साथ ही केन्द्र सरकार की जनविरोधी शिक्षा नीति के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
विदित हो कि एआईफुक्टो द्वारा आयोजित 03 अप्रैल के विरोध मार्च में देश के प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर के लगभग सभी प्रमुख शिक्षक /कर्मचारी/ छात्र संगठनों और शिक्षा क्षेत्र में क्रियाशील अन्य संगठनों ने समर्थन करने और भागीदारी का निर्णय किया है।
ज्वाॅइन्ट फोरम फाॅर मूवमेंट ऑन एडुकेशन (Joint Forum for Movement on Education (JFME) के बैनर तले आयोजित यह ऐतिहासिक प्रतिरोध मार्च और रैली मुख्य रूप से सरकार की जनविरोधी और काॅरपोरेट पक्षी शिक्षा नीति के खिलाफ है।मुख्य संगठनों में एआईफुक्टो (AIFUCTO),फेडकुटा(FEDCUTA),डूटा(DUTA),एआईएसटीएफ (AISTF),एसटीएफआई (STFI),बीएसटीए (BSTA),एआईएफईटीओ (AIFETO),फीजे(FISE),एआईएफआरयूसीटीओ (AIFRUCTO),एआईएसईसी(AISEC),बीपीटीए(BPTA), एसटीईए (STEA),एबीयूटीए (ABUTA), वित्त रहित शिक्षा संघर्ष  मोर्चा के साथ साथ एआईएसएफ(AISF),एसएफआई(SFI),एआईएसए(AISA )और एआईडीएसओ(AIDSO) सहित कई छात्र संगठनों के हिस्सा लेने की संभावना है।शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संगठनों का समर्थन रोज रोज बढ रहा है,जिससे प्रतीत होता है कि रैली और प्रतिरोध मार्च ऐतिहासिक और अद्वितीय होगा।जिसे देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय नेता संबोधित करेंगे और इसकी गूँज संसद में भी सुनाई देगी। प्रतिरोध मार्च मंडी हाउस  से संसद भवन तक जयगा।
विज्ञप्ति में एआईफुक्टो महासचिव ने कहाकहा है कि देश की शिक्षा घोर संकट से गुजर रही है।प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा को सार्वजनिक क्षेत्र से खत्म करने पर सरकार उतारू है।इसके जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और वैज्ञानिक  स्वरूप को खत्म करने का फैसला नीति आयोग कर चुकी है।सबके लिए सस्ती  सुलभ शिक्षाके संवैधानिक दायित्व से सरकार मुक्त होने के लिए रोज रोज जनविरोधी फैसले कर रही है।लगातार हजारों  विद्यालय बंद कि ये जा रहे हैं ।बजट में बेतहाशा कटौती जारी है।देश के नामीगिरामी संस्थानों को स्वायत्तता के नाम पर नीजी और काॅरपोरेट के हाथों गिरवी रखने की तैयारी की जा रही है।विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक के पाठ्यक्रमों में तथ्यहीन बदलाव कर देश की एकता अखण्डता से खिलवाड़ किया जा रहा है।स्थायी नियुक्ति की नीति को तिलांजलि देकर एडहाॅक और ठेके  के सहारे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का झूठा ख्वाब दिखाया जा रहा है।शिक्षा क्षेत्र में आरक्षण की नीति से गैरकानूनी खिलवाड़ खुले आम जारी है।देश के गरीबों, दलितों, वंचितों और अल्पसंख्यकों को शिक्षा से बाहर करने की नीति बनायी जा रही है।
प्रो. कुमार ने कहा है कि सभी संगठन अपनी अपनी माँगों और अपने अपने बैनर के साथ रैली और प्रतिरोध मार्च में हिस्सा लेंगे ।
एआईफुक्टो ने केन्द्र सरकार को चेताया है कि वह अपनी शिक्षक, छात्र , शिक्षा और देश विरोधी नीतियों  को तुरंत वापस ले।सभी पक्षों के साथ विचार विमर्श कर शिक्षा की नीतियों पर फैसला करें, अन्यथा देश उसे माफ नही करेगा।यदि सरकार अपने जनविरोधी फैसले को वापस नहीं लेती है तो पूर्व से ही आंदोलित शिक्षा जगत में  सरकार विरोधी आग और फैलगी।जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी केवल सरकार पर ही होग

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