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-कलेक्टेªट सभागार में दोनो पक्षों की आपसी सहमति से अपर जिलाधिकारी ने की एफआईआर वापस लिए जाने की घोषणा

कन्नौज,हिन्दुस्तान की आवाज़,अनुराग चौहान

कन्नौज। बीते दस दिनों से राजस्व अधिवक्ताओं और लेखपालों के बीच चले आ रहे विवाद का गुरुवार को नाट्कीय पटाक्षेप हो गया। दोनो पक्षों ने कलेक्टेªट स्थित अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के कार्यालय कक्ष में बुधवार को हुई वार्ता से आगे की वार्ता शुरु की तो वार्ता मंे कई बार नाटकीय मोड़ भी आए और अधिवक्ता कई बार बीच में ही वार्ता छोड़कर जाने लगे, हांलाकि तहसीलदार सदर ऋषिकान्त राजवंषी के समझाने-बुझाने पर वे पुनः वार्ता में शामिल हुए और आपसी सहमति इस बात पर बनी कि दोनो पक्ष भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नही होने देंगे, तथा अधिवक्ताओं के विरुद्ध लेखपालों द्वारा लिखाई गई प्राथमिकी को वापस ले लिया जाएगा।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व डीपी सिंह की इस स्पष्ट घोषणां के बाद लेखपाल तो पूरी तरह शांत रहे, लेकिन सभागार के बाहर आकर अधिवक्ताओं ने इस फैसले पर तीखी टिप्पणियां भी कीं। अधिवक्ता नेता अजय यादव ने साफ शब्दों में कहा कि एफआईआर वापस लिए जाने की पुष्टि होने के बाद ही वे कार्य बहिष्कार वापस लेंगे। यह अलग बात है कि कलेक्टेªट सभागार में वार्ता संपन्न होने के कुछ ही देर बाद सदर तहसील में कामकाज सामान्य हो गया। गुरुवार की समझौता वार्ता में बड़ी भूमिका सिविल बार एसोसियेषन के अध्यक्ष विजय सारस्वत, अधिवक्ता तरुण चन्द्रा और षिवांक बाजपेई ने निभाई। हांलाकि वार्ता के दौर में एक पल ऐसा भी आया जब राजस्व अधिवक्ताओं की पैरवी कर रहे श्री सारस्वत को भी यह कहना पड़ा कि जब मेरी बात माननी ही नही थी तो मुझे बुलाया क्यों गया। लेखपालों की ओर से लेखपाल संघ के जिलाध्यक्ष इन्द्रपाल सिंह और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष अषोक सविता ने पैरवी की, तब जाकर कहीं बात बनी। बहरहाल अपर जिलाधिकारी और तहसीलदार सदर के प्रयासों से अन्ततः बात बन गई और अधिवक्ताओं ने अपना आन्दोलन वापस ले लिया।

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