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-विदेषों के तर्ज पर भारत में अपराधों पर काबू पाने की दिषा में बढ़ा रहे है कदम
-जन जागरूकता लघु फिल्म “डा पिंची कोड” का एसपी आशीष तिवारी ने किया लोकार्पण

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने तथा जिले में षांति व्यवस्था स्थापित करने, महिला और बच्चों को अपराध और अपराधियों के प्रति सचेत व आगाह करने की दिषा में नित्य नये-नये प्रयोगों के जरिए लोगों को जागरूक करने की दिषा में तेजी से जुटे पुलिस अधीक्षक आषीष तिवारी अब लोगों को लघु फिल्म के माध्यम से जागरूक करने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। इसी क्रम में उन्होंने एक लघु फिल्म का लोकार्पण किया है। जिसका नाम है “डा पिंची कोड” इस लघु फिल्म का लेखन, परिकल्पना, चित्रांगन एवं निर्देशन चार-चार बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड धारी बनारस के डां. जगदीश पिल्लई ने किया है। डान ब्राउन के रोमांचक एवं रहस्यमय नोवेल एवं उस नोवेल के आधार पर बनी फिल्म डा विन्ची कोड के बारे में कौन नहीं जानता मगर पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने यहां ऐसे ही एक मिलते जुलते नाम से यानी डां. पिंची कोड, एवं उसके पीछे जुड़ी कुछ अति महत्वपूर्ण तथ्तें से अवगत कराते हैं। तो आइये जानते है कि क्या है यह  “डा पिंची कोड” तो आपकों बताते हैं कि चोरी करने वाले गैंग व उनके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले कुछ निशानें है, पहले यह कोड 5 साल पहले विदेशों में क्राइम करने वाले लोग यूज किया करते थे, बाद में शायद यह भी निष्कर्ष विदेशी पुलिस वाले निकाले थे की शायद यह कोड क्राइम करने वाले लोगों का नहीं हैं। मगर वहां बात जो भी रही हो, अब आजकल हमारे भारत में खासकर दक्षिण भारत में कई इलाकों में इस तरह के “डा पिंची कोड” के जरिये कई घटनाओं को चोरों द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। मतलब, भारत के क्राइम जगत में भी कुछ अपडेट होने लगी है तथा चोर नई तकनीकों को अपनाने लगे हैं। आखिर ये “डा पिंची कोड” होता क्या है। आपने देखा होगा बहुत सारे अनजान लोग हमारे इर्द गिर्द, कालोनियों में एवं हमारे घरों में आते जाते रहते हैं। मसलन भींख मांगने वाले, साड़ी  बेचने वाले, ज्वेलरी बेचने वाले, फ्री ब्लड टेस्ट के बहाने, कोई मंदिर के लिए चंदा मांगने के बहाने या कभी कोई मदद मांगने जैसे बात या रूम यूज करना है वगैरा वगैरा, कुछ लोग कभी बेमतलब अपने घरों के आसपास घूम फिर कर चले भी जाते हैं। इनमें से कुछ लोगों का काम होता है, हर घर के रहन सहन, घर के लोगों के आने जाने के समय एवं धन दौलत आदि के बारे में जानकारी लेना उसके बाद यह लोग घर के बाहरी दीवारों के किसी भी कोने में चाक या किसी अन्य चीज द्वारा एक कोड यानि निशान छोड़ जाते है। चोरों द्वारा यूज करने वाला इन निशानों को “डा पिंची कोड” कहते है। यह किसी मार्केटिंग कंपनी के प्री-सर्वे से कम नहीं होती। इस कोड के जरिये चोरों के गैंग को उस घर की जीवन शैली का पता चल जाता है और चोरी करने में आसान हो जाती हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया है कि भारत में चोरों द्वारा यूज किया गया ऐसा ही कुछ “डा पिंची कोड” का मतलब देखते हैं। इस कोड का मतलब है “घर के लोग बहुत सतर्क रहते हैं, इस कोड का मतलब है “घर के लोग बहुत नर्वस एवं जल्दी घबराने वाले लोग है, इस कोड का मतलब है यहाँ पहले भी चोरी हो चूका है, इस कोड का मतलब है बिंदास चोरी करने लायक जगह, इस कोड का मतलब है इस घर के औरतों को जल्दी बरगलाया जा सकता है, इस कोड का मतलब है टाइट सिक्यूरिटी हैं रिस्की हैं, इस कोड का मतलब है यहाँ चोरी करने लायक कुछ भी नहीं, इस कोड का मतलब है बहुत पैसे वाले हैं चोरी किया जा सकता है। पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने बताया की इसी विदेशी तकनीक से चोरों द्वारा भारत के कई कोने में कई अप्रिय घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है। कल इस प्रकार की घटनाएं हमारे घर परिवार के साथ न हो इसलिए इस लघु फिल्म के द्वारा समाज को अवगत करना जरूरी है, ताकि हमारे समाज के लोग सतर्क रहें एवं उनके घर परिवार एवं बच्चे, सुरक्षित रहें। साधारणगत कहीं कोई घटना होने के बाद ही उसके बारे में छानबीन एवं जन जागरूकता अभियान चलाया जाता है। प्रदेश में इस तरह की कोई घटना अभी दर्ज नहीं कराया गया है। मगर ऐसी कोई भी घटना प्रदेश में न हो इसलिए पहले से ही लोगों को सतर्क कराने के लिए पुलिस अधीक्षक ने ये कदम उठाया है। लोकार्पण के दौरान इस फिल्म के निर्माता एवं निर्देशक डां. जगदीश पिल्लई, सह-निर्माता नरेश राय व इस फिल्म के एंकर एवं राजकीय रेलवे पुलिस के लिए जन जागरूकता मुहीम फोटोग्राफी से करने वाली स्नेहा राय भी मौजूद रही हैं।


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