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-सहभोज के नाम पर धनउगाही की चर्चा सूबे की राजधानी तक पहुंची
-मीरजापुर नगर के भाजपाईयों भी चले धनउगाही की राह पर

मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। संस्कारवान और सुसंगठित संगठन से बंधे होने का दावा करने वाली पार्टी भाजपा को अपना के करतूतों से शर्मशार होना पड़ रहा है। अन्य दलों की राह पर चलते हुए भाजपाई भी धनगाही की राह पर चल पड़े हैं। कुछ ऐसा ही मामला मीरजापुर नगर के भाजपाईयों से जुड़ा हुआ प्रकाश में आया है जिसकी चर्चा न केवल नगर में हो रही है बल्कि इसकी चर्चा सूबे के राजधानी मसलन पार्टी के प्रदेश हाईकमान तक पहुंच जाने को लेकर चर्चा तेज हो उठी है। वाकया दो दिन पूर्व का होना बताया जा रहा है। बताते है के नगर के भाजपाईयों ने मकर संक्रांति के पश्चात 17 जनवरी को सहभोज (खिचड़ी भोज) का आयोजन नगर में किया था। जिसमें आने वाले खर्च के लिए स्वयं या पार्टी कोष इत्यादि से व्यवस्था करने के बजाए लोक निर्माण विभाग के स्थानीय एक इंजीनियर से आर्थिक मदद की डिमांड की गई। इसके लिए न केवल शासन सत्ता का पूरा-पूरा धौंस दिखाया गया बल्कि सत्ता के हनक के बल पर इसकी व्यवस्था भी कराने में सफल हुए। जिसकी चर्चा इन दिनों में जहां पूरे जोरशोर से हो रही है वहीं बताया तो यहां तक जाता है कि इस बात की शिकायत पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से भी कर दी गई है। समझा जा रहा है कि इस मामले को लेकर इससे जुड़े लोगों से जवाब तलब भी मांगा जा सकता है। सुसंगठित और संस्कारवान संगठन से जुड़े होने का दावा करने वाले भाजपाईयों की कलई खुलने लगी है। सूबे की सत्ता काबिज होने के बाद से ही नगर के कुछ तथाकथित भाजपाईयों के तेवर और कलेवर में जहां परिर्वतन होता दिखलाई देने लगा है वहीं पार्टी की छवि पर भी यह धब्बा लगाने का काम करते चले आ रहे है। कहना गलत नहीं होगा कि कल तक दूसरे दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पानी पी-पी कर कोंसने वाले भाजपाई भी आज उसी राह पर चल पड़े हैं शायद ही ऐसा कोई विभाग हो जहां इनके पग न पड़ते हो। आलम यह है कि हर छोड़े-बड़े कामों में इनकी बेजा दखल के साथ खाऊ कमाऊ नीति के साथ जुगाड़तंत्र का फंड़ा प्रारंभ हो चुका है। लोक निर्माण विभाग से की आर्थिक डिमांड के बाद खिचड़ी सहभोज का आयोजन कराकर इतरा रहे भाजपाईयों से आहत उक्त महकमें के इंजीनियर ने सूबे की भाजपाईयों से जहां कर दी है वहीं इसक चर्चा की गूंज सूबे के राजधानी तक होने लगी है। ऐसा माना जा रहा है कि इसको लेकर जवाब तलब भी मांगा जा सकता है। हैरत की बात है जिले के पांचों विधान सभा सीटों पर जहां पार्टी के अपने विधायक है वहीं नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर भी भाजपा का ही कब्जा है ऐसें में सरकारी मुलाजिमों से आर्थिक मदद की डिमांड करना कहां तक उचित है इसकों लेकर नगर में जोरदार चर्चा हो रही है। लोगों द्वारा यह कहते सुना जा रहा है कि पूर्ववर्तीय सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए भाजपाई भी संस्कारवान आदि-आदि के पुराने हो चुके जुमले को त्याग कर अपनी झोली भरने की जुगत में जुट गए हैं।



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