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तंबाकू से बच्चों को बचायेगी गृह मंत्रालय की पहल
महाराष्ट्र में 76 हजार से अधिक शिक्षण संस्थान तंबाकू मुक्त


नालासोपारा,हिन्दुस्तान की आवाज,राधेश्याम सिग

मुंबई 14 नवंबर। महाराष्ट्र के गृहराज्यमंत्री डा.रंजीत पाटिल ने कहा है कि बच्चों को तंबाकू सेवन से बचाने के लिए बहुत सारे कानून महाराष्ट्र में है, खासतौर पर कोटपा (सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003) एंव जेजे एक्ट (किशोर न्याय अधिनियम) का समावेश है। कोटपा व जेजे एक्ट को कठोरता से महाराष्ट्र की पुलिस से लागू करवाया जायेगा, ताकि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सके। डा.पाटिल मंगलवार को संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ), टाटा मैमोरियल अस्पताल में बाल दिवस के अवसर पर तंबाकू से बच्चों की सुरक्षा पर आयेाजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

गृहराज्यमंत्री डा.रंजीत पाटिल ने कहा है कि शिक्षण संस्थाअेंा के बाहर एक सौ गज के दायरे में किसी तरह का तंबाकू उत्पाद को बेचने की पांबदी है, लेकिन इसके बावजूद भी तंबाकू कि बिक्री खुले में होती है। इसके लिए एक सौ गज ही काफी नही है उस गांव, मौहल्ले, शहर में ही तंबाकू बिक्री पर रोक के लिए कठोर कार्यवाही हेानी चाहिए।

तंबाकू नियंत्रण के लिए पुलिस अधिकारियों की लेंगे बैठक


डा.पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र में तंबाकू नियंत्रण के लिए सभी पुलिस अधिकारियेंा की बैठक लेकर उन्हे इस पर काम करने के लिए निर्देशित किया जायेगा। इसके साथ ही अभी तक कोटपा एक्ट में क्या कार्यवाही की गई है इसकी जानकारी मांगी जायेगी।

उन्होने कहा कि प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों केा पत्र लिखकर तंबाकू नियंत्रण में जो कार्य किया गया है उसकी भी जानकारी ली जायेगी। मासिक अपराध समीक्षा में भी इसे शामिल किया जायेगा।

तंबाकू नियंत्रण के लिए शुरु हेागी हैल्पलाइन


डा.पाटिल ने कहा कि एक हैल्पलाइन को शुरु किया जायेगा, जिससे कोई भी व्यक्ति तंबाकू के प्रतिबंधित स्थानों पर बिकने या प्रयोग करने की जानकारी दे सकेगा। इस तरह की जानकारी देने वालों का नाम व पता गोपनीय रखा जायेगा।

टाटा मैमारियल अस्पताल के डायरेक्टर राजेंद्र ए.बड़वे ने कहा कि तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वालों में इसे मात्र तीन प्रतिशत लोग ही छोड़ पाते है जबकि 97 प्रतिशत लोग सिर्फ छोड़ने का सेाच कर ही रह जाते है, वे छोड़ नही पाते। महाराष्ट्र में हर 5 वंा बच्चा तंबाकू का प्रयेाग कर रहा है, जो कि चिंता का विषय है। वे बतातें है कि वर्तमान में अस्प्ताल में जो कैंसर रोगी आते है उनमें से 30 प्रतिशत मरीजों की उम्र 30 साल से कम है। महाराष्ट्र में 72 हजार लोग प्रतिवर्ष बेमौत पर जाते है। वंही 529 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादेां की शुरुआत करते है।

76480 स्कूूल हुए तंबाकू मुक्त


संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ ने कहा कि महाराष्ट्र में 76480 स्कूूल तंबाकू मुक्त हेा चुकें है। इसके लिए प्रदेशभर में कार्य चल रहा है। स्कूल स्तर से ही तंबाकू के खतरों से बच्चेंा का अवगत करा दिया जाये तो उनके इसे शुरु करने की संभावनांए कम हो जायेंगी।

टाटा मैमोरियल अस्पताल के कैंसर सर्जन डा.पकंज चतुर्वेदी ने कहा कि ग्लोबल टोबैको सर्वे (गेट्स-2) 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 28.6 प्रतिशत लोग किसी न किसी रुप मंेे तंबाकू उत्पादों का उपभोग करतें है। जेा कि बेहद चिंताजनक है। जबकि 85 प्रतिशत सचित्र चेतावनी को देखकर 61.9 प्रतिशत सिगरेट पीने वाले तथा 53.8 प्रतिशत लोगों ने इसे छोड़ने के बारे में सोचा। जबकि वर्ष 2009 -10 में 38 प्रतिशत सिगरेट वालेां व 29.3 प्रतिशत बीड़ी पीने वालेां ने इसे छोड़ने के बारे में सोचा था।

17 लाख बच्चे जुड़े है तंबाकू उधोग से


बाल दिवस पर आयेाजित इस कार्यक्रम में सामने आया कि महाराष्ट्र के तंबाकू उधोग में किसी न किसी रुप में 17 लाख बच्चे काम कर रहे है। जो कि हम सभी के लिए चिंता का विषय है।

सलाम बॉम्बे फाउंडेशन के तहेरिंग भूटिया, जो बच्चों को तम्बाकू से बचाने के लिए काम कर रहे हैं, ने कहा, बच्चों के साथ काम करना हमारी भावी पीढ़ियों को बचाने का सबसे प्रभावी तरीका है।

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