Ads (728x90)

-बेअसर साबित हो रहा एंटी भू-माफिया टास्कफोर्स-
-ग्राम समाज की भूमि पर छानबे विधायक का कब्जा, लीपापोती में जुटा मड़िहान तहसील प्रषासन
-लाल फीताषाही की भेंट चढ़ी एंटी भूमाफिया सेल और सरकारी भूमि पर कब्जा हटाने की योजना

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। प्रचंड बहुमत के साथ जब प्रदेष में भाजपा की सरकार सत्ता पर काबिज हुई थी तो भ्रष्टाचार उन्मूलन के दावे के साथ भू-माफियाओं के खिलाफ तल्ख तेवर अपनानते हुए एंटी भू-माफिया सेल का गठन कर सरकारी भूमि मसलन तालाब, ग्राम समाज की जमीन इत्यादि से अवैध अतिक्रमण, कब्जा हटाने का फरमान बड़े ही जोरषोर से जारी किया गया था, परंतु लाल फीताषाही की भेंट चढ़ी योजना सिर्फ मंच के भाषण तक सिमट कर रह गई। जिसका असर यह है कि तमाम षिकायतों के बाद भी सरकारी भूमि पर आज भी दबंगों और प्रभावषाली लोगों का कब्जा बना हुआ है बल्कि वह ऐनकेन प्रकारेण प्रषासन को भी गुमराह कर कब्जा हटाना नहीं चाह रहे हैं। मजे कि बात है प्रषासन भी महज खानापूर्ति कर ऐसे में मामलों में ठोस कार्रवाई के बजाए प्रभावषाली लोगों के आगे घुटने टेक दे रहा है। पूरे जिले सहित ग्रामीण अंचलों में ऐसे मामलों की भरमार है जहां भू-माफियाओं के प्रति प्रषासन तनिक भी गंभीर नहीं है। नजीर के तौर पर जिले के मड़िहान तहसील क्षेत्र के ग्राम कुनबी पटेहराकला को ही लेते हैं जहां ग्राम समाज की नवीन परती जमीन आराजी संख्या 2677 पर उसी गांव निवासी पूर्व सांसद पकौड़ी कोेेल पुत्र जुगनू द्वारा प्रभाव के बल पर कब्जा कर लिया गया है। मजे कि बात है उक्त जमीन पर कब्जा करने के बाद मकान भी तैयार कराया जा रहा है। आष्चर्य की बात है कि षिकायत के बाद भी प्रषासन आंख मंूदे बैठा हुआ है। आरोप है कि पूर्व सांसद और उनके विधायक बेटे द्वारा बगल के ही उमाषंकर यादव के भी मकान को कब्जा करने की गरज से उनके तीन पीलरों को तोड़ का अपना पीलर खड़ा कर दिया गया है। ऐसा भी नहीं है कि इसकी जानकारी प्रषासन को नही हैं। प्रकरण की जानकारी स्थानीय प्रषासन से लेकर जिला प्रषासन तक को है। गांव निवासी उमाषंकर यादव तथा अदालत आदि ने इस मामले की षिकायत तहसील दिवस से लेकर जन सुनवाई पोर्टल, जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर अवैध कब्जा और अतिक्रमण को हटवाने की मांग कर चुके हैं, परंतु महिनों अधिकारियों के दर पर दौड़ लगाने के बाद भी कोई भी पूर्व सांसद और उनके विधायक बेटे पर कार्रवाई की बजाए कतराता नतर आ रहा है। मजे कि बात है के हल्का लेखपाल, काननूगो से लेकर तहसीलदार तक सभी इस मामले में लीपापोती करने में जुटे हुए हैं। आखिरकार ऐसा वह करे भी क्यों न क्योंकि सरकारी भू-सम्पत्तियों के रख रखाव की जिम्मेदारी उन्हीं की जो होती है। ऐसे में  अपनी गरदन बचाने के लिए यह मामले में लीपापोती करने में जुटे हुए हैं। हैरत की बात है कि जिम्मेदार अधिकारियों से जब बात की जाती है तो उनका रटा रटाया सा जुमला होता है कि जांच चल रही है जिसके बाद कार्रवाई की जायेगी। अब सवाल यह उत्पन्न होता है कि यह कार्रवाई कब पूरी होगी, कैसे होगी? यह बताने वाला कोई नहीं है।
इनसेट में............



Post a Comment

Blogger