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समस्तीपुर, हिन्दुस्तान की आवाज , राजकुमर राइ

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अंगीभूत तथा मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की होली रहेगी फीकी।
अंगीभूत महाविद्यालयों के कर्मचारियों को पिछले 4 महीने से अपने वेतन का इंतज़ार है तथा मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों की तो बात करनी ही बेईमानी होगी क्योंकि इनके बारे में तो सोचने वाला भी कोई नही है।
विश्वविद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालयों के कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा राशि निर्गत कर दी गयी थी परंतु ट्रेज़री में जा के मामला फस गया और इसी वजह से अंगीभूत महाविद्यालयों के कर्मचारियों की होली बेरंग रह गयी।
मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों की बकाया राशि 2011 से नहीं मिली है और इसकी खोज खबर लेने वाला भी कोई नही है। इन संस्थानों के कितने कर्मचारी असमय काल के गाल में समा गए पर न सरकार जागी और न किसी ने आवाज बुलंद की। इन बेचारो की ये 7वी बेरंग होली होगी जिसकी जिम्मेवार बिहार की ये निकम्मी सरकार है जो पिछले 12 सालों से पूरे बिहार को ठग रही है।
नियोजित शिक्षकों को पिछले 7 महीने से वेतन के लाले पड़े हुए हैं जिनकी सुध लेने वाला भी कोई नही है।
ये हालात है बिहार के शिक्षकों की जिनकी विवसता देखने वाला भी कोई नही है।

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