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-मुस्लिम महिलाओं ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार, भेजा ज्ञापन

कन्नौज,हिन्दुस्तान की आवाज़,अनुराग चौहान

कन्नौज। उच्च न्यायालय द्वारा तीन तलाक पर निर्णय आने के बाद जहां पीड़ित मुस्लिम महिलाओं में खुषी देखी गई थी वहीं शीतकालीन सत्र में लोकसभा में भी इस बिल को पारित कर दिया गया था। राज्य सभा में बिल लम्बित हो जाने से इसे कानूनी जामा नही पहनाया जा सका। शुक्रवार को तीन तलाक विधेयक पारित कराए जाने को लेकर जिले की तमाम मुस्लिम महिलाओं ने कलेक्टेªट पहुंचकर प्रदर्षन किया और जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भेजा।
शुक्रवार को अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष सदरुल हसन की अगुवाई में मुस्लिम महिलाओं ने कलेक्टेªट पहुंचकर जोरदार प्रदर्षन किया। मुस्लिम महिलाओं का कहना था कि उच्चतम् न्यायालय द्वारा 22 अगस्त 17 को तलाके विद्दत को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद समाज की महिलाओं में आषा की किरण जागी है और समाज इस क्रान्तिकारी परिवर्तन की ओर अग्रसर हुआ है। वहीं केन्द्र की भाजपा सरकार ने महिलाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए इसका पूर्ण समर्थन किया। महिलाओं ने कहा कि भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों के सहयोग से लोकसभा में विधेयक पारित हो गया, किन्तु राज्य सभा में यह बिल पारित नही हो सका, जिसके चलते पीड़ित मुस्लिम महिलाओं में निराषा की स्थिति है। मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में पारित न हो पाने के कारण कानून का रुप नही ले सका, जो समाज की महिलाओं के लिए दुुर्भाग्यपूर्ण है। महिलाओं ने महामहिम राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि हम सभी मुस्लिम महिलाओं के हित और सम्मान को दृष्टिगत  रखते हुए तीन तलाक विधेयक को कानून बनाने के लिए समर्थन देने की रहम की जाए, जिससे उनके सम्मान की रक्षा हो सके। इस दौरान नसरीन, रुकसाना, सूबी, ताहिरा, सदकलनिषा, रुबी बेगम, साबिरा, बेगम, जीनत, फिरदौस, सोनी आदि मुस्लिम महिलाएं मौजूद रहीं। 

गौरतलब है कि एक बार में तीन तलाक को अपराध घोषित करने के प्रावधान वाले मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार लोकसभा में पारित कर चुकी है, किन्तु राज्यसभा से पारित नहीं करा सकी, राज्यसभा में बिल लंबित रहने के कारण अब सरकार के पास इसे कानूनी जामा पहनाने के लिए बहुत सीमित विकल्प रह गए हैं।

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