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-देश के कोने-कोने से जुटे भक्त, देर रात तक होता रहा दर्शन-पूजन का क्रम
-अलाव की व्यवस्था न होने से ठिठुरते दिखे दर्शनार्थी और गरीब तबके के जन
-ठंड में जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक की संवेदनशीलता ठिठुरी रही


मीरजापुर,हिन्दुस्तान की आवाज, संतोष देव गिरी

मीरजापुर। नये साल के पहले दिन मां विंध्यवासिनी धाम में आस्था का शैलाभ उमड़ा रहा इस दौरान लगभग चार लाख भक्तों ने मां विंध्यवासिनी दरबार में दर्शन-पूजन कर मां के चरणों में सिर झुकाया। विंध्याचल की पावन धरती पर देश के कोने-कोने से मां विंध्यावासिनी के श्री चरणों में दर्शनार्थी शीश झुकाने के लिए आए। इस दौरान धाम स्थित गलियों और गंगा तट पर तील तक रखने के लिए जगह नहीं रहा। नव वर्ष की पूर्व संध्या से ही भक्तों का देश के कोने-कोने से दर्शन-पूजन के लिए आना प्रारंभ हो गया था। सुबह-सुबह होते-होते यह संख्या लाखों में पहुंच गई थी। सोमवार की भोर में मंगला आरती के पश्चात जैसे ही मंदिर का कपाट खुला वैसे ही लोगों की भीड़ मंगला आरती में भाग लेने के लिए मंदिर जाने वाले मार्ग की ओर कतार में लगने लगी थी और जैसे ही मंदिर का कपाट खुला वैसे ही भक्त मां विंध्यवासिनी देवी का जयकारा लगाते हुए एक-एक कर आगे की ओर बढ़ने लगे थे। इस दौरान सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए थें। लेकिन दुःखद यह रहा कि हिंदुओं के नाम पर राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार और उस की नुमाइंदगी करने वाले नेता और जनप्रतिनिधि सहित स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा पूरे विंध्याचल में कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की रही है। जिसका असर यह रहा है कि ठंड और गलन से ठिठुरते हुए दर्शनार्थी बेहाल दिखलाई दिये हैं। सबसे बुरी स्थित गंगा घाटों पर रही है जहां अलाव की कोई व्यवस्था न होने से दर्शनार्थी स्नान के बाद ठिठुरते हुए मंदिर की ओर बढ़ रहे थे। ऐसे में लोगों के मुंह से यह कहते सुना जा रहा था कि कहां चली गई धर्मभीरूओं की संवेदनशीलता और कहां चली गई उनकी भाषणबाजी हिंदुओं के हितों और हिन्दुधर्म की बाते तो खूब करते है लेकिन यहां ठंड से कांप रहे दर्शनार्थियों की उनको सूध नहीं थी। मजे कि बात है कि केन्द्र और प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी के झोली में यहां के सभी जनप्रतिनिधि है बात करे सभी विधायकों की या पालिका अध्यक्ष से लगाय सांसद की सभी उसी की  है बावजूद इसके विंध्याचल में बदहाल व्यवस्था खासकर अलाव की एक अदद व्यवस्था कोई नहीं करा सका है। हद तो यह है कि नगर विधायक खुद विंध्याचल के ही निवासी होने के साथ यहां के तीर्थ पुरोहित भी हैं। बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि इस छोटी सी बुनियादी सुविधा को नगर पालिका प्रशासन, जिला प्रशासन से लगाय स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उपलब्ध नहीं करा पा रहे है।  हाड़ कंपा देने वाली कड़ाके की गलन भरी ठंड में विंध्याचल के गंगा घाटों से लेकर किसी भी चैराहे पर पर अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे विंध्यधाम आने वाले दर्शनार्थी तो दर्शनार्थी, स्थानीय आमजन मानस और गरीब तबके के लोगों सहित भीख आदि मांगकर अपना पेट पालने वालों का इधर-उधर भटकते देखा जा रहा है।



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