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भिवंडी,हिन्दुस्तान की आवाज,एम हुसेन

भिवंडी।  भिवंडी के कामतघर स्थित स्वामी श्री गंभीरानंद आश्रम के त्रयोदश वार्षिक उत्सव एवं श्रीमद भगवद गीता जयंती महोत्सव पर श्री गीता ज्ञान यज्ञ एवं संत सम्मेलन का आयोजन किया गया|.जिसमें दत जयंती के अवसर पर संतसभा के अध्यक्ष प.पू.म.मं.स्वामी श्री मोहनानंद गिरीजी महाराज के कर कमलों से आश्रम परिसर में बनाए गए आध्यात्मिक विज्ञान केंद्र का उद्घाटन किया गयाा।
तादें कि स्वामी श्री गंभीरानंद सरस्वती जी महाराज के संरक्षण में आश्रम का त्रयोदश वार्षिक उत्सव एवं श्रीमद भगवद गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में 30 नवंबर से तीन दिसंबर तक चार दिवसीय श्री गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया था। जिसमें गीता जयंती पर प्रकाश डालते हुए स्वामी गंभीरानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय के किसी भी ग्रन्थ का जन्मदिन नही मनाया जाता है। किंतु श्रीमद्भागवत गीता ही ऐसा ग्रन्थ है जिसकी जयंती मनायी जाती है।क्योंकि अन्य ग्रन्थ मनुष्यों के द्वारा रचे गए हैं। जबकि गीता का जन्म स्वंय श्रीभगवान के मुखारविंद से हुआ है। उन्होंने गीता को एक सार्वभौम ग्रन्थ बताते हुए कहा गीता किसी देश,काल,धर्म ,सम्प्रदाय या जाति विशेष के लिए नही अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए है।जो चिरन्तन है,अटल सत्य है।वह गीता में वर्णित है।गीता एक स्वच्छ दर्पण है जिसमें तुम अपना वास्तविक स्वरूप को देख सकते हो।
चौथे दिन दत्तजयंती के अवसर पर ज्ञानयज्ञ की पूर्णाहुति एवं संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। संत सभा के संचालक स्वामी सुबोधानन्द जी ने विषादकाल में गीता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शोक और मोह को दूर करने के लिए महापुरुषों की संगति में जाना पड़ता है| सन्त महापुरुषों के पास जाने से ही शोक दूर होता है। संत सभा की अध्यक्षता प.पू.म.मं.स्वामी श्री मोहनानंद गिरीजी महाराज ने ,संचालन प.पू.स्वामी श्री सुबोधानंद जी महाराज ने किया एवं मुख्य अतिथि प.पू. बीतरागी स्वामी श्री परमेश्वरानंद जी महाराज मौजूद थे। उक्त अवसर पर संत सभा के अध्यक्ष प.पू.म.मं.स्वामी श्री मोहनानंद गिरीजी महाराज ने आध्यात्मिक विज्ञान केंद्र का उद्घाटन किया। जिसमें प.पू.म.मं.श्री 108 स्वामी श्री मोहनानंद गिरीजी महाराज (वाशी),प.पू.म.मं.श्री 108 स्वामी श्री अभेदानंद गिरीजी महाराज,प.पू.म.मं.श्री 108 स्वामी श्री अद्वेतानंद गिरीजी महाराज,प.पू.म.मं.श्री 108 स्वामी श्री शंकरानंद सरस्वतीजी महाराज,प.पू.म.मं.श्री 108 स्वामी श्री राधिकानंद सरस्वतीजी महाराज एवं प.पू. स्वामी श्री परमेश्वरानंद सरस्वतीजी महाराज,प.पू. स्वामी श्री दिव्य चैतन्यजी महाराज,प.पू. स्वामी श्री अवधूतानंद सरस्वतीजी महाराज,प.पू. स्वामी श्री कैवल्यानंद गिरीजी महाराज,प.पू. स्वामी श्रीदेवानंद गिरीजी महाराज,प.पू. स्वामी श्री पूर्ण चैतन्यजी महाराज,प.पू. स्वामी श्री सुबोधानंदजी महाराज,प.पू. स्वामी श्री नारायण पुरीजी महाराज,प.पू. स्वामी श्रीपरमेश्वरानंद गिरिजी महाराज एवं प.पू. स्वामी श्री विवेकानंद जी महाराज सहित 60 संत महात्मा मौजूद थे| कार्यक्रम को सफल बनाने में आश्रम के ब्रह्मचारी प्रेमस्वरूप चैतन्य,ब्रह्मचारी सुबोधजजी,करन जी,प्रमोद जी एवं ब्रह्मचारिणी भारती,श्रद्धा,चितरुपा,शतरूपा एवं सेवाधारी में प्रमुख रूप से प्रो.कुलदीपसिंह राठौर, डॉ.वी.आर.पटेल,रवि शंकर बिटला,मुरारी मिश्रा,राजेंद्र पांडेय,श्रीनिवास कोंगारी,महेश अकुबत्तीनी,महेंद्र जडला,राजेश चिलिबेरी,प्रमोद सिंह,दिनेश सिंह ,राम अजय सिंह,त्रिलोकीनाथ चौरसिया,सुधीर मेहता,राजू खंदारे,डॉ.अक्षय भोईर,डॉ.अल्पेश चौधरी, डॉ.प्रभाकर विश्वकर्मा, दीपमाला विश्वकर्मा,अमित,प्रेमजी एवं नित्यानंद झा का विशेष सहयोग रहा।
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