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कन्नौज,हिन्दुस्तान की आवाज़,मोहित मिश्रा

कन्नौज। नगर के एतिहासिक सिद्वपीठ मां फूलमती देवी मंदिर के परिसर में चल रही श्री शतचण्डी महायज्ञ एवं श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन गुरूवार को शंकराचार्य मठ भानुपुरापीठ के युवाचार्य स्वाती ज्ञानानन्द तीर्थ ने पूतना प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि जिसके पूत नहीं वहीं पूतना है। पूतना भगवान की दूध पिलाने आयी लेकिन वह जहर पिलाना चाहती थी पूतना को देखकर बाल कृष्ण ने नेत्र बंद कर लिए और उसे मुक्ति देदी। पूतना को सदगति दे दी। स्वामी जी ने कहा कि छोटे शिशु को किसी अंजान की गोद में नहीं देना चाहिए।
युवाचार्य ने कहा गर्गाचार्य द्वारा नामकरण किया और नाम की महिमा का जिक्र करते हुए कहा कि पहले लोग राम-राम कहकर अभिवादन करते थे लेकिन अब नमस्ते करते है। दण्डी स्वाती को देखकर नमो नारायण कहते है जबाब में दण्डी स्वामी नारायण कहते है। बाल लीला के दौरान बाल कृष्ण ने अपने मुख के माध्यम से ब्राहम्मण का दर्शन कराया लीला के दौरान मां यशेादा कृष्ण को मार नहीं रही है दही दिखा रही है स्वामी जी ने कहा कि आंख दिखाकर  डराना ज्ञान से समझाये आंख दिखाने पर रोये तो रोने दे अगर आप पुचकारोगे तो बालक बिगड जायेगा बच्चों को लेना नहीं देना शिखाना चाहिए भगवान कृष्ण ने कालिया नाग पर चरण रख दिये जिससे उसे मुक्ति मिली। स्वामी जी ने कहा कि दुखी व्यक्ति को अपना सुख नहीं बताना चाहिए देव कार्य के लिए ब्राहम्मणों की कभी परीक्षा नहीं करना चाहिए। क्रोध विचार करने से घटता है वासना सयम से शान्त होती है दान करने से लोभ घटता है भगवान के गुणों का गान करने से पाप नष्ट होते है। क्रोध अपनों को जलाता है। संतो को भक्तो पर अनावश्यक क्रोध नहीं करना चाहिए। उन्होने कहा कि शरीर दुखालय है। शरीर साथ नहीं जायेगा शरीर नश्वर है इसलिए थोडा-थेाडा मरने का अभ्यास करो तो मृत्यू के समय कष्ट कम होगा यह दुख का घर है स्वामी जी ने कहा कि वासना की बात सुनी नहीं जाती। शास्त्र का कहना है कि वासना को कान से सुनोगो तो चित्त बिगड जायेगा इसके उपरान्त सतचण्डी महायज्ञ में आहूतियां दी गयी श्रद्वालुओं ने यज्ञ मण्डप की परिक्रमा की और इसके बाद सांई बाबा की महा आरती का आयोजन किया गया जिसमें सेकडो श्रद्वालुओं ने बडी श्रद्वा से भाग लिया।


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