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सिवनी,हिन्दुस्तान की आवाज, सांकेत जैन

कहते हैं,डायन भी सात घर छोड़के चलती है,लेकिन कुछेक बेशर्मो ने घाट करने के मामले में डायन को भी पीछे छोड़ दिया।
       पत्रकार एक ऐंसी कौम जिस पर आम जनता आँख बंद करके विश्वास करती है,और उनके लिखे को ही सच मानती है,वहीं इन्ही पत्रकारों के बीच इन दिनों पक्षकारों की भी भीड़ बढ़ती चली जा रही है,इतिहास गवाह है जब कि कोई पत्रकार के खिलाफ सणयत्र हुआ है उसके पीछे किसी पक्षकार  ने ही अपना जमीर बेचकर भृष्टाचारियों का साँथ दिया है।यह पछकार असल मायने में पत्रकारिता के नाम पर कलंक ही साबित हुए हैं,अपना जमीर अपनी आत्मा बेचकर यह मात्र पीठ पीछे ही वार कर पाए हैं,और करते रहेंगे,पहले अपने आप को पत्रकार कहकर और फिर पत्रकारों के पीठ पीछे ही छुरी चलाकर यह पछकार अपने आप को जंग जीता हुआ महसूस करते हैं,असल मे यह लोग स्वयं पत्रकारिता में कुछ सरोकारी कार्य करने के लायक नही रहते और इसी प्रकार छोटी मानसिकता के कार्य कर पूरी जमात को शर्मसार कर जाते हैं,
      लेकिन यह भी बड़ी विडंबना है,की ऐंसे घर के वैरियों को तनिक भी शर्म महसूस नही होती अपनो के खिलाफ साजिस करने में,और जब खुद पर बीतने लगती है,तो बाद में पत्रकार एकता की दुहाई देते नजर आते हैं।

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