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-नक्कारखाने में तू ती की आवाज साबित हो रही हैं जन षिकायतें-
-षिकायत के बाद भी प्रषासन बना हुआ है उदासीन

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। जिले में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। यानी जो जितना  बलषाली और प्रभावषाली है वह उतना ही अपना दायरा बढ़ाता जा रहा है और जो जितना ही निर्बल और दुर्बल है वह उतना ही सिमटता जा रहा है। जी हां! यह कोई कपोर कल्पित बात नहीं बल्कि हकीकत से रूबरू कराती हुई सच्चाई है जिसे जिले में असानी से देखा जा सकता है। जिले में तालाब, भीटा, ग्राम समाज की भूमि आदि से लेकर तमाम ऐसे भूमि के मामले देखने व सुनने में आ रहें हैं जहां दबंगों और प्रभावषाली लोगों का या तो कब्जा हो गया है या नही ंतो वह कब्जा कर रहें हैं। जिसकी षिकायतें नक्कार खाने में तू ती की आवाज साबित हो रही हैं। ऐसा ही एक मामला जिले के लालगंज तहसील क्षेत्र के देवरी गांव का बताया जा रहा है। जहां दिव्यांग को मिले पट्टे की जमीन पर गांव के ही कुछ लोग दबंगई के बल पर कब्जा कर उसे बेघर करने की फिराक में लगे हुए है जिनकी दबंगई का आलम यह है कि उन लोगों द्वारा जबरिया दबंगई के बल पर दीवार खड़ी कर घेर लिए हैं। भाग दौड़ मंें असमर्थ दिव्यांग के विवषता का लाभ उठाते हुए दबंग उसे बेघर करने पर तुले हुए है। बताते चले कि लालगंज तहसील क्षेत्र के देवरी गांव निवासी राजकुमार मिश्रा जो दिव्यांगता की वजह से चलने फिरने में असमर्थ है। यदि उसे किसी का सहारा न मिले तो वह कहीं आ जा भी नहीं सकता है। पूर्व मंे उसे पट्टे की जमीन गाटा संख्या-1545 क मि. दिया गया था जिस पर वह मकान बना कर रहने के साथ मकान के पीछे की जमीन जो उसके पट्टे तहत मिली हुई है को दीवार बनाकर उसे सुरिक्षत कर रहा था। जिसे उसके पड़ोस के ही कुछ लोग दबंगई के बल पर उसकी तैयार की गई दीवार को गिराकर ईट, पटिया सहित निर्माण बालू, सिमेंट आदि उठा ले गए। जिलाधिकारी मीरजापुर को दिए गए अपने षिकायती पत्र में दिव्यांग राजकुमार मिश्रा ने आरोप लगाया है कि विपक्षियों द्वारा उसे बराबर जानमाल की धमकी भी दी जा रही है। इसके पूर्व भी उन लोगों द्वारा विवाद किया गया था जिस पर तत्कालीन समय में तहसील प्रषासन द्वारा उसे और उसके विपक्षी कैलाष प्रसाद षर्मा की भूमि का सीमांकन कराकर दोनों को अपनी-अपनी भूमि पर काबिज होकर रहने को कहा गया था। उस वक्त सुलह समझौता करते हुए राजी खुषी रहने की बात भी कहीं गई थी। लेकिन समय बीतने के साथ ही उक्त सुलह समझौते को नकारते हुए विपक्षी कैलाष और उनके परिवार के लोगों द्वारा जबरियां दिव्यांग राजकुमार की दीवार को तोड़ की गिराने के साथ अब उसे कब्जा करने की फिराक में जुटे हुए हैं। चूंकि पीडित दिव्यांग चलने फिरने मंें असमर्थ है सो उनके  हौसले बुलंद बने हुए है जो उसे बराबर आर्थिक, मानसिक, षारीरिक और सामाजिक स्तर पर क्षति पहुंचा उसे बेघर करने पर तुले हुए हैं। दिव्यांग राजकुमार ने उच्चाधिकारियों से न्याय की गुहार लगाते हुए दबंगों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है ताकि उसके साथ न्याय हो सके।
         

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