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 भारतीय युवाओं का इतिहास यह दर्षाता है कि मानव संसाधन का बहुत ही महत्वपूर्ण और सक्रिय अंग होने के नाते युवा वर्ग ने हमेषा ही समाज की प्रगति में अग्रणी भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महान बलिदानी बनकर, कुरूतियों, रूढियों तथा मौजूद विपदाओं को नेस्तनाबूत किया। आगे, देष के विकास, औद्योगिक क्रांति, नवीनतम तकनीक, षिक्षा और नवनिर्माण में अव्वल रहकर युवा भारत नये भारत की इबारत लिख रहा है।
अभिभूत, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने ठीक ही कहा थाः  स्वतन्त्रता से पूर्व के दिनों में स्वतन्त्र भारत हमारा सपना था। परन्तु आज विकसित भारत हमारा सपना है, केवल युवा वर्ग ही ऐसा वर्ग है जो राष्ट्र को बेरोजगारी और भूख से मुक्ति, अज्ञान और निरक्षता से मुक्ति, सामाजिक अन्याय और असमानता से मुक्ति, बीमारी और प्रकृति विनाष से मुक्ति दिला सकता है, और सबसे बढ कर सार्वभौम आर्थिक और पष्चिमी सभ्यता के प्रभावों से मुक्ति दिला सकता हैं।
अलौकिक, जब हम अपने समाज पर नजर डालते हैं तो पाते हैं कि देष की  65 फीसदी जनसंख्या युवा वर्ग में आती हैं। इसका मतलब यह हुआ कि लगभग 80 करोड युवा जो कि 15-35 वर्ष के आयु वर्ग में हैं। परन्तु, यह सब कुछ विकास के मार्ग में आने आने वाली बाधाओं को दूर किये बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता। स्वतंत्र भारत में विकास के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं में से एक बाधा यह है कि गरीबी को समाप्त करने वाले हमारे कार्यक्रमों की हवाभाजी से बेरोजगारी बढना। बदतर, बेरोजगार युवक बडी आसानी से असामाजिक और राष्ट्र विरोधी ताकतों के हाथों का खिलौना बन जाते हैं।
लिहाजा, युवाओं को समग्र ग्रामीण विकास की गतिविधियों और विभिन्न प्रकल्पों की अंतर्निहित शक्तियों को समझना चाहिए। तभी स्वावलम्बी, समृद्ध, समर्थ और सुखी गांव का आधार होगा रोजगारयुक्त युवा। अकुषलता से हमारी बहुत ही मूल्यवान राष्ट्रीय पुननिर्माण के लिए तैयार, दुनिया की सबसे बडी युवा श्रम शक्ति का अपव्यय हो रहा है। इस स्थिति के अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व सभ्यतामूलक दुष्परिणाम हो सकते है। भारत में श्रम शक्ति की औसत वार्षिक वृद्धि लगभग 2 करोड है। परंतु हमारा संगठित क्षेत्र इतने रोजगार उपलब्ध करवाने में असमर्थ है। अतः रोजगार सृृजन, आय का सृजन, रोजगार के नए अवसरो को कृषि तथा लघु उद्योगों, सेवा के क्षेत्रों में सृजित करना होगा।
प्रत्युत, युवाओं के वास्ते क्रियांवित विकास की गति जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के गैर-जिम्मेदाराना प्रयोग और शोषण से भी प्रभावित होती हैं। पारिस्थतिकी दृष्टि से भू-जल के साथ-साथ वर्षा के जल का उचित उपयोग और संरक्षण बहुत ही जरूरी हो गया है ताकि देष के विभिन्न भागों में प्रतिवर्ष पडने वाले सूखे और बाढ आने की घटनाओं को कम से कम किया जा सकें। कुल मिलाकर ऐसा लगता हैं कि प्रतिवर्ष आपदाओं जैसे कि बाढ, सूखा, बादलों के फटने आदि जैसी घटनाओं के कारण होने वाली भारी भरकम आर्थिक नुकसान के कारण भी हमारे विकास के प्रयासों को बडा धक्का पहुंचता हैं। पर्यन्त युवाओं के विकास की योजना प्रभावहीन हो जाती हैं।
यथेश्ट, आज की मांग है कि देष का नवजवान सरकार द्वारा चालायी जाने वाली विकास की गतिविधियों को सफल बनाने के लिए अथक और गंभीर प्रयास करें। नि-संदेह सरकार रोजगार पैदा करने के लिए बडे पैमाने पर युवकों को स्वरोजगार और कौषल दक्षता के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार सभी के लिए प्राथमिक षिक्षा, सम्पूर्ण साक्षरता और सभी के लिए स्वास्थ्य के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिषा में भी कार्य कर रही हैं।
स्तुत्य, भारत सरकार के ‘स्किल इंडिया‘, ‘मेक इन इंडिया‘ और कौषल विकास और कुषल भारत कार्यक्रम, उद्यमषीलता व उन्नमुखीकरण तथा ‘नषा मुक्त युवा अभियान‘ और दुव्र्यवसन मुक्ति के अभिप्राय राश्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी सुनिष्चित करने से ही सफलता मिलेंगी। सहोदय युवा भारत, नया भारत का अधिश्ठान होगा।                                 
                         

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